नई शिक्षा नीति बनाने को लेकर होटल लीला में शनिवार को उत्तरी क्षेत्र कंसल्टेटिव मीटिंग हुई। इसमें ज्यादातर राज्याें के शिक्षा मंत्रियों ने 9वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को फेल नहीं करने की नीति में बदलाव का सुझाव दिया। यह नीति कांग्रेस ने बनाई थी। शिक्षा मंत्रियों ने कहा कि इस नीति से विद्यार्थियों में पढ़ने की आदत कम हो गई है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। शिक्षकों की जिम्मेदारी भी तय करने में कठिनाई आ रही है। वे कहते हैं कि फेल न होने की आजादी की वजह से विद्यार्थी पढ़ाई नहीं कर रहे। शिक्षा मंत्रियों ने यह बात केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी द्वारा नई शिक्षा नीति पर सुझाव मांगने पर कही। यही भी कहा गया कि सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को समय-समय पर ट्रेनिंग देने की जरूरत है। इस मौके पर राजस्थान के शिक्षा मंत्री वासुदेव नानी, पंजाब के शिक्षा मंत्री सरदार दलजीत सिंह चीमा, उत्तरी भारत के छह राज्यों के शिक्षा विभागों के सचिव व निदेशक भी मौजूद रहे।
ईरानी का फरमान, सम्मेलन में आने न पाएं पत्रकार: प्रदेश सरकार के लोकसंपर्क विभाग ने शुक्रवार को बाकायदा ई-मेल भेजकर शिक्षा मंत्रियों के सम्मेलन में मीडिया को आमंत्रित किया। लेकिन शनिवार को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी ने सख्त मना कर दिया कि सम्मेलन में कोई पत्रकार न आने पाए। इसके बाद जिला लोक संपर्क अधिकारी आरएस सांगवान ने व्हट्एप ग्रुप पर मीडिया से माफी मांगी। सवाल यह है कि आखिर स्मृति ईरानी मीडिया से बचना क्यों चाहती हैं। जानकार बताते हैं कि उनकी शिक्षा को लेकर हमेशा मीडिया के सवाल तैयार रहते हैं, इसीलिए उन्होंने सम्मेलन में मीडिया की एंट्री प्रतिबंधित कर दी।
पैरेंट्स-टीचर मीटिंग होगी: हरियाणा के शिक्षा मंत्री शर्मा ने कहा कि प्रदेश के 422 विद्यालयों में वोकेशनल शिक्षा शुरू की गई है। सरकारी स्कूलों मे भी प्राइवेट स्कूलों की तरह मासिक पैरेंट्स-टीचर मीटिंग शुरू हो रही है। जल्द ही विद्यालयों में अध्यापकों की हाजिरी के लिए बायोमैट्रिक अटेंडेंस प्रणाली शुरू की जाएगी।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि प्रदेश में स्किल डेवलपमेंट यूनिवर्सिटी की स्थापना की जाएगी। ताकि, ड्रॉप आउट होने वाले विद्यार्थियों के कौशल का विकास करके उन्हें रोज़गार के लायक बनाया जा सके।
उन्होंने कहा कि पहले शिक्षा नीति उच्च अधिकारियाें तथा मंत्रियों द्वारा बनाकर शिक्षण संस्थाओं में लागू की जाती थी। शिक्षा नीति टॉप से बॉटम की तरफ चलती रही है। लेकिन, अब देश में पहली बार गांवों, खंड, जिला तथा राज्य स्तर पर मंथन करके अपने सुझाव राष्ट्रीय स्तर पर नई शिक्षा नीति बनाने के लिए भेजे जा रहे हैं। अब नीति बनाने का कार्य बॉटम से टॉप की तरफ हो रहा है। उन्होंने विश्वास जताया कि इस मंथन के बाद जो प्रारूप तैयार होगा उससे अच्छी शिक्षा नीति बनेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में स्किल डेवलपमेंट यूनिवर्सिटी बनाने का प्रस्ताव तैयार करके मानव संसाधन मंत्रालय को भेजा गया है। उम्मीद है कि इस प्रस्ताव को मंत्रालय से मंजूरी मिल जाएगी।
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साभार: अमर उजाला समाचार
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