कैथल की स्वामी विवेकानंद बस्ती, केशव माधव बस्ती और संत कबीर दास बस्ती के बच्चे अब भीख मांगने नहीं जाते। उनकी जिंदगी बदल चुकी है। अब वे स्कूल जाते हैं, अखबार भी पढ़ने लगे हैं, मौका मिलता है तो स्टेज पर भाषण भी देते हैं और सॉरी व थैंक्यू जैसे अंग्रेजी के शब्दों का भी प्रयोग करते हैं। इन बच्चों के जीवन में आया बदलाव। यहां इनके गरीब व अनपढ़ माता-पिता को भी उत्साह से लबरेज कर
रहा है, वहीं इनके हौंसलों की उड़ान देख अन्य लोग भी दांतों तले उंगली दबा रहे हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। करीब पांच साल पहले कैमिस्ट राजेश व अध्यापक महाबीर व प्रदीप जींद रोड स्थित स्वामी विवेकानंद बस्ती में दवा बांटने गए थे। वहां उन्होंने मैले-कुचले कपड़ों में बच्चों का एक झुंड देखा जिनका दिन भीख मांगने से शुरू होता और उसी से खत्म। इन तीनों ने बच्चों से पूछा कि क्या पढ़ना चाहोगे, बच्चों ने खुशी से कहा की हां। फिर इन तीनों ने उन बच्चों के माता-पिता से बातचीत की और आश्वस्त किया कि इसके लिए उन्हें कुछ खर्च नहीं करना पड़ेगा। फिर क्या था। सुबह व शाम शुरू हो गया बस्ती में ज्ञान का दीपक जलना। वह तीनों समय निकाल इन बच्चों को अक्षर ज्ञान बांटते और अपने पैसे से ही कलम व दवात व कापी-किताब भी बांटते।
बच्चों की जिंदगी में बदलाव आता देख माता-पिता ने उनसे भीख मंगवाना छोड़ दिया। कुछ बच्चों को सरकारी स्कूल में दाखिला भी मिल गया। इससे उत्साहित राजेश, महाबीर व प्रदीप ने केशव माधव बस्ती व रेलवे स्टेशन के पास संत कबीरदास बस्ती में भी बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया। जो शुरुआत 20 बच्चों से हुई थी, वह संख्या 50 से अधिक पहुंच गई। यह कारवां तब और बढ़ निकला, जब इसमें श्री नर-नरायण सेवा समिति का सहयोग भी जुड़ गया। इस समिति के पदाधिकारियों ने इन बच्चों के स्कूल का खर्च उठाना स्वीकार कर लिया। देखते ही देखते ज्यादातर बच्चों का स्कूल में दाखिला हो गया। आज काफी बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ रहे हैं तो कुछ निजी स्कूलों में भी पढ़ाई कर रहे हैं। इनमें कई बच्चे तो ऐसे भी हैं जो 14 से 15 साल के हैं। दिन में मेहनत मजदूर करते हैं और शाम के समय पढ़ाई। इन तीनों ने न तो बच्चों व माता-पिता से पैसा लिया और न ही किसी से चंदा मांगा। सब कुछ अपनी कमाई से किया। श्री नर नारायण सेवा समिति ने तो चार अध्यापक भी रख लिए हैं, जो इन बच्चों पढ़ाते हैं। समिति के प्रधान राजेश गोयल व सचिव सुनील गर्ग कहते हैं कि इस छोटे से स्तर पर किया गया यह प्रयास अब बढ़े स्तर पर रंग ला रहा है। इन बच्चों की जिंदगी में व्यापक बदलाव देखने को मिल रहा है।
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साभार: जागरण समाचार
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