हरियाणा में वर्ष 2011 में नियुक्त जेबीटी शिक्षकों की दिक्कतें कम होने का नाम नहीं ले रही। फर्जी हस्ताक्षर सूची के नाम पर शिक्षकों के विरुद्ध जिलों में मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं। शिक्षकों की दलील है कि उनके हस्ताक्षर फर्जी नहीं है। 2008 में किए गए हस्ताक्षर और 2012 में किए गए हस्ताक्षरों में मामूली अंतर होने पर भी शिक्षकों की सेवाएं खत्म कर उन्हें अपराधी माना जा रहा है। हरियाणा प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष
विनोद ठाकरान और महासचिव दीपक गोस्वामी ने कहा कि कोर्ट के फैसले का सम्मान है, लेकिन इसकी आड़ में शिक्षकों को अपमानित करने की सरकार की मंशा कामयाब नहीं होने दी जाएगी। इसके लिए संघ ने मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर हस्तक्षेप करने की मांग की है। वर्ष 2011 में हुई जेबीटी की भर्ती पर प्रवीण कुमारी बनाम हरियाणा सरकार के नाम से हाई कोर्ट में याचिका दायर कर फर्जी एचटेट होने की बात कही गई थी। हाईकोर्ट के निर्देश पर इस भर्ती में नियुक्त सभी शिक्षकों के अंगूठे के निशान व हस्ताक्षर का मिलान राज्य फोरेंसिक लैब मधुबन में किया गया। लैब की रिपोर्ट के बाद हाईकोर्ट ने सैकड़ों शिक्षकों की सेवाएं समाप्त करने के निर्देश जारी कर दिए। शिक्षा विभाग ने आनन-फानन में कारण बताओ नोटिस जारी कर इन अध्यापकों के विरुद्ध कार्रवाई चालू कर दी है। शिक्षकों की दलील है कि सब कुछ ओरिजनल होते हुए भी सरकार उनका पक्ष नहीं सुन रही। उनके रोजगार पर तलवार लटक रही है। सरकार को समय देते हुए पुलिसिया कार्रवाई करने की बजाय अन्य माध्यमों से हस्ताक्षरों की जांच दोबारा करानी चाहिए। 1शिक्षक नेताओं ठाकरान और गोस्वामी ने कहा कि हम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं लेकिन बहुत से शिक्षक निदरेष हैं। किसी निदरेष के साथ अन्याय नहीं किया जाना चाहिए। इसके लिए मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री, शिक्षा महानिदेशक व पुलिस महानिदेशक को संघ की ओर से अपील के रूप में एक पत्र डाला गया है। संघ सरकार से मिलकर निदरेष शिक्षकों के हक में अपना पक्ष रखेगा।
विनोद ठाकरान और महासचिव दीपक गोस्वामी ने कहा कि कोर्ट के फैसले का सम्मान है, लेकिन इसकी आड़ में शिक्षकों को अपमानित करने की सरकार की मंशा कामयाब नहीं होने दी जाएगी। इसके लिए संघ ने मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर हस्तक्षेप करने की मांग की है। वर्ष 2011 में हुई जेबीटी की भर्ती पर प्रवीण कुमारी बनाम हरियाणा सरकार के नाम से हाई कोर्ट में याचिका दायर कर फर्जी एचटेट होने की बात कही गई थी। हाईकोर्ट के निर्देश पर इस भर्ती में नियुक्त सभी शिक्षकों के अंगूठे के निशान व हस्ताक्षर का मिलान राज्य फोरेंसिक लैब मधुबन में किया गया। लैब की रिपोर्ट के बाद हाईकोर्ट ने सैकड़ों शिक्षकों की सेवाएं समाप्त करने के निर्देश जारी कर दिए। शिक्षा विभाग ने आनन-फानन में कारण बताओ नोटिस जारी कर इन अध्यापकों के विरुद्ध कार्रवाई चालू कर दी है। शिक्षकों की दलील है कि सब कुछ ओरिजनल होते हुए भी सरकार उनका पक्ष नहीं सुन रही। उनके रोजगार पर तलवार लटक रही है। सरकार को समय देते हुए पुलिसिया कार्रवाई करने की बजाय अन्य माध्यमों से हस्ताक्षरों की जांच दोबारा करानी चाहिए। 1शिक्षक नेताओं ठाकरान और गोस्वामी ने कहा कि हम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं लेकिन बहुत से शिक्षक निदरेष हैं। किसी निदरेष के साथ अन्याय नहीं किया जाना चाहिए। इसके लिए मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री, शिक्षा महानिदेशक व पुलिस महानिदेशक को संघ की ओर से अपील के रूप में एक पत्र डाला गया है। संघ सरकार से मिलकर निदरेष शिक्षकों के हक में अपना पक्ष रखेगा।
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साभार: जागरण समाचार
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