वर्तमान समय में दुनियाभर के देशों में जो स्थिति उत्पन्न हुई है वो काफी चिंताजनक है। इतिहास के पन्नों के उठाकर देखा जाए तो विश्वभर में ऐसी स्थिति कई बार उत्पन्न हुई है। हालांकि, हर बार मुद्दे अलग-अलग रहे हैं और इन्हीं मुद्दों की वजह से दुनिया को विश्व युद्ध जैसे भयानक परिस्थितियों का दंश झेलना पड़ा। पिछले 70 सालों से दुनिया की छिट पुट घटनाओं को छोड़ दिया जाए तो अभी तक शांति की स्थिति बनी हुई थी लेकिन हालिया माहौल को देखते हुए ऐसा लगता है कि कहीं तृतीय विश्व युद्ध की
स्थिति तो पैदा नहीं हो रही। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। अगर तृतीय विश्व युद्ध होता है तो उसके पीछे ये चार वजहें हो सकती हैं जो पूरी दुनिया को युद्ध का दंश झेलने पर मजबूर कर सकती है
स्थिति तो पैदा नहीं हो रही। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। अगर तृतीय विश्व युद्ध होता है तो उसके पीछे ये चार वजहें हो सकती हैं जो पूरी दुनिया को युद्ध का दंश झेलने पर मजबूर कर सकती है
- सीरिया: हाल के दिनों में इस्लामिक स्टेट (आईएस) ने जिस तरह से दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों का ध्यान अपनी ओर खींचा है उससे तृतीय विश्व युद्ध जैसे हालात ही पैदा हो रहे हैं। अमेरिका, रूस और फ्रांस जैसे देशों से दुश्मनी लेना अबतक तो आईएस को भारी ही पड़ा है। वहीं रूसी विमानो को मार गिराए जाने से कूटनीतिक स्तर पर भी मतभेद उत्पन्न हो गए हैं। अगर भविष्य में ऐसी कोई दूसरी घटना होती है तो युद्ध की संभावना और बढ़ जाएगी। लेकिन यह युद्ध काफी भयावह परिणाम दे सकती है क्योंकि दोनों ही देश परमाणु हथियारों से संपन्न देश हैं।
- पूर्वी चीन सागर- बीते दो सालों से चीन और जापान के संबंध भी कुछ ठीक नहीं दिखाई दे रहे। दोनों सेंकाकु द्वीप के आस पास खतरनाक खेल खेल रहे हैं। दोनों देशों की सेना इस द्वीप पर पहुंच चुकी है। किसी भी तरह के नौसेना या हवाई हमले की वजह से यहां की स्थिति युद्ध जैसे माहौल में बदल सकती है। अमेरिका के संबंध भी चीन और जापान के साथ कुछ अच्छे नहीं रहे हैं इस पर अमेरिका और जापान के बीच हुए एक समझौते के तहत अमेरिका को जापान की मदद करनी ही पड़ेगी। इसका परिणाम यह होगा कि युद्ध में अमेरिका के शामिल हो जाने से पूरा एशिया प्रशांत द्वीप इसमें शामिल हो जाएगा। वियतनाम और फिलिपींस भी समुद्री सीमा विवाद को लेकर चीन का विरोध करते रहे हैं।
- यूक्रेन: अभी हाल ही में रूस और यूक्रेन के बीच का विवाद पूरी दुनिया के सामने था। वहां के हालात अभी भी कुछ उसी तरह बने हुए हैं। यूक्रेन के समर्थन में अमेरिका और नाटो देशों के उतर जाने के बाद वहां की स्थिति और गंभीर हो गई है। इन देशों ने जहां रूस पर आर्थिक तौर पर पाबंदी लगा दी वहीं वह उसके खिलाफ भी खड़े हो गए। अगर नाटो देश रूस पर ज्यादा दबाव बनाने की कोशिश करते हैं तो इसके परिणाम भी काफी भयावह हो सकते हैं। ये दुनिया के सबसे ताकतवर देश हैं और परमामु हथियारों की संख्या इन देशों के पास सबसे अधिक है जो दुनिया के लिए चिंता का विषय है।
- अलगाववादी विचार- शीत युद्ध ने ही दुनिया के सामने तृतीय विश्व युद्ध की एक झलक दिखा दी थी। वारसॉ संधि के तहत नाटो और जर्मनी के बीच दोस्ती को हुआ लेकिन कभी परमाणु हमले की घंटी बजा सकता है। इसके नतीजे काफी भयावह और त्वरित होंगे। इन मुद्दों को नजरअंदाज करके नहीं रहा जा सकता।
स्रोत: दि नेशनल इंटरेस्ट)
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार
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