Friday, June 5, 2015

टेक्नोलॉजी: जानिए बैंडविथ के बारे में जो चलाती है आपका इंटरनेट

बैंडविथ इस दौर में हर घर से जुड़ा मामला है। भले ही घर में कंप्यूटर हो, लैपटॉप हो, मोबाइल हो या फिर ऑफिस में बड़ी-बड़ी फाइलें ट्रांसफर करने का मामला। बैंडविथ के बिना यह चल ही नहीं सकते। आपके घर में इंटरनेट कनेक्शन की स्पीड बैंडविथ पर ही निर्भर करती है। बैंडविथ ही वह क्षमता है, जो इन चीजों के उपयोग को आसान बनाती है।
जानिए क्या है बैंडविथ: ‘बैंडविथ’ शब्द का प्रयोग दो तरह से होता है। पहला इंटरनेट के संदर्भ में। इसमें बैंडबिथ
यह बताता है कि कितना डेटा निश्चित समय में ट्रांसमिट किया जा सकता है। यह बिट्स प्रति सेकंड (बीपीएस) के हिसाब से होता है। दूसरा संदर्भ मोबाइल टेलीफोन के लिए होता है। इसमें यह एक बैंड की फ्रीक्वेंसी या वेवलैंग्थ की रेंज बताता है। 
इंटरनेट के संदर्भ में: जितनी ज्यादा बैंडविथ होगी, उतना ज्यादा तेजी से अधिक डेटा ट्रांसफर किया जा सकेगा। यानी तेज स्पीड से। इस डेटा को बिट्स में नापा जाता है। जिस दर से डेटा ट्रांसफर किया गया है, उसे बिट्स प्रति सेकंड के हिसाब से नापते हैं। एक किलोबिट यानी 1000 बिट्स और मेगाबिट्स अर्थात 1000 किलोबिट। इसलिए एक मेगाबिट यानी दस लाख बिट्स। यह दर जितनी अधिक होगी, उतनी ही इंटरनेट स्पीड तेज होगी। हाई बैंडविथ का अर्थ है 2 से 4 एमबीपीएस की दर से डेटा ट्रांसफर करना। 4 जी (फोर्थ जनरेशन) बैंडविथ जाहिर है, 3 जी से ज्यादा तेज है, लेकिन यह देश में कुछ स्थानों पर ही उपलब्ध है। सामान्यत: ब्राउज़िंग के लिए 2एमबीपीएस की बैंडविथ पर्याप्त मानी जाती है। डेटा के डाउनलोड और अपलोड में स्पीड अलग-अलग होती है। डाउनलोड का अर्थ होता है किसी चीज या डेटा को किसी एक डिवाइस में सेव कर लेना। यदि अपलोड की बात करें तो कंटेंट को किसी वेबसाइट पर फोटोग्राफ या वीडियो की तरह अपलोड किया जा सकता है। यह ठीक उसी तरह से रहता है, मानो आप कॉलेज में ऑनलाइन एडमिशन फॉर्म भर रहे हों या फिर कोई कंपनी रजिस्टर कर रहे हों। आमतौर पर डाउनलोड की स्पीड अपलोड के मुकाबले अधिक रहा करती है। इस तरह की सेवाएं देने वाली कंपनियां अपने विज्ञापनों में स्पीड का जिक्र करती हैं। यदि कंपनी 20 एमबीपीएस की स्पीड देने का वादा करती है तो, यह सर्वाधिक स्पीड है, जो आदर्श परिस्थितियों में ही उपलब्ध हो सकती है। फिर भी यदि यूजर्स ज्यादा हो जाते हैं तो स्पीड जाहिर है, कम हो जाएगी। इसलिए यूजर्स को यह ध्यान रखना चाहिए कि प्लान खरीदते समय अपने करीबियों या पड़ोसियों से पूछ लें कि इस सर्विस प्रोवाइडर की स्पीड कैसी है।  
क्या होती है बैंडविथ: यदि इंटरनेट के संदर्भ में देखें तो इसे इस तरह से समझ सकते हैं। मान लीजिए आप किसी हाइवे पर जा रहे हैं। आपको ए से लेकर बी स्थान के बीच की दूरी तय करना है। आपके वाहन की गति कितनी होगी, यह सड़क की चौड़ाई पर ही निर्भर नहीं होगा, वरन यह भी देखना होगा कि सड़क पर वाहन कितने हैं। मान लीजिए इस हाइवे से यदि एक घंटे में 1000 वाहनों के निकलने की क्षमता है, तो वह उसकी बैंडविथ है। एक और उदाहरण है, मान लीजिए आपको पानी से एक टैंक भरना है तो उसमें कितना समय लगेगा। यह पाइप की चौड़ाई और पानी के दबाव पर निर्भर करेगा। यहां पर जो पाइप की गोलाई या डायमीटर है और पानी का दबाव है, वह तय करेगा कि पानी का फ्लो कैसा है, लीटर प्रति सेकंड के हिसाब से। यही उसकी बैंडविथ है। इसी प्रकार से इंटरनेट डिवाइस में बैंडविथ मेगाबिट्स प्रति सेकंड के हिसाब से तय होती है। 
मोबाइल टेक्नोलॉजी के संदर्भ में: इसे फिर उस बिजनेसमैन के हिसाब से समझिए। यह बिजनेसमैन अपने भाई को अमेरिका में फोन लगाता है। बाद में वह अपना फोटो और एक वीडियो भी भाई को भेजता है। इस तरह के सभी कम्यूनिकेशंस में डेटा, बैंडविथ या स्पैक्ट्रम के द्वारा ट्रांसफर किया जाता है, जो कि आपको मोबाइल सेवा देने वाली कंपनी को सरकार द्वारा आवंटित किया गया है। स्पैक्ट्रम रेंज ऑफ फ्रीक्वेंसी है। यह नेशनल नेचुरल रिसोर्स है। इसकी फ्रीक्वेंसी को हर्ट्ज में मापा जाता है। इसका नाम ख्यात जर्मन भौतिकशास्त्री हैनरिक हर्ट्ज के नाम पर रखा है। 2015 के आरंभ में संचार मंत्रालय और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने 2100, 1800, 900 और 800 मेगाहर्ट्ज के बैंड्स की नीलामी की घोषणा की थी। 
वॉइस कॉल के संदर्भ में: इंटरनेट पर डेटा ट्रांसमिशन की तुलना में वॉइस ट्रांसमिशन में काफी कम बैंडविथ लगती है। इसका कारण है कि इंटरनेट के जरिए ट्रांसफर किए जाने वाले ऑडियो, वीडियो और फोटोग्राफ की फाइल साइज काफी अधिक रहती है, जबकि वॉइस में काफी छोटी फाइल होती है। साथ ही सामान्य तरह से वॉइस कॉल में एक ओर जो व्यक्ति बात कर रहा है, वह केवल 50 फीसदी अवधि ही बात करता है। इसका अर्थ यह है कि प्रत्येक कॉल में जो फाइल ट्रांसफर है, वह तुलनात्मक रूप से काफी कम हो जाता है। 
कॉर्पोरेट वर्ल्ड में इसके मायने: बैंडविथ का एक और पक्ष है, जो इसके तकनीकी पहलू से अलग है। कॉर्पोरेट में इस शब्द का जो प्रयोग रहता है वह काम को करने की क्षमता का होना और न होने से जुड़ा हुआ है। यह उपलब्ध साधन जैसे समय, संसाधन आदि पर निर्भर करता है। किसी काम को पूरा करने के लिए यदि पर्याप्त बैंडविथ नहीं है तो वह कार्य संभव नहीं है। मान लीजिए किसी ऑफिस में किसी कस्टमर सर्विस रिप्रेजेंटेटिव के पास किसी दूसरे व्यक्ति का सारा काम आ जाता है तो हो सकता है कि ई-मेल पर तेजी से बढ़ने वाली कस्टमर्स की शिकायतों का वह पर्याप्त बैंडविथ (क्षमता) न होने के कारण जवाब न दे सके। यानी उसके पास इस अतिरिक्त काम करने की क्षमता नहीं है। इसलिए ज्यादा काम देने पर कॉर्पोरेट वर्ल्ड में कहा जाता है-मेरी इतनी बैंडविथ नहीं है। 
फैक्ट: 1950 तक देश की सशस्त्र सेनाएं कम्यूनिकेशन के लिए ट्रोपोस्कैटर का प्रयोग किया करती थी। बाद में वायरलेस टेलीफोन के लिए 2जी और 3जी स्पैक्ट्रम का प्रयोग किया गया। सेना ने अपना कुछ स्पैक्ट्रम सार्वजनिक उपयोग के लिए रिलीज किया है।
साभार: अमर उजाला समाचार
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