Wednesday, February 15, 2017

जाट आरक्षण: क़ानून के दायरे में रह कर ही होगा मसले का समाधान, 302 और 307 जैसे केस नहीं होंगे खारिज

केंद्रराज्य में जाट आरक्षण सहित 7 मांगों को लेकर प्रदेश में चल रहे मलिक गुट के धरनों का मुद्दा मंगलवार को फरीदाबाद के सूरजकुंड में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में भी उठा। इसमें जाट नेताओं की मांगों और उनके
कानूनी पहलुओं पर चर्चा हुई। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। इससे पहले मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने जाट नेताओं से वार्ता के लिए मुख्य सचिव डीएस ढेसी की अध्यक्षता में बनाई गई कमेटी अन्य अफसरों के साथ अलग से बैठक की। कमेटी ने सीएम को पहले दौर की बातचीत का ब्योरा दिया। इसके बाद कैबिनेट की बैठक हुई। इसमें मंत्रियों ने जाट नेताओं की मांगों पर सीएम के हर फैसले के साथ रहने का भरोसा दिलाया। इसके बाद प्रदेश में चल रहे अनिश्तिकालीन धरनों को लेकर सीएम ने कहा कि बातचीत से कोई मुद्दा हल हो जाए तो अच्छी बात है। किसी को कानून हाथ में नहीं लेने दिया जाएगा। ऐसे लोगों से निपटने के लिए तैयारी पूरी है। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि जाट नेताओं की मांगों पर कानून के दायरे में रहकर कोई फैसला लिया जाएगा। प्रतिनिधियों की ओर से जो मांगें रखी गई हैं, उसमें यह देखना होगा कि वे कानून सम्मत हैं या नहीं। कानून के दायरे में जो मांगें होंगी, उन्हें सरकार मानेगी। लेकिन धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास) जैसे गंभीर अपराधों वाले मुकदमे कैसे खारिज किए जा सकते हैं। 
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साभार: भास्कर समाचार 
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