Monday, November 9, 2015

नई शिक्षा नीति पर उठाए सवाल: स्कूल प्रतिनिधियों ने अनदेखी का लगाया आरोप

हरियाणा में प्रदेश सरकार की कोशिश के तहत नई शिक्षा नीति तैयार करने की कवायद पर उंगलियां उठनी शुरू हो गई हैं। स्कूली प्रतिनिधियों ने इस पर सवाल उठते हुए आरोप लगाया है कि मामले में उनकी अनदेखी की गई है। शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक सुधार और रिजल्ट की बेहतरी के लिए शिक्षकों के अनुभवों को तरजीह देनी चाहिए। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। उनका कहना है कि इस अनदेखी से नीति से जुड़ी खामियाें को पूरी तरह दूर नहीं किया जा सकेगा। खामियां दूर कर नीति को प्रभावशाली बनाने के लिए स्कूल प्रतिनिधियों के सुझावों को नजरअंदाज करना उचित नहीं है।
हरियाणा फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने कहा है कि नई शिक्षा नीति तय से पहले अगर शिक्षकों की राय नहीं ली जाती है तो निश्चित तौर पर यह नीति केवल कागजी साबित होगी। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि शिक्षा में सुधार के लिए क्या-क्या प्रयास किए जा सकते हैं और कैसे बेहतर परिणाम मिल सकते हैं, इस बारे में स्कूल प्रतिनिधि के अनुभवों को शामिल किया जाना उचित है। बावजूद इसके मामले में सरकार पंचायत प्रतिनिधियों के साथ-साथ आम लोगों से राय ले रही है। कुलभूषण शर्मा ने कहा कि शिक्षा नीति को लागू करने से पहले सरकार की ओर से तैयार खाके में तमाम खामियां हैं।
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साभारअमर उजाला समाचार 
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