सीबीएसई से जुड़े कई स्कूलों में 12वीं के स्टूडेंट्स को फिजिकल हेल्थ एंड एजुकेशन की किताब में अजीबोगरीब बातें पढ़ाई जा रही हैं। किताब में लिखा गया है कि लड़कियों के लिए 36-24-36 इंच की फिगर साइज सबसे
बेहतर होती है। इस फिगर की लड़कियां ही मिस यूनिवर्स और मिस वर्ल्ड में हिस्सा लेती हैं। लड़कियों को उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए। पर ऐसा फिगर आसानी से नहीं मिलता है, इसके लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। इसलिए कसरत करनी चाहिए। जबकि लड़कों के लिए वी शेप की बॉडी अच्छी होती है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। हालांकि सीबीएसई का कहना है कि यह किताब एनसीईआरटी द्वारा नहीं लाई गई है। यह प्राइवेट प्रकाशन की किताब है। ऐसे स्कूलों पर कार्रवाई की जाएगी। इस किताब का प्रकाशन न्यू सरस्वती हाउस ने किया है। इसके लेखक वीके शर्मा हैं। यही नहीं, किताब में महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले कमजोर धावक भी बताया गया है। इसका कारण महिलाओं का वर्टिब्रा (कूल्हे का हिस्सा) आमतौर पर लंबा होता है, पर हाथ और पैर छोटे होते हैं। जबकि पुरुषों का वर्टिब्रा, हाथ और पैर लंबे होते हैं। इसके अलावा महिलाओं के कूल्हे की हड्डियां चौड़ी होती हैं और घुटनों के बीच में दूरी होती है। इस आकार के कारण ही महिलाएं अच्छी धावक नहीं बन पातीं।
किताबमें लड़कियों और महिलाओं को पीरियड्स और प्रेग्नेंसी में भी स्पोर्ट्स इवेंट में शामिल होने की सलाह दी गई है। लिखा गया है कि ऐसी महिलाएं ही सफल होती हैं। इस बारे में लेखक वीके शर्मा से जब पूछा गया कि क्या आपने सेरेना विलियम्स के बारे में सुना है? जिनका फिगर 36-24-36 नहीं है। इस पर उनका कहना था वह शादी-शुदा नहीं हैं। इसलिए ऐसा है। इस किताब की सोशल मीडिया पर जमकर ट्रोलिंग हो रही है। लोग जमकर प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। वे किताब की फोटो और टेक्स्ट शेयर कर रहे हैं। सवाल पूछ रहे हैं। कुछ का तो यहां तक कहना है कि आखिर गोरे बनाने की क्रीम के विज्ञापन और स्कूल की शिक्षा में कुछ अंतर है या नहीं?
हम जिम्मेदार नहीं - सीबीएसई: सीबीएसई की पीआरओ रमा शर्मा का कहना है इसमें बोर्ड की कोई भूमिका नहीं है। इसके लिए स्कूल और प्रकाशक जिम्मेदार हैं। सीबीएसई से संबद्ध स्कूलों में नियमों के मुताबिक सिर्फ एनसीईआरटी सीबीएसई द्वारा प्रकाशित किताबों को ही पढ़ाया जाएगा। यदि वे प्राइवेट प्रकाशन की किताब को पढ़ाते हैं तो पूरी निगरानी बरतेंगे। ताकि धर्म, जाति और लिंग के आधार पर कोई भेदभाव हो।
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साभार: भास्कर समाचार
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