चुनाव में काले धन का इस्तेमाल रोकने के लिए चुनाव आयोग(ईसी) सख्त है। इसके लिए आयोग ने केंद्र सरकार को तीन अहम सुझाव दिए हैं। पहला सुझाव राजनीतिक दलों के दो हजार रु. से ज्यादा गुप्त चंदा लेने पर रोक लगाने का है। अभी यह सीमा 20 हजार रुपए है। दूसरा सुझाव है कि चुनाव नहीं लड़ने वाले राजनीतिक
दलों को आयकर से छूट दी जाए। सिर्फ लोकसभा या विधानसभा चुनाव में सीटें जीतने वाले दलों को ही यह छूट मिले। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। तीसरा सुझाव यह है कि राजनीतिक दल कूपन से चंदा देने वालों का भी पूरा ब्योरा रखा जाए। इन्हें लागू करने के लिए आयोग ने कानून में संशोधन की सिफारिश की है। नोटबंदी से आम लोगों को हो रही परेशानी के बीच चर्चा थी कि पार्टियों के खातों में जमा पुराने नोटों की जांच नहीं होगी। राजस्व सचिव हसममुख अढिया ने साफ किया था कि राजनीतिक दल पुराने नोटों में चंदा नहीं ले सकते। गड़बड़ी पर उनसे भी पूछताछ होगी।
कूपन से जमा चंदे का भी ब्योरा रखने का नियम बनाने की सिफारिश
- गुप्तचंदे पर संवैधानिक रोक नहीं है। एक आंशिक शर्त है। 1951 के जनप्रतिनिधि कानून की धारा 29सी के तहत 20 हजार रु. से ज्यादा के चंदे का ब्योरा जरूरी है।
- आयकरकानून की धारा 13ए के तहत आयकर भरने से भी छूट। संपत्ति, चंदा, कैपिटल गेन या दूसरे स्रोतों से हुई आमदनी पर टैक्स नहीं देना पड़ता।
- कूपन-रसीदसे चंदा देने वालों का ब्योरा जरूरी नहीं। कूपन से जमा 10-20 रु. रकम बहुत बड़ी बन जाती है।
- यहप्रावधान कालाधन सफेद करने का जरिया बन सकता है। बड़ी रकम छोटे-छोटे हिस्सों में दिखाई जा सकती है। मान लीजिए 1 करोड़ रु. मिले हैं। इन्हें 500 लोगों से मिला दिखाकर घोषणा से बचा जा सकता है।
- आयकरछूट के लिए ही कई राजनीतिक दल गठित हुए। देश में 1900 से ज्यादा दलों में से 1400 ने चुनाव ही नहीं लड़ा। 2014 के लोस चुनाव में 45 दल शामिल हुए थे।
- कूपनछपवाने का कोई नियम नहीं है। कितने भी छपवा सकते हैं। 10-20 रुपए के कूपन छपवाकर कितनी भी रकम दान में दिखाई जा सकती है।
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE. Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.