जींद जिले के जीतगढ़ गांव का राजकीय प्राइमरी स्कूल छात्रों की संख्या 35 होने के कारण एक साल पहले बंद होने को था। पिछले साल जींद शहर में रहने वाले जेबीटी टीचर दंपती रविंद्र सरोज बाला ट्रांसफर होकर पहुंचे।
दंपती ने मेहनत कर स्कूल की सूरत बदल दी। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। महज एक साल में छात्रों की संख्या 103 करीब पहुंच गई। इस स्कूल में अब 10 किमी दूर जींद शहर आसपास के दो गांवों से करीब 50 बच्चे निजी स्कूल छोड़ यहां पढ़ने आते हैं। स्कूल आने-जाने में दिक्कत हो। इसके लिए टीचर दंपती ने निशुल्क वैन लगाई है, जिसपर 8-10 हजार रुपए दंपती अपनी सेलरी से खर्च करती है। गांव की महिला सरपंच बबली ने इनकी मेहनत देखकर अपना इकलौता बेटा शहर के निजी स्कूल से हटाकर यहीं दाखिला करवा दिया। कई ग्रामीणों ने भी सरकारी स्कूल में दाखिल कराया है। स्कूल में स्वीपर नहीं है, दंपती शिक्षक सुबह आकर सबसे पहले सफाई करते हैं। वर्ष 2017 में ब्लॉक लेवल पर स्कूल को सौंदर्यीकरण में पहला पुरस्कार हासिल हुआ। अपने खर्चे से कंपयूटर शिक्षा से लेकर खेलने तक की सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं। रविंद्र कुमार बताते हैं कि ये सब मेहनत वे सरकारी स्कूलों के गिरते स्तर को ऊंचा उठाने के लिए कर रहे हैं। निजी स्कूल अब दुकान बनकर रह गए हैं।
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साभार: भास्कर समाचार
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