Tuesday, April 18, 2017

निजी प्रकाशकों की किताबें पढ़ाने वाले स्कूल संचालक हो जाएं तैयार; बोर्ड की विशेष फ्लाइंग करेगी "कड़ी कार्रवाई"

किताबों पर कमीशन के खेल को रोकने के लिए अब हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के अधिकारियों ने कमर कस ली है। इसके तहत अब शिक्षा बोर्ड के फ्लाइंग दस्ते स्कूलों में जाकर इस बात का पता लगाएंगे कि स्कूलों में
कौन सी किताबें लगी हुई हैं। जिस स्कूल में निजी प्रकाशकों की किताबें लगी मिलेंगी, उसकी मान्यता तक रद्द की जाएगी। दूसरी तरफ अभिभावकों का कहना है कि शिक्षा बोर्ड का फैसला सराहनीय है, लेकिन इस मामले में अब थोड़ी देर हो चुकी है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। ज्यादातर अभिभावक किताबों के लिए अपनी जेब ढीली कर चुके हैं। लेकिन अपने बच्चों के कारण अक्सर चुप रहने वाले अभिभावक इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि अधिकारी या सरकार इस मामले में कोई एक्शन लेंगे या यह सिर्फ दिखावा है। 
हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डॉ जगबीर सिंह ने बताया कि वार्षिक परीक्षाएं मार्च-2017 की समाप्ति के बाद अब उनके और सचिव अनिल नागर के उड़नदस्ते प्रदेश के स्कूलों का औचक निरीक्षण कर जांच करेंगे सभी विद्यालयों में बोर्ड की ओर से अधिकृत पुस्तकें ही पढ़ाई जा रही हैं या नहीं। यदि जांच के दौरान यह पाया जाता है कि विद्यालय में बोर्ड की ओर से अधिकृत पुस्तकें नहीं पढ़ाई जा रही तो उक्त स्कूल के खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि बोर्ड इस संदर्भ में कई बार आदेश जारी कर चुका है, जिनकी अवहेलना को बहुत गंभीरता से लिया जाएगा। इसमें प्राइवेट स्कूल की मान्यता भी रद्द की जा सकती है और सरकारी विद्यालयों के विरुद्ध भी कार्रवाई के लिए शिक्षा विभाग को लिखा जाएगा। 
बोर्ड फ्लाइंग को दिए स्कूलों का निरीक्षण करने के निर्देश: शिक्षा बोर्ड के अधिकारियों की ओर से जो फैसला लिया गया है उसमें सबसे अच्छी बात यह है कि फ्लाइंग के अंदर जिन अधिकारियों और कर्मचारियों को लगाया जाएगा, उन्हें सिर्फ इसी बात का जिम्मा दिया जाएगा कि वे ज्यादा से ज्यादा स्कूलों का निरीक्षण करें। लिहाजा स्कूल संचालकों को अब या तो अपनी हरकतों से बाज आना होगा या फिर कार्रवाई के लिए तैयार रहना होगा। 
अधिकारी करते हैं टालमटोल: निजी प्रकाशकों की किताबों पर रोक लगाने के लिए शिक्षा विभाग के अधिकारी आदेश तो जारी कर देते हैं, लेकिन आदेशों का पालन हो रहा है या नहीं इस बात का पता लगाने के लिए अधिकारी मुस्तैद नहीं रहते। कर्मचारियों की कमी और अन्य कार्य भी इस बात में बाधा बन जाते हैं। अधिकारियों को कभी कोर्ट केस तो कभी मीटिंगों में भाग लेने के लिए इधर-उधर भागना पड़ता है। लिहाजा प्राइवेट स्कूल संचालक मनमानी करते हुए फीस में बढ़ोतरी करने के अलावा किताबें बदल देते हैं, जिससे अभिभावकों पर आर्थिक बोझ पड़ता है। 
सीबीएसई, एनसीईआरटी, हरियाणा शिक्षा बोर्ड और शिक्षा विभाग की पुस्तकें ही मान्य: शिक्षा बोर्ड की ओर से सभी स्कूलों में पत्र भेजकर यह बताया जा चुका है कि स्कूल संचालक सीबीएसई, एनसीईआरटी, शिक्षा विभाग और शिक्षा बोर्ड की ओर से जारी की गई किताबें की स्कूल में लगाएं ताकि अभिभावकों पर आर्थिक बोझ कम पड़े। अगर स्कूल संचालक उपरोक्त किताबें लगाते हैं तो उसमें कमीशन एक भी रुपया नहीं मिलेगा, जबकि निजी प्रकाशक की किताब लगाने पर 20 से 40 प्रतिशत कमीशन प्रत्येक किताब पर मिल जाता है। इसके अलावा यह नियम भी लागू किया गया है कि जिन किताबों को उपरोक्त प्रकाशक नहीं छापते हैं, वे किताबें निजी प्रकाशकों की लगवाई जा सकती हैं। 
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साभार: भास्कर समाचार 
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