जनता को यह जानने का हक है कि मुख्यमंत्री जयललिता के साथ क्या हुआ? जयललिता के मृत्यु से पूर्व की स्थितियां संदेहास्पद थीं और मौत का कारण न बताया जाना संदेह को और गहरा करता है। इसलिए उनके शव को समाधि से निकलवाकर उसका पोस्टमार्टम कराया जा सकता है। यह कहना है मद्रास हाई कोर्ट के
न्यायाधीश जस्टिस एस वैद्यनाथन का। वह जयललिता की मौत पर दायर जनहित याचिका की सुनवाई कर रही दो सदस्यीय बेंच के प्रमुख हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। अन्ना द्रमुक कार्यकर्ता पीए जोसेफ की याचिका पर जस्टिस वी पार्थीबान के साथ सुनवाई करते हुए जस्टिस वैद्यनाथन ने कहा, अपनी नेता की मौत को लेकर सभी को सवाल पूछने का अधिकार है। उनकी मौत पर मुङो भी कुछ संदेह है। एक दिन कहा जाता है कि वह टहल रही थीं, अगले दिन कहा जाता है कि वह अचानक गुजर गईं। कुछ संदेह पैदा करता है। पूर्व मुख्यमंत्री एमजी रामचंद्रन के स्वास्थ्य के बारे में वीडियो जारी किया गया था लेकिन जयललिता को लेकर ऐसा कुछ नहीं हुआ। मौत को लेकर तस्वीर किए जाने पर वरिष्ठ अधिवक्ता केएम विजयन ने अपने तर्क रखे। जबकि उनका विरोध करते हुए राज्य के महाधिवक्ता मुथु कुमारस्वामी ने कहा कि जयललिता की मौत को लेकर कोई रहस्य नहीं है। इसलिए याचिका पर सुनवाई करने की जरूरत नहीं है। जस्टिस वैद्यनाथन ने आपत्ति जताते हुए कहा कि जिंदा रहना सभी का मूलाधिकार है। जनता जानना चाहती है कि जयललिता के साथ क्या हुआ?
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साभार: जागरण समाचार
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