Monday, December 26, 2016

स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग: पोस्ट ग्रेजुएट लेवल पर उपलब्ध हैं श्रेष्ठ कोर्सेज

स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग सिविल इंजीनियरिंग की एक ब्रांच है। इसमें एक से ज्यादा डिसिप्लिन जैसे कि सिविल, मैकेनिकल और अार्किटेक्चरल इंजीनियरिंग शामिल हंै। सिविल इंजीनियरिंग में सड़कें, सुरंग, बांध और पुल जैसी चीजें डिजाइन करनी होती हैं, जबकि स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग मंे विशिष्ट रूप के डिजाइन जैसे कि बीम, कॉलम्स और फ्लोर के डिजाइन शामिल हैं। जैसा कि नाम से जाहिर है, स्ट्रक्चरल
इंजीनियर स्ट्रक्चर पर फोकस करते हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। सरल शब्दों में कहें, तो इसमें बिल्डिंग्स और स्ट्रक्चर के ढांचे के डिजाइन का अध्ययन शामिल है। स्ट्रक्चरल इंजीनियर एक स्पेशलिस्ट होता है, जो डिजाइन, कंस्ट्रक्शन, रिपेयर जैसे कामों में माहिर होता है। स्ट्रक्चरल इंजीनियर उन सभी स्ट्रक्चर के डिजाइन के लिए जिम्मेदार होते हैं, जिसमें दबाव अधिक होता है। 
स्ट्रक्चलर इंजीनियर डिजाइन और कंस्ट्रक्शन टीम, सिविल इंजीनियरिंग टीम या अन्य कंस्ट्रक्शन टीम का अहम हिस्सा होते हैं। ये पुल, बिल्डिंग, पाइपलाइन जैसे वजन, दवाब और भूकंपीय गतिविधियों को झेल सकने वाले ढांचों के डिजाइन तैयार करते हैं। उदाहरण के तौर पर बिल्डिंग को तैयार करने से पहले उसका तेज हवाओं के विरुद्ध और भूकंप विरोधी होना जरूरी होता है और इसका डिजाइन भी इसके लिहाज से तैयार किया जाता है। इनके प्रमुख कामों से एक ऐसा स्ट्रक्चर डिजाइन करना होता है, जो प्राकृतिक आपदाओं के लिहाज से ज्यादा से ज्यादा सुरक्षित हों। इंफ्रास्ट्रक्चर, कॉर्पोरेट और अन्य सेक्टरों के विकास के साथ स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग कॅरिअर का बेहतर विकल्प बन रहा है। स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग करने वाले छात्र आर्किटेक्चरल फर्म, इंजीनियरिंग फर्म, कंस्ट्रक्शन फर्म और सरकारी फर्म में काम कर सकते हैं। इसके अलावा वे खुद का बिज़नेस भी शुरू कर सकते हैं। इसके साथ ही शिक्षण संस्थानों मंे नाैकरी के अवसर हैं। 
एलिजिबिलिटी: बैचलर स्तर पर स्ट्रक्चलर इंजीनियरिंग के कोर्स मौजूद नहीं हैं। स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में स्पेशिएलिटी हासिल करने के लिए पहले छात्रों को सिविल या मैकेनिकल इंजीनियरिंग से बीई या बीटेक करना होगा। बैचलर कोर्स में प्रवेश के लिए 12वीं में फिजिक्स, केमिस्ट्री मैथ्स विषय और जेईई मेन स्कोर जरूरी है। कुछ संस्थान अपना एंट्रेंस टेस्ट भी आयोजित करते हैं। इसके बाद छात्र स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग के एमई या एमटेक कोर्स में प्रवेश ले सकते हैं। आगे की पढ़ाई के लिए छात्र पीएचडी कोर्स भी चुन सकते हैं। 
कमाई: स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में फ्रेशर को 15 हजार से 20 हजार रुपए प्रति माह तक का पैकेज मिल सकता है। कुछ वर्षों के अनुभव के बाद 50 से 60 हजार रुपए प्रति माह तक का पैकेज मिल सकता है। कुछ प्राइवेट संस्थानों मंे सैलरी पैकेज एक लाख रुपए प्रति माह तक हो सकता है। 
प्रमुखसंस्थान:
  • इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, दिल्ली www.iitd.ac.in/
  • सरदार वल्लभभाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, सूरत www.svnit.ac.in/
  • नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, हमीरपुर https://www.nith.ac.in/
  • नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, श्रीनगर www.nitsri.net/

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साभार: भास्कर समाचार 
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