Tuesday, June 7, 2016

धर्म और भगवान के नाम पर ठगी का मायाजाल और लुटता हुआ बेवकूफ भारत

Naresh Jangra (Lecturer in Maths, Fatehabad)
छुट्टियों के दौरान कुछ खाली समय का उपयोग टीवी देखकर कर रहा हूँ। चैनल बदलते बदलते एक चैनल लग जाता है, जिस पर टेलीशॉपिंग के जरिये हनुमान जी के कुछ मंत्र हजारों रुपए में बेचे जा रहे हैं। 2-4 मिनट देखा, सुना। कुछ फ़िल्मी और टीवी की हस्तियां हनुमत्कवच की महिमा का बखान कर रही हैं। बीच में ही एक मरियल
सा लड़का आता है, बोलता है - "मैं बहुत परेशान था। मुझे कहीं भी नौकरी नहीं मिल रही थी। फिर मुझे मिला ......." बहुत अच्छी एक्टिंग करता है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। बोर होकर चैनल और बदले। एक चैनल पर ऐसे ही माँ दुर्गा की तस्वीर को लॉकेट में डाल कर कोई अभिनेत्री हजारों में बेच रही है, भारी भरकम डिस्काउंट पर। एक महिला आती है - "हम पहले बड़े परेशान थे। घर में क्लेश रहता था। बेटी पर ऊपरी हवा का साया था। फिर मुझे एक सहेली ने इस लॉकेट के बारे में बताया।" अभी थोड़ी देर पहले ही टीवी चल रहा था। पहले सोचता था कि सिर्फ हिन्दू समुदाय के लोगों को ही ठगा जा रहा है। लेकिन आज पता चला कि ठगी का टारगेट सिर्फ हिन्दू समुदाय नहीं, मुस्लिम धर्म के मानने वालों की भी जेब काट रहे हैं ये लोग तो। टीवी और फिल्म स्टार के इलावा एक प्रसिद्ध गायक महोदय भी गाकर ग्राहकों को लुभाते नजर आते हैं। एक पति पत्नी का इंटरव्यू आता है; बोलती है पहले ये मुझसे मुहब्बत नहीं करते थे। मुझे देखन तक पसंद नहीं करते थे। (आदमी बेचारा पछताने और शर्मिंदा होने की एक्टिंग करता है) फिर मुझे अल्लाह के नाम वाला ये लॉकेट मिला तो मैंने खुद भी पहना और अपने शौहर को भी दिया। आज हमारी शादीशुदा जिंदगी में खुशियाँ ही खुशियाँ हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। एक लड़की आकर बोलती है कि पहले लड़के मुझे रास्ते में तंग करते थे। जब से ये लॉकेट गले में है, तब से किसी की हिम्मत ही नहीं पड़ती मुझे छेड़ने की। 
मतलब कोई भी अगर घर की वजह से, परिवार की वजह से, बीमारी, भूत प्रेत, बेरोजगारी, गरीबी की वजह से दुखी है तो 1099 या 2199 या 2999 रुपए खर्च करे और अपने गले में हनुमान जी, दुर्गा जी या अल्लाह को लटका ले और सब संकट दूर। 
इससे भी ज्यादा हैरानी की बात ये है कि पढ़े लिखे और तथाकथित समझदार लोग इन ठगों के चक्कर में पड़ते हैं। जबकि एक थोड़े से ठीक ठाक दिमाग वाले आदमी को टीवी पर विज्ञापन देखते ही समझ आ जाना चाहिए कि ये पैसे बनाने का धंधा है बस और कुछ नहीं। जो लोग इंटरव्यू देते हैं इन ऐड्स में, उनकी बॉडी लैंग्वेज, बोलने का तरीका और शब्दावली सब रटा-रटाया और बनावटी दिखता है। 
ये सब और कुछ नहीं हम लोगों की धार्मिक आस्था वाली भावना की आड़ में हमें 'इमोशनली ब्लैकमेल' करके 10 रुपए का माल 1000 रुपए में बेचकर हराम की कमाई खाने का धंधा है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। 
जो लोग इस बनावटीपन को नहीं समझ पाते वो बनते हैं फिर बकरे। और कट जाते हैं 1199 में, 1999 में और कई कई तो बेचारे गरीबी से पहले ही तंग होते हैं; ऊपर से 2599 रुपए में अम्बानी बनने के सपने को पूरा करने के चक्कर में जो पास होता है वो और खो बैठते हैं। क्यों? आदमी लॉकेट मंगवाता है, बीवी चार सुनाती है फिर। "खाण खातर दाणे कोनी, अर 2000 का लॉकेट ले आया, इतणे रपियां का तेरी माँ नै भी पहरया था के कदे।" क्लेश और शुरू। 
तो मुझे तो लगा कि ये बात हरसमाचार के पाठकों से साझा करनी चाहिए ताकि किसी के भी मन में कोई अन्धविश्वास टाइप का वहम हो तो निकल जाए। भगवान, अल्लाह या गॉड में आस्था होनी चाहिए। मेरी भी है, लेकिन उस आस्था की आड़ में ठगे मत जाना कहीं। बात अच्छी लगी तो पोस्ट को यथावत (यूँ का यूँ) कृपया शेयर अवश्य करें। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
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