सरकारी विभागों के बेलगाम कर्मचारियों को सरकार का अंकुश रास नहीं आ रहा है। बायोमीटिक हाजिरी प्रणाली को आधार से जोड़ दिए जाने के बाद कर्मचारियों पर यह अंकुश अधिक बढ़ गया है। इस कारण उन्होंने न केवल बायोमीटिक मशीनों से छेड़छाड़ शुरू कर दी, बल्कि कई दफ्तरों में यह मशीनें खराब तक कर दी गई हैं। मशीनों
के खराब होने का बहाना बनाकर कर्मचारियों का फरलो मारने का रवैया बरकरार है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। एक दर्जन से भी अधिक दफ्तर ऐसे हैं, जिनमें मशीनें लगने के कुछ दिन बाद ही खराब हो गईं अथवा उन्होंने काम करना बंद कर दिया है। सरकार को लगता है कि ऐसा जानबूझकर किया जा रहा है ताकि कर्मचारियों को सुबह-शाम नियमित रूप से हाजिरी लगाने के झंझट से मुक्ति मिल सके। सरकार ने कर्मचारियों की मंशा भांप कर प्रशासनिक सचिवों को न केवल बायोमीटिक मशीनों से छेड़छाड़ के मामलों का पता लगाने के निर्देश दिए हैं, बल्कि बायोमीटिक व्यवस्था को अधिक मजबूती के साथ लागू करने की हिदायतें जारी कर संदिग्ध कर्मचारियों को चिह्नित करने का आदेश भी जारी कर दिया है। प्रदेश में करीब साढ़े तीन लाख कर्मचारी हैं जिनमें फील्ड स्टाफ की संख्या डेढ़ लाख है। फील्ड स्टाफ के लिए दिक्कत यह है कि उनकी ड्यूटी कहीं रहती है और हाजिरी लगाने के लिए ऑफिस दूसरी जगह जाना पड़ता हैं। सुबह-शाम उनके लिए हाजिरी अनिवार्य होने से न केवल आधा समय खराब हो रहा है, बल्कि फील्ड स्टाफ की कार्यक्षमता भी प्रभावित हो रही है। कर्मचारियों की इस दिक्कत का नुकसान आम लोगों को उठाना पड़ रहा है। बायोमीटिक प्रणाली से हाजिरी पूरी नहीं होने के कारण कर्मचारियों का वेतन तक रोका जा रहा है। हरियाणा रोडवेज की अगर बात करें तो चालकों व परिचालकों के लिए बायोमीटिक प्रणाली से हाजिरी लगाना संभव नहीं है। उनकी ड्यूटी बसों पर रहती है। प्रशासनिक सचिवों की बैठक में चालकों व परिचालकों की इस समस्या को मुख्यमंत्री के सामने उठाया गया और बताया कि 300 बसों में जीपीएस लगाया जा चुका है। वहीं, दूसरी ओर सीएम ने बीच का रास्ता निकालते हुए निर्देश दिए कि सभी बसों में जीपीएस सिस्टम लगा दिया जाए। इससे चालक-परिचालकों की पूरी लोकेशन विभाग के पास रहेगी।
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साभार: जागरण समाचार
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