जाट आरक्षण आंदोलन में हुई हिंसा की जांच के लिए गठित प्रकाश सिंह कमेटी की रिपोर्ट पर सरकार के ही मंत्री ने ही सवाल खड़े कर दिए हैं। पं. भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस पर वीरवार को रोहतक पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने रिपोर्ट के संबंध में कहा कि यह गीता नहीं है, जिसमें
लिखे शब्द गलत नहीं हो सकते। उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि कमेटी की रिपोर्ट आधी-अधूरी है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। कमेटी में तीन सदस्य थे, लेकिन हस्ताक्षर केवल प्रकाश सिंह के हैं। कमेटी में शामिल डीजीपी केपी सिंह व तीसरे सदस्य के हस्ताक्षर नहीं हैं। हो सकता है कि रिपोर्ट केवल सुझावात्मक हो और उससे बाकी दोनों सदस्य सहमत न हों। विज ने कहा कि रिपोर्ट का बारीकी से अध्ययन किया जा रहा है।
जरूरी नहीं रिपोर्ट में दर्शाए सभी अफसर-कर्मी दोषी हों: पीजीआइ की चौधरी रणबीर सिंह ओपीडी में विभिन्न सुविधाओं का उद्घाटन करने के बाद स्वास्थ्य मंत्री ने पत्रकारों से चलते-चलते वार्ता की। इस दौरान प्रकाश सिंह कमेटी की रिपोर्ट पर उठ रहे सवालों पर मंत्री विज ने कहा कि यह जरूरी नहीं है कि रिपोर्ट में दोषी दर्शाए गए सभी अफसर दोषी हों। हो सकता है कि उनमें ऐसे अफसर भी हो जिनका पूर्व का रिकार्ड काफी बेहतर रहा हो। ऐसा भी हो सकता है कि उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका ही नहीं मिला हो। जाट आरक्षण को लेकर पांच जून को आंदोलन की घोषणा के सवाल पर अनिल विज ने कहा कि हमने आरक्षण बिल बनाकर विधानसभा में पास करा दिया। अगर कोई कोर्ट में चला गया तो कोर्ट में ही लड़ा जाएगा। आप एक तरफ कोर्ट में लड़ रहे, फिर सड़क पर लड़ाई क्यों। हमने आपकी हर मांग मानी है, पूरी की है। पांच जून को हालात के बेकाबू होने के अंदेशे के सवाल पर विज ने साफ कहा कि सरकार पूरी तरह तैयार है। चिड़िया को भी पर नहीं मारने देंगे।
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साभार: जागरण समाचार
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