स्टोरी 1: सन्नीअरोकिया स्वामी, बालचंद्र एम हेगड़े, कुमार स्वामी और कोतरेश वीरप्पुरा। ये सभी बेंगलुरू के एमएस रमैया इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट के छात्र हैं। ये ऐसा कुछ करना चाहते थे, जो देश की आजादी के 69 वर्षों में कभी हुआ हो। ऐसा वे क्या कर सकते हैं, यह जानने के लिए इन्होंने एक टूर किया और अपनी रिसर्च में उत्तर कन्नड़ा जिले के जोइडा ताल्लुका के कई गांव देखे, जिनमें आज तक बिजली नहीं पहुंची थी। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। उन्होंने पाया कि खूबसूरत पश्चिमी घाट में कई रिहायशी बस्तियां हैं, लेकिन सड़कें और अन्य सुख-सुविधाएं नहीं हैं। अचरज तो यह था कि बिजली का तो यहां किसी ने नाम भी नहीं सुना है। उन गांवों में से उन्होंने दो छोटे गांवों- घाटकुनांग और खानगांव को चुना। यहां अधिकांश लोग धान की खेती करते हैं। जब उनके पास पैसों की कमी हो जाती है तो वे गोवा चले जाते हैं और दिहाड़ी मजदूरी करने लगते हैं। सिर्फ दो घंटे के सफर में उनके गांव से गोवा पहुंचा जा सकता है। उन्होंने इन गांवों के विकास के लिए जरूरी चीजों के अनुसार योजना बनाई और अपने कॉलेज लौटे। उनके कॉलेज से उन्हें इस प्रोजेक्ट के लिए 4 लाख रुपए का फंड मिल गया।
उन्होंने अन्य छात्रों की मदद से एक सोलर सिस्टम पर काम शुरू किया। यह सिस्टम सभी तरह के मौसम में काम कर सकता है। हर सिस्टम उन्हें 20 हजार रुपए का पड़ा और उन्होंने दोनों गांवों में बिजली की व्यवस्था करने के लिए ऐसे 20 सिस्टम लगाए। गांव के लोगों को इनके रखरखाव की ट्रेनिंग भी दी गई। स्थानीय इलेक्ट्रिशियन को भी सामने आने वाली तकनीकी समस्या से निपटने के लिए प्रशिक्षण दिया गया। इस साल अप्रैल के शुरू में जब पहला बल्ब रोशन हुआ तो लोगों के चेहरों पर आई मुस्कान को भुलाया नहीं जा सकता। गांव वालों ने अपने घरों में बल्ब देखा तो इतने प्रसन्न हुए कि कई घंटों तक ईश्वर का आभार मानते हुए प्रार्थना करते रहे।
स्टोरी 2: यह किसी पेड़ की तरह नज़र आता है, लेकिन इसमें दो बातें अलग हैं। एक तो यह कि इसके तने पर चमकदार भूरा रंग पेंट किया गया है और दूसरा इससे शाखाओं और पत्तियों की नहीं बल्कि, सबसे ऊपर लगे सोलर पैनल की परछाई मिलती है। सौर ऊर्जा के प्रचार के लिए अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन सोलर पैनल का इस तरह का एक पेड़ इंस्टॉल कर रहा है। इससे लोगों को गेजेट्स चार्ज करने और वाई-फाई की सुविधा मिलेगी। गुजरात की राजधानी में इस तरह के कई पावर ट्री लगाए जाने हैं। पावर ट्री का अनोखा कॉन्सेप्ट इस क्षेत्र में स्वच्छ ऊर्जा के प्रचार के लिए लाया जा रहा है। पहला पावर ट्री रिवर फ्रंट गार्डन में सुभाष ब्रिज के पास लगाया जा रहा है। इसके इस्तेमाल के आंकलन और सफलता के बाद अन्य सार्वजनिक स्थानों पर इसी तरह के पेड़ लगाए जाएंगे। इससे सैल फोन के साथ लैप टॉप भी चार्ज किए जा सकते हैं।
पेड़ से लोगों के इस्तेमाल के लिए दस पावर पॉइंट दिए गए हैं। सुविधा के साथ सुरक्षा के उपाय भी हैं, जिससे दुरुपयोग भी रोका जा सके। वन टाइम पासवर्ड के माध्यम से यूज़र मोबाइल फोन पर वाई-फाई सुविधा इस्तेमाल कर सकता है। यह सुविधा 10 से 15 मिनट की तय समय सीमा के लिए आकस्मिक काम के लिए उपलब्ध होगी। पावर ट्री कलात्मक और तकनीकी प्रयासों का समावेश है। यह सोलर आर्ट वर्क है। इस तरह के कुछ सोलर ट्री यूरोपीय देशों और उत्तरी अमेरिका में सार्वजनिक स्थानों, शैक्षणिक कैम्पस, व्यावसायिक क्षेत्रों और बागीचों में लगाए गए हैं।
फंडा यह है कि अगर आप वही काम कर रहे हैं, जो पहले भी हो चुके हैं, तो उन्हें ऐसे स्थानों पर कीजिए जहां पहले हुए हुए हों और इस तरह कीजिए जैसा आजादी के 69 वर्षों में किसी ने सुने हों। फिर देखिए कि कैसे आपकी इस रचनात्मकता को पहचान और सराहना मिलती है।
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साभार: भास्कर समाचार
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