Tuesday, May 2, 2017

मैनेजमेंट: सबका साथ सबका विकास मानवता का नारा हो सकता है

एन रघुरामन (मैनेजमेंट गुरु)
इस सोमवार को सुबह की सैर पर जाने वाले अधिकतर लोगों की बातचीत का विषय था प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर इसरो का पाकिस्तान को छोड़कर (क्योंकि उसे यह स्वीकार नहीं था) अपने पड़ोसियों को दिया गया
450 करोड़ रुपए लागत के सैटेलाइट का उपहार। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी घोषणा रविवार को सुबह अपने रेडियो कार्यक्रम मन की बात में की और कहा कि स्लोगन- सबका साथ सबका विकास अब भारत की सीमा के बाहर भी जा रहा है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। देखिए कुछ उदाहरण, जिनसे इस नारे की व्यक्ति और समूह से तुलना की जा सकती है। 
उदाहरण 1: उसकी उम्र के बच्चे अपनी छोटी-सी पॉकेट मनी की बचत कहानियों के किताबें खरीदने, वीडियो गेम या स्मार्टफोन लेने में करते हैं। लेकिन जमशेदपुर के कक्षा सात की हिल टॉप स्कूल की छात्रा 11 साल की मोंद्रिता चटर्जी अपने पिगीबैंक के भरने का इंतजार इसलिए कर रही थी ताकि वे गरीब और जरूरतमंदों के लिए टॉयलेट बनवा सकें। खासकर वंचित बच्चों के लिए। इस बार उनके पिगीबैंक में जमा 19 हजार रुपए पारसूधी हलदबानी के आश्रम एक्टिविटी सेंटर में टाटानगर सत्यायतन मंदिर के गरीब बच्चों के लिए दो टॉयलेट बनाने के लिए गिफ्ट किए गए हैं। टाटा टेक्नोलॉजीस की छोटी-सी मदद, जो करीब 9 हजार रुपए थी, से उनका सपना पूरा हो गया। दो हफ्ते पहले लड़कों के लिए अलग और लड़कियों के लिए अलग टॉयलेट पहले शुरू हो गए हैं। 
उदाहरण 2: एक तरफ जब कुछ लोग सुरक्षा बलों पर पत्थर बरसाने में व्यस्त हैं, दूसरी तरफ भारतीय सेना करगिल जैसे कश्मीर के आतंक ग्रस्त दक्षिणी और उत्तरी हिस्से से आने वाले छात्रों की मदद आईआईटी में प्रवेश का सपना पूरा करने में कर रही है। कश्मीर के सुपर 40 के रूप में पहचान रखने वाले और श्रीनगर में चलने वाले आर्मी के सामाजिक जिम्मेदारी और लर्निंग-ट्रेनिंग पार्टनर सेंटर द्वारा चलाया जा रहा है। इस बार यहां के 26 लड़कों और दो लड़कियों ने आईआईटी-जेईई परीक्षा क्रेक की है। रिकॉर्ड तोड़ते हुए इसने 78 प्रतिशत सफलता दर्ज की है। 
उदाहरण 3: उनके खानाबदोश पुरखे जंगलों में फल-पत्ते और टहनियां जमा करते थे लेकिन, बोकारो के उत्तरी-पूर्वी हिस्से के गांव के कुछ बिरहोर युवा अब अलग दिशा में चल पड़े हैं। बोकारो स्टील लिमिटेड (बीएसएल) ने ज्ञान ज्योति स्कीम के तहत 15 बिरहोर लड़कों को अडॉप्ट किया है। ये बोकारो के बीएसएल ट्रेनीज़ होस्टल में रहते हैं और सीबीएसई कल्याण विद्यालय में पढ़ते हैं। कक्षा 6 में पढ़ रहे सभी बच्चे हायर एजुकेशन भी लेना चाहते हैं। ये लड़के बीएसएल द्वारा अडॉप्ट की गई पहले की 15 बिरहोर युवाओं की बैच से प्रभावित हैं, जिसमें से तीन स्पेशल इंडिया रिजर्व बटालियन में कॉन्सटेबल हैं। 
उदाहरण 4: पिराना डम्पिंग यार्ड को ऐसे कचरा बम के रूप में जाना जाता है, जिसमें कभी भी विस्फोट हो सकता है। यह गुजरात की सबसे बड़ी घरेलू कचरे की लैंडफिल साइट है। लगातार बन रहे गंदगी के पहाड़ और विशाक्त धुएं से आस-पास रहने वाले लोग प्रभावित हो रहे हैं और इसके आस-पास कोई नहीं रह सकता लेकिन, हर शाम 150 से ज्यादा गौरेया जो सबसे शर्मीला पक्षी माना जाता है, इस पहाड़ के पास आना पसंद करती हैं। इसकी वजह है एक ऑटो रिक्शा ड्राइवर इमरान शेखानी से मिल रहा प्यार और देख-रेख। उन्होंने कई कृत्रिम घोंसले बनाए और पांच साल पहले गौरेया का पालन-पोषण शुरू किया था। इन चिड़ियाओं ने हमारे कॉन्क्रीट के जंगल को छोड़ना तय किया है, जिसे हम हर दिन अधिक सुंदर बना रहे हैं। इन्होंने इमरान के बनाए घोंसलों को रहने के लिए चुना है, जहां उन्हें प्यार और देख-रेख मिलती है।
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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