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- आर्सेनिक: यह तत्व चावल में पाया जाता है, जो कैंसर, दिल से जुड़ी बीमारियों और स्किन इंफेक्शन्स के लिए ज़िम्मेदार है। यह पानी और मिट्टी में कुदरती रूप से मिल जाता है। चावल में आर्सेनिक की मात्रा लिमिटेड मिलीग्राम प्रतिकिलो ही होनी चाहिए। इससे ज़्यादा शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है। गौर करने वाली बात है कि आर्सेनिक हस्क के बाहरी हिस्से में भी पाया जाता है। अगर सिंचाई और खेती-बाड़ी पर ध्यान दिया जाए, तो आर्सेनिक की समस्या से निपटा जा सकता है।
- मिनरल ऑयल: जूट की बोरियां जिनमें चावल को पैक किया जाता है, उनमें ऐसा ऑयल होता है जो चावल में भी घुस जाता है। अगर चावल में इस ऑयल की मात्रा बढ़ जाए, तो इससे भी कैंसर होने का खतरा पैदा हो सकता है।
- बैक्टीरिया से विषैले पदार्थ: जिस तरह गीले कपड़े में बैक्टीरिया पनपने लगते हैं, उसी तरह चावल में भी अगर नमी आ जाए, तो उनमें भी बैक्टीरिया पैदा होने लगते हैं। ये शरीर के लिए काफी हानिकारक होते हैं। जब भारी बारिश होती है, तब भी चावलों में बैक्टीरिया पैदा होने के चांस होते हैं। इससे भी कैंसर होने के चांसेस होते हैं।
- सीसा और केडियम: चावलों में भी पेस्टीसाइड्स की खूब मात्रा होती है और ये भी शरीर के लिए बहुत हानिकारक है। पेस्टीसाइटड्स में सीसा और केडियम भी कैंसर का कारण हो सकते हैं।
- चूहों का मल: गोदाम में रखे चावलों में चूहों का मल-मूत्र बहुत आम बात है। इससे भी कई बीमारियां पैदा होती हैं। इससे हैंटावायरस जैसी जानलेवा बीमारी भी फैल सकती है।
- पैकिंग मटेरियल: अगर चावलों का पैकिंग कवर अच्छी क्वालिटी का न हो, तो इस पैकिंग वाले चावल से भी सेहत के लिए खतरा पैदा हो सकता है। दरअसल, पैकिंग करने में जिस गोंद का इस्तेमाल होता है, वो भी स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं होती।
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साभार:
भास्कर समाचार
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