Saturday, April 15, 2017

वार्डरोब मोबाइल ऑडिटर के रूप में बनाए कॅरिअर

एन. रघुरामन (मैनेजमेंटगुरु)
स्टोरी 1: 1960 की तुलना में आज के 24 घंटों में करने के लिए 300 प्रतिशत ज्यादा काम है, इसलिए दुविधा बढ़ती जा रही है। कितना डेटा इस महीने अब तक इस्तेमाल हुआ है से लेकर कौन-सी ड्रेस लंबे समय तक
फैशनेबल बनी रहेगी तक जैसे सवालों पर दुविधा है। कम से कम देश के युवाओं का तो यही हाल है। इसलिए जब 'पर्सनल शॉपर' लिखा अपना विजिटिंग कार्ड तनुश्री राव सौंपती हैं, तो सवाल उठता है कि आखिर उनका काम है, क्या। लोग चौंक जाते हैं, जब वे अच्छे मॉल में पहुंचती हैं और सभी लोग उन्हें पहचानते हैं, जैसे वे सेलिब्रिटी हों। उन्हें दुकानदार बहुत तवज्जो देते हैं, क्योंकि वे नियमित ग्राहक हैं, लेकिन खुद के लिए नहीं। एक साल पहले 30 साल की तनुश्री दूसरों के लिए प्रचार का काम करती थीं। फिर उन्होंने निर्णय किया कि वे खुद का सोशल मीडिया में प्रचारित करेंगी। उन्होंने खुद को अपनी पसंद के क्षेत्र फैशन से जोड़ा। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि उनका पहला क्लाइंट था एक दूल्हा। वह पहले ही बहुत दुविधा में था, क्योंकि उसके पास बजट कम था। अपने लिए एक पर्सनल शॉपर हायर करना और इसके लिए भुगतान करना उसके लिए ऐसा ही था, जैसे केक खरीद लेना और उसे खा भी लेना लेकिन, फिर भी उसने तनुश्री से संपर्क की हिम्मत की। 
तनुश्री ने उसे उसकी पसंद की स्टाइल में सजाया, बल्कि यह सलाह भी दी कि उस पर क्या अच्छा लगेगा। सबसे अच्छी बात यह कि उन्होंने बजट में काम पूरा किया, जिसमें उनकी खुद की फीस भी शामिल थी। पर्सनल शॉपर को पता होना चाहिए कि कैसा फैशन किसके काम का हो सकता है और ये चीजें कहां कस्टमर के बजट में मिल जाएंगी। बजट में आधुनिकता को बनाए रखना एक कला है। लेकिन सबसे बड़ी कला है महिला शॉपर्स में आत्मविश्वास पैदा करना। अधिकतर को लगता है कि वे मोटी हैं और उन्हें छोटे साइज की जरूरत है। उन्हें यह बताना कि वे मोटी नहीं हैं और खूबसूरत हैं। तनुश्री इस काम में माहिर हैं, क्योंकि वे बड़े मॉल्स में काम कर चुकी हैं और 2000 से ज्यादा क्लाइंट्स को इस तरह के सजेशन दे चुकी हैं कि कौन से कलर और लुक उन्हें ट्राय करने चाहिए। आज तनुश्री के क्लाइंट की लिस्ट लॉन्ड्री लिस्ट की तरह है, जिसमें लॉयर्स से लेकर इनवेस्टमेंट बैंकर तक हैं और मॉर्डन यूथ भी। साथ ही वे लोग भी जो अपने वार्डरोब का ऑडिट करवाना चाहते हैं। आपको आश्चर्य होगा फीस 3000 रुपए प्रति घंटे से शुरू होती है। 
स्टोरी 2: किसी 20 साल के युवा से उसके डुअल सिम स्मार्टफोन के डेटा पैकेज के बारे में पूछिए। आपको नकारात्मक जवाब मिलेगा। भारत के आईटी सेक्टर में काम कर रहे कोरिया के आईटी एक्सपर्ट 45 साल के चिओल वॉन ली जानते थे कि एक दिन भारतीय युवाओं के साथ ये होगा, क्योंकि भारत सबसे बड़ा स्मार्टफोन यूज़र (आज यूजर्स की संख्या 202 मिलियन है।) बनेगा। युवा अपना यूसेज ट्रैक नहीं कर पाएंगे। उन्होंने अपना एप शुरू किया। नाम है 'ट्रू बेलेंस', जिसे 3 करोड़ बार डाउनलोड किया जा चुका है और इसे 20 लाख लोग रोज इस्तेमाल कर रहे हैं। इस स्टार्टअप को हाल ही में 100 करोड़ रुपए की फंडिंग प्रतिष्ठित इनवेस्टर आईएमएम इनवेस्टमेंट्स, कोरिया डेवलपमेंट बैंक और मेगा इनवेस्टमेंट से मिली है। यह इस बात का पर्याप्त सबूत है कि यह किस तरह दुविधा में पड़ें युवाओं की समस्या का समाधान कर रहा है। ट्रू बेलेंस'वन स्टॉप मोबाइल बेलेंस मैनेजर और मोबाइल ऑडिटर बनने के लिए तैयार है। वह विज्ञापन कमिशन, रिचार्ज पार्टनर और अन्य मोबाइल सुविधाएं देने वालों के जरिये कमाई करेगा। 
फंडा यह है कि पर्सनलगैजेट्स या पर्सनल कपड़े मैनेज करना कॅरिअर है। संभव है आप किसी के पर्सनल पेरेंन्टिंग कंसलटेंट बन जाएं। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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