सातवें वेतन आयोग ने केंद्र सरकार के ऐसे कर्मचारियों का पर कतरने वाली सिफारिश की है जिनका कामकाज में जी नहीं लगता है। आयोग ने कहा है कि कामकाज के प्रदर्शन की कसौटी पर जो कर्मचारी खरा नहीं उतरता है उसकी सालाना वेतनवृद्धि रोक दी जानी चाहिए। इतना ही नहीं आयोग ने प्रदर्शन मानदंड को ‘बेहतर’ से ‘अत्यंत बेहतर’ करने को कहा है। आयोग ने सभी श्रेणियों के केंद्रीय कर्मचारियों के लिए प्रदर्शन संबंधित वेतन
(पीआरपी) लागू करने की भी सिफारिश की है। देश भर में करीब 47 लाख केंद्रीय कर्मचारी हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। बड़े पैमाने पर धारणा है कि समय के साथ वेतन बढ़ता जाता है और तरक्की मिलती रहती है। आयोग ने कहा है कि संशोधित सुनिश्चित जीविका विकास (एमएसीपी) को गंभीरता से नहीं लिया गया, जबकि इसे कर्मचारियों के प्रदर्शन के लिए ही लागू किया गया था। इसलिए आयोग ने वैसे कर्मचारियों के सालाना वेतनवृद्धि पर रोक लगाने की सिफारिश की है जो अपनी सेवा के पहले 20 वर्ष के दौरान एमएसीपी के मानदंड या नियमित विकास पूरा करने में असमर्थ रहे हैं।
यह दंड नहीं होगा: आयोग ने कहा है कि यह लापरवाह और अक्षम कर्मचारियों के लिए डर और निवारक की तरह काम करेगा। इसका कारण यह है कि यह दंड नहीं है। अनुशासनात्मक कार्रवाई में वेतनवृद्धि रोकने के मामले इसमें शामिल नहीं होंगे। इसे एक क्षमता पैमाने की तरह लिया जाएगा। इसके अलावा ऐसे कर्मचारियों के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए तय नियम एवं शर्तो पर नौकरी छोड़ने का विकल्प हो सकता है। कर्मचारियों को सेवा के 10वें, 20वें और 30वें वर्ष में एमएसीपी दिया जाएगा।
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साभार: जागरण समाचार
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