हरियाणा में भाजपा सरकार आने के बाद वेतन
विसंगतियों को दूर करने की मांग कर रहे कर्मचारियों को प्रदेश सरकार बड़ी
राहत दे सकती है। सरकार का एक वर्ष का कार्यकाल पूरा होने जा रहा है। संभव
है कि एक साल पूरा होने पर कर्मचारियों के हित में यह फैसला सुनाया जाए। अब
तक वेतन विसंगति आयोग की 14 बैठकें कर्मचारी संगठनों और विभिन्न विभागों
के साथ हो चुकी हैं। तीन बैठकें अभी और होनी हैं। सितंबर में तीन बैठकें
करने के
बाद रिपोर्ट बनाने की प्रक्रिया शुरू होगी। छठे
वेतन आयोग में क्या विसंगति रह गई है, फिलहाल इस पर मंथन चल रहा है। सरकार
इस बात को लेकर गंभीर है कि सातवें वेतन आयोग की जो सिफारिश आनी हैं। उससे
पहले छठे वेतन आयोग को लेकर विसंगतियां दूर हो जाएं। हो सकता है कि सरकार
का यह फैसला नए साल तक हो, लेकिन इसकी तैयारी अभी से शुरू कर दी गई है। हरियाणा
के विभिन्न सरकारी विभागों में इस समय दो लाख से अधिक सरकारी कर्मचारी
हैं। सूबे में पुलिस विभाग के कर्मचारी लंबे समय से पंजाब के समान वेतन दिए
जाने की मांग करते आ रहे हैं, जबकि परिवहन, लोक निर्माण विभाग, विद्युत
निगम, शिक्षा विभाग समेत कई विभागों के कर्मचारी लंबे समय से वेतन विसंगति
दूर किए जाने की मांग करते आ रहे हैं। मालूम हो कि पूर्व की कांग्रेस सरकार
ने वेतन विसंगति आयोग का गठन किया था। सत्ता परिवर्तन के बाद नई सरकार ने
माधवन आयोग की सेवाएं नियमित रखते हुए कर्मचारियों की वेतन विसंगतियां दूर
करने के लिए अपनी रिपोर्ट दायर करने को कहा था। अब हरियाणा सरकार इसे लागू करने पर विचार कर रही है।
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साभार: अमर उजाला समाचार
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