दुनिया में महाशक्ति के रूप में खुद को स्थापित करने के लिए भारत अब हथियारों के निर्यात की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। इसके लिए वह ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल सिस्टम वियतनाम को बेचने का सौदा करने के करीब है। रूस के साथ मिलकर विकसित की गई इस अत्याधुनिक मिसाइल को बेचने के लिए भारत की निगाह में 15 अन्य
देश भी हैं। इनके साथ वह चीन को ध्यान में रखकर सौदेबाजी कर रहा है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुपरसोनिक मिसाइल तैयार करने वाली कंपनी ब्रह्मोस एयरोस्पेस को उत्पादन बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। वियतनाम के अतिरिक्त जिन चार देशों से मिसाइल बिक्री पर बात चल रही है उनमें इंडोनेशिया, दक्षिण अफ्रीका, चिली और ब्राजील शामिल हैं।
दूसरी 11 देशों की सूची में ब्रह्मोस के संभावित खरीदारों में फिलीपींस सबसे ऊपर है, जबकि मलेशिया, थाइलैंड और संयुक्त अरब अमीरात भी शामिल हैं। इन सौदों से भारत की छवि बदलेगी, साथ ही उसे विकास कार्यो के लिए आवश्यक धनराशि भी मिलेगी। हाल में मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजिम (एमटीसीआर) का सदस्य बनने के बाद भारत अब अन्य देशों को मिसाइल बेचने में सक्षम हो गया है। वियतनाम सन 2011 से दुनिया की इस सबसे तेज मिसाइल की खरीद के लिए प्रयासरत है। आवाज से तीन गुना तेज गति से उड़कर वार करने वाली यह मिसाइल वह चीन से बचाव में इस्तेमाल करना चाहता है। इंडोनेशिया और फिलीपींस ने भी भारत से ब्रह्मोस लेने की इच्छा जताई है। यह मिसाइल जमीन और समुद्र से 290 किलोमीटर तक मार करने में सक्षम है। उल्लेखनीय है कि वियतनाम, फिलीपींस और मलेशिया की दक्षिण चीन सागर मसले पर चीन के साथ तनातनी चल रही है।
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साभार: जागरण समाचार
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