हरियाणा में फरवरी में हुए जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान अधिकारी पूरी तरह से दंगाइयों के हाथों में खेल रहे थे। अधिकारियों को प्रदेश के लोगों की चिंता कम और अपनी तथा अपने परिवार की अधिक चिंता थी। इनमें डीसी और एसपी रैंक तक के अफसर शामिल थे। इन अफसरों ने दंगाइयों को उनकी मर्जी के मुताबिक प्रदेश को
तहस नहस करने की छूट दे रखी थी और खुद अपने कैंप कार्यालयों तथा घरों में दुबक कर बैठ गए थे। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह की 416 पेज की रिपोर्ट में इसी तरह की टिप्पणियां की गई हैं। रिपोर्ट में हर जिले में हुए आंदोलन, उसके स्थान, नुकसान और अधिकारियों की भूमिका का बाकायदा जिक्र किया गया है। उन्होंने मुख्यालय से फील्ड में भेजे गए आइएएस और आइपीएस अधिकारियों से भी जिलों में तैनात डीसी एसपी के बारे में रिपोर्ट ली और उन्हें अपने आकलन का हिस्सा बनाया। रिपोर्ट में साफ तौर से कहा गया है कि डीसी और एसपी के बीच तालमेल नहीं था और वे एक दूसरे के आदेशों को हवा में उड़ा रहे थे। झज्जर के तत्कालीन एसडीएम पंकज सेतिया ने तो कार्रवाई के लिए आर्मी को अनुमति देने वाले कागज पर साइन तक करने से मना कर दिया था। एडीसी नरेश नरवाल ने फिर हिम्मत कर इस कागज पर हस्ताक्षर किए। तब जाकर सेना ने कार्रवाई की। प्रकाश कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार जींद जिले के सफीदो में डीएसपी हरेंद्र कुमार ने उन तीन दंगाइयों को छोड़ दिया था, जिन्हें पकड़कर लोगों ने उन्हें सौंपा था। डीएसपी ने इन दंगाइयों को भगा दिया। वे दंगाइयों के हाथों की कठपुतली बने रहे। हिसार के तत्कालीन डीसी चंद्रशेखर के बारे में प्रकाश कमेटी ने तलख टिप्पणियां की हैं। कमेटी ने कहा है कि डीसी दंगाइयों के हाथों में खेल रहे थे। प्रकाश कमेटी के सामने लोग जब अपनी बात कह रहे थे, तब उत्तेजित होकर डीसी पीड़ितों से बहस करने लगे। प्रकाश कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक कैथल के एसपी कृष्ण मुरारी की मौजूदगी में दंगाइयों ने खुलकर तांडव दिया। एसपी के पदमा माल के बाहर खड़े होने के बावजूद दंगाइयों ने माल में घुसने का साहस किया और दंगाइयों के सामने एसपी इतने लाचार हो गए थे कि उन्हें रोकने के लिए एसपी ने अपनी टोपी तक उतार कर झुका दी थी। कैथल के तत्कालीन डीसी निखिल गजराज की कार्य प्रणाली पर भी प्रकाश कमेटी ने सवाल उठाते हुए कहा कि वे इतना छोटा शहर होने के बावजूद दंगों को कंट्रोल नहीं कर सके और कैथल से बाहर के इलाकों में नहीं जा पाए।
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साभार: जागरण समाचार
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