केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रलय के आदेशों के बाद गोल्ड फील्ड मेडिकल कालेज के एमबीबीएस के विद्यार्थियों को अन्य प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में समायोजित करने के बाद भी इन छात्रों की मुश्किलें कम नहीं हुई हैं। अब प्राइवेट कॉलेज संचालक इन विद्यार्थियों से पांच-पांच लाख रुपये फीस मांग रहे हैं। इस कारण एमबीबीएस के
64 विद्यार्थियों का भविष्य अधर में लटक गया है। विद्यार्थियों ने स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज से मिलकर उन्हें अपनी समस्या से वाकिफ कराया है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। गोल्ड फील्ड मेडिकल कालेज के करीब 400 विद्यार्थियों के साथ पिछले काफी समय से मजाक चल रहा है। पहले तो एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे इन विद्यार्थियों के भविष्य की परवाह किए बिना कालेज प्रबंधक फरार हो गए। जब यह मामला स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज तक पहुंचा तो उन्होंने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा से मिलकर इन विद्यार्थियों के भविष्य के बारे में फैसला लेने का आग्रह किया। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रलय के हस्तक्षेप के बाद इन विद्याíथयों का दाखिला राज्य के सरकारी व प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में करवाने का फैसला हुआ। मैरिट आधार पर दाखिला लेने वाले विद्याíथयों को सरकारी मेडिकल कॉलेजों में समायोजित किया गया, जबकि मैनेजमेंट कोटे के तहत दाखिला लेने वालों को प्राइवेट कॉलेजों में समायोजित किया गया। सरकार ने इनके लिए 50-50 हजार रुपये की सिक्योरिटी राशि और 60-60 हजार रुपये की फीस तय कर दी। स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के अनुसार प्राइवेट मेडिकल संचालक अब इन विद्याíथयों से 5-5 लाख रुपये की सिक्योरिटी और फीस मांग रहे हैं। ऐसे 50 विद्यार्थी हैं। इनके अलावा 14 विद्यार्थी ऐसे हैं, जिनकी अलग-अलग विषयों में सप्लीमेंटरी है और उन्हें केवल पेपर देने हैं। प्राइवेट स्कूल संचालकों द्वारा दाखिले के साथ-साथ वर्षभर की फीस की मांग की जा रही है।
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साभार: जागरण समाचार
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