संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में दाखिल होने की भारत की कोशिशों को उस समय एक बड़ी कूटनीतिक कामयाबी मिली, जब महासभा ने सुरक्षा परिषद में सुधार के मुद्दे पर महासभा के अध्यक्ष सैम कुटेसा द्वारा पेश दस्तावेज को आगे चर्चा के लिए स्वीकार कर लिया। आपको बता दें कि UN की सिक्यॉरिटी काउंसिल में परमानेंट सीट पाने की भारत की कोशिशों को 23 साल बाद पहली बड़ी कामयाबी मिली है। भारत ने संयुक्त
राष्ट्र महासभा के इस निर्णय का स्वागत किया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने एक बयान में कहा, दो दशक तक चली चर्चा के बाद यह एक बहुत ही अहम प्रगति हुई है। अब हम इस दस्तावेज पर आधारित बातचीत शुरू कर सकते हैं। इस दस्तावेज को संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य राष्ट्रों की सहमति से स्वीकार किया जाना अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में इस मुद्दे पर आगे बढ़ने को लेकर व्यापक समर्थन का संकेत है। यहां बता दें कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में सुरक्षा परिषद में सुधार के किसी भी प्रस्ताव को कुल 193 देशों में से दो तिहाई बहुमत, यानी कम से कम 129 देशों के मतों की जरूरत पड़ेगी। इनमें सुरक्षा परिषद के सभी स्थायी सदस्य देशों- चीन अमरीका, रूस, ब्रिटेन और फ्रांस की सहमति भी जरूरी होगी। मसौदे मे लिखे गए प्रस्ताव पर 23 साल से जुबानी चर्चा हो रही थी, लेकिन कोई मसौदा नहीं बन पाया था। साल 1963 में सुरक्षा परिषद में सदस्यों की संख्या बढ़ाई गई थी। तब अस्थायी सदस्य 11 से बढ़ा कर 15 किए गए थे। यह निर्णय भी महासभा ने स्थायी सदस्यों की मर्जी के खिलाफ लिया था।
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साभार: News24 समाचार
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