एन. रघुरामन (मैनेजमेंट गुरु)
उदाहरण 1: गुरुवार को सुबह मैं दैनिक भास्कर ग्रुप के चेयरमैन रमेशचंद्रजी अग्रवाल के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए भोपाल जाने के रास्ते में था। बुधवार को उनका हार्ट अटैक के बाद निधन हो गया। हालांकि,
कॉफी पीने की मेरी जरा भी इच्छा नहीं थी, लेकिन सेलेब्रिटी शेफ संजीव कपूर और उनकी पत्नी अलियोना के आग्रह पर मैं जेट एयरवेज़ के लाउंज में काफी पीने बैठ गया। लाउंज में मैंने एक सर्विंग कर्मचारी के चेहरे पर दर्द के भाव देखे। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। ध्यान से देखने पर पता चला कि पल्लवी नाम की इस कर्मचारी के दाएं पैर पर चोट लगी थी, लेकिन फिर भी वह सुबह की फ्लाइट के रश को संभालने के लिए दौड़-भाग कर रही थी। उसके सहकर्मी इस कोशिश में लगे थे कि उसे कम से कम कदम उठाने पड़ें और जख्मी पैर को और नुकसान हो। अचानक संजीव ने एक यात्री को वह घटना मोबाइल पर रिकॉर्ड करते देख कहा कि आजकल कुछ पता नहीं चलता कि कौन कब क्या रिकॉर्ड कर रहा है। सभी के पास हाई क्वालिटी कैमरा होता है। सार्वजनिक स्थानों पर तो आप स्थायी रूप से स्कैनर की निगरानी में होते हैं।
बाहर जाते समय मैंने उससे पूछ लिया कि क्यों इस छोटी-सी घटना को रिकॉर्ड कर रहा था। उसने मुझे चौंकाते हुए पूछा- क्या आपको लगता है यह छोटा प्रयास है, बिल्कुल नहीं। आज हम उन लोगों को खो चुके हैं जो दूसरों के चेहरों पर दर्द देखकर उनकी मदद करते हैं। मांगने पर भी लोग मदद के लिए मुश्किल से ही सामने आते हैं। और यहां युवाओं का एक समूह अपने सहकर्मी के चेहरे पर दर्द देखकर उसकी मदद कर रहा है। मैं इसे रिकॉर्ड करना चाहता था, ताकि अपने स्टाफ के सदस्यों को दिखा संकू कि उन्हें ऐसा शिष्टाचार सहकर्मियों के साथ नहीं तो कम से कम गेस्ट के साथ तो दिखाना ही चाहिए। मैं हॉस्पिटेलिटी यूनिट चलाता हूं, इसलिए यह उदाहरण अपने स्टाफ के उन सदस्यों को प्रशिक्षित करने में मेरे काम सकता है, जिनमें संवेदनशीलता का अभाव है। हालांकि किसी को निजी रूप से रिकॉर्ड करना अनैतिक हो सकता है, लेकिन मैं उन्हें यह कहने की हिम्मत नहीं कर सका, क्योंकि मुझे उनकी सोच उचित लगी।
उदाहरण 2: एक दिन पहले ही मुझे वॉट्सएप पर वीडियो शेयर मिला है, जिसमें भारतीय रेलवे ट्रैफिक सर्विसेस की युवा और प्रतिभाशाली ऑफिसर स्वाति सिन्हा रेलवे क्लेम एडवोकेट पैनल की एक वकील दलीलाह फर्नांडिस को मुंबई के सीएसटी स्टेशन पर सोमवार को पीटती नज़र रही हैं, जिसे एक प्रत्यक्षदर्शी ने अपने फोन में रिकॉर्ड कर लिया और इसके आधार पर स्वाति के खिलाफ एक गैर-संज्ञेय अपराध दर्ज कर लिया गया।
इन दो घटनाओं ने मुझे याद दिलाया कि रमेश अग्रवालजी ने एक बार मेरे स्टाफ से भोपाल के संबोधन में क्या कहा था। उन्होंने कहा था, 'आप सभी भास्कर ब्रैंड का प्रतिनिधित्व करते हैं और समाज में आपके व्यवहार में इस ब्रैंड के मूल्य नज़र आने चाहिए। आपका अच्छा और बुरा व्यवहार ऐसे देखा जाएगा कि देखो भास्कर के लोग कैसा व्यवहार करते हैं। और वे शायद ही कभी आपका नाम लेंगे, खासकर तब जब आप समाज में बुरा व्यवहार करेंगे। इसलिए मेरा आप सभी से अनुरोध है कि इस ब्रैंड को आगे बढ़ाएं, यहां तक मैं उसे ले आया हूं।' उनकी बात कितनी तर्कसंगत थी। दुनिया के पास अब ऐसे संसाधन हैं कि हमारे हर पल को रिकॉर्ड किया जा सकता है, जो हमें और जिस ब्रैंड से हम जुड़े हैं उसे किसी भी दिशा में ले जा सकता है- ऊंचाई पर या नीचे।
फंडा यह है कि मोबाइलफोन के इस दौर में सार्वजनिक स्थानों पर अच्छा व्यवहार करना और महत्वपूर्ण हो गया है।
इन दो घटनाओं ने मुझे याद दिलाया कि रमेश अग्रवालजी ने एक बार मेरे स्टाफ से भोपाल के संबोधन में क्या कहा था। उन्होंने कहा था, 'आप सभी भास्कर ब्रैंड का प्रतिनिधित्व करते हैं और समाज में आपके व्यवहार में इस ब्रैंड के मूल्य नज़र आने चाहिए। आपका अच्छा और बुरा व्यवहार ऐसे देखा जाएगा कि देखो भास्कर के लोग कैसा व्यवहार करते हैं। और वे शायद ही कभी आपका नाम लेंगे, खासकर तब जब आप समाज में बुरा व्यवहार करेंगे। इसलिए मेरा आप सभी से अनुरोध है कि इस ब्रैंड को आगे बढ़ाएं, यहां तक मैं उसे ले आया हूं।' उनकी बात कितनी तर्कसंगत थी। दुनिया के पास अब ऐसे संसाधन हैं कि हमारे हर पल को रिकॉर्ड किया जा सकता है, जो हमें और जिस ब्रैंड से हम जुड़े हैं उसे किसी भी दिशा में ले जा सकता है- ऊंचाई पर या नीचे।
फंडा यह है कि मोबाइलफोन के इस दौर में सार्वजनिक स्थानों पर अच्छा व्यवहार करना और महत्वपूर्ण हो गया है।
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साभार: भास्कर समाचार
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