Thursday, November 19, 2015

UGC ने तो रद्द किया JRF: CDLU ने चुपके से जारी कर दी ग्रांट

यूजीसीने विश्वविद्यालय के करीब 28 पीएचडी स्कॉलर का जेआरएफ रद्द कर दिया था। मगर सीडीएलयू में प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से एक छात्रा को बिना यूजीसी के सेंक्शन पत्र के दो लाख 84 हजार रुपए की जूनियर रिसर्च स्कॉलरशिप जारी कर दी गई। छात्रा का रजिस्ट्रेशन जेआरएफ की समय अवधि से 6 महीने से ज्यादा गुजर जाने के बाद हुआ। जेआरएफ के लिए एजुकेशन की केवल एक ही छात्रा हकदार नहीं थी,
बल्कि 28 जेआरएफ स्कॉलर थे। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। कुछ तो ऐसे स्कॉलर थे जिनका पीएचडी में रजिस्ट्रेशन केवल 26 दिन ही देरी से हुआ। परंतु विश्वविद्यालय ने 28 पीएचडी स्कॉलर को एक पाई भी नहीं दी। पीएचडी स्कॉलर आजाद सिंह, सरिता, रेणु और कविता ने बुधवार को वीसी, रजिस्ट्रार और डीन ऑफ कॉलेज से मिलकर इस मिलीभगत के खिलाफ शिकायत सौंपी। स्कॉलर का कहना है कि ऐसे कई ओर मामले भी सामने सकते हैं, इसलिए इसकी जांच करवाई जाएं। बता दे कि कुछ महीने पहले पीएचडी रजिस्ट्रेशन में देरी होने पर यूजीसी ने विश्वविद्यालय के करीब 28 स्कॉलर की जूनियर रिसर्च स्कॉलरशिप ग्रांट रद्द कर दी थी इसमें एससी और बीसी के 24 छात्र थे। इसके विरोध में छात्रों ने कई दिन हड़ताल भी की। तब विश्वविद्यालय ने आश्वासन दिया था कि यूजीसी के समक्ष इस मामले पर पुनर्विचार करने के लिए अनुरोध किया जाएगा। 
छात्रों का प्रतिनिधिमंडल बुधवार को मेरे पास आया था। मैंने ब्रांचों से रिकाॅर्ड मांगा है। क्योंकि मामला पुराना है, इसलिए रिकाॅर्ड आने के बाद ही आगामी कार्रवाई की जाएगी।'' प्रोफेसरअसीम मिगलानी, रजिस्ट्रार, सीडीएलयू, सिरसा। 
रजिस्ट्रेशन में 6 महीने देरी: मैनेजमेंटमें पीएचडी कर रहे स्कॉलर आजाद सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय की गलती से करीब 28 पीएचडी स्कॉलर की रजिस्ट्रेशन में देरी हुई। इसलिए यूजीसी ने सभी का जेआरएफ रोक दिया। आजाद सिंह का कहना है कि आरटीआई की सूचना के मुताबिक एजुकेशन विभाग की छात्रा ने तीन अप्रैल 2010 में जूनियर रिसर्च स्कॉलरशिप प्राप्त की। 2011 में पीएचडी में एडमिशन लिया। एडमिशन लेने के बाद जेआरएफ की पहली ग्रांट जारी हो जाती है। मगर दूसरी ग्रांट के लिए छात्रा का पीएचडी में रजिस्ट्रेशन तीन अप्रैल 2012 से पहले होना चाहिए था। छात्रा का रजिस्ट्रेशन 26 अक्टूबर 2012 को हुआ। यानि की 6 महीने देरी से। मगर फिर भी छात्रा को विश्वविद्यालय ने जेआरएफ की दूसरी किश्त दो लाख 84 हजार 180 रुपए जारी कर दी गई। 
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साभारभास्कर समाचार 
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