Friday, June 19, 2015

गैस, एसिडिटी और पेट के रोगों के लिए पांच योगासन

'अंतरराष्ट्रीय योग दिवस'' 21 जून को मनाया जाएगा। जिसकी पहल भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 27 सितम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषण में रखकर की। जिसके बाद 21 जून को "अंतरराष्ट्रीय योग दिवस" घोषित किया गया। योग दिवस के इस खास मौके पर हम आपको बता रहे हैं की कुछ चुनिंदा योगासनों के माध्यम से आप किस तरह अपनी किसी विशेष स्वास्थ्य समस्या से छुटकारा पा सकते हैँ। इसी कड़ी आज बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे योगासनों के बारे में जिनके नियमित अभ्यास से पेट की समस्याओं से निजात मिल सकती है: 
पश्चिमोत्तानासन: इस आसन में पीठ में खिंचाव होता है, इसलिए इसे पश्चिमोत्तानासन कहते हैं। इसकी
मदद से पेट की चर्बी कम की जा सकती है और वजन भी कम होता है। पेट की समस्याओं जैसे कब्ज, अपच, गैस व डायबिटीज से राहत पाने के लिए यह योगासन रामबाण है। इस आसन को करने के लिए पैरों को सामने की ओर फैलाकर बैठ जाएं। पैर के पंजों को बाहर की ओर खींचकर रखें। अब हथेलियों को घुटनों पर रखकर सांस भरते हुए हाथों को ऊपर की ओर उठाएं और कमर को सीधा कर ऊपर की ओर खींचे। अब सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें और हाथों से पैरों के अंगूठों को पकड़ने की कोशिश करें। साथ ही, अपने माथे को घुटनों पर लगा दें। ध्यान रखें कि घुटने मुड़ने नहीं चाहिए। अब कोहनियों को जमीन पर लगाने का प्रयास करें। आंखें बंद कर सांस को सामान्य रखें। फिर सांस भरते हुए वापस आ जाएं। इस प्रक्रिया को 10 से 15 बार दोहराएं। फिर सांस भरते हुए वापस आ जाएं। इस प्रक्रिया को 10 से 15 बार दोहराएं।  
हस्तपादासन: इस आसन को करने से पेट से जुड़ी समस्याएं जैसे कब्ज, गैस व एसिडिटी आदि दूर हो जाती हैं। हस्तपादासन में हाथ व पैरों काे आपस में मिलाया जाता है। इसलिए इसे हस्तपादासन कहा जाता है। इस आसन को करने के लिए इसको करने के लिए पहले सीधे खड़े हों, फिर अपने हाथों को ऊपर उठा कर झुकें और अपने पैरों के अंगूठों को छुएं यही हस्तपादासन है। 




सर्वांग आसन: सर्वांग आसन एक संपूर्ण आसन है जो एक साथ कई लाभ पहुंचा सकता है। इससे तनाव थकावट दूर होती है, भूख बढ़ती है, सिरदर्द आंखों के दर्द से राहत मिलती है। पेट से जुड़ी सारी समस्याएं खत्म हो जाती हैं। इसके अलावा सर्वांग आसन चेहरे की सुंदरता को बढ़ाता है और आपकी याद्दाश्त भी तेज करता है। इस आसन को करने के लिए दरी या चटाई बिछाकर पीठ के बल एकदम सीधे लेट जाएं। पैर और शरीर तना हुआ रहेगा। सांस खींचकर पहले धीरे-धीरे पैरों को ऊपर उठाएं, फिर कमर को और फिर चेस्ट तक के भाग को ऊपर उठाएंं। दोनों हाथों को कोहनी से मोड़कर कमर पर लगाकर कमर को थामकर रखें। इस स्थिति में पूरे शरीर का भार कंधों पर रहना चाहिए। साथ ही कंधे से कोहनी तक के भाग को फर्श से सटाकर रखें तथा ठोड़ी को चेस्ट से लगाने की कोशिश करें। इस स्थिति में 30 सेकंड तक रहें और सामान्य रूप से सांस लेते और छोड़ते रहें। धीरे-धीरे इसका अभ्यास बढ़ाकर आसन की स्थिति में 3 मिनट तक रह सकते हैं। शरीर को ढीला छोड़कर घुटनों को मोड़कर धीरे-धीरे शरीर को हथेलियों के सहारे से सामान्य स्थिति में ले आएं।10 सेकंड तक आराम करें और पुन: इस आसन को करें। इस क्रिया को कम से कम तीन बार करें। 
पवनमुक्तासन: जिन लोगों को गैस व एसिडिटी की समस्या होती है उन्हें पवनमुक्तासन करना चाहिए। पवन मुक्त आसन अपने नाम के अनुसार है, इस योग की क्रिया से शरीर की दूषित वायु को मुक्त किया जा सकता है। इस आसन को करने के लिए पीठ के बल जमीन पर लेट जाएं। दाएं पैर को घुटने से मोड़ें। इस घुटने को दोनों हाथों से पकड़ कर छाती की ओर लाएं। इसके बाद सिर को जमीन से ऊपर उठा कर प्रयास करें कि नाक घुटने को स्पर्श करें। इस स्थिति में आरामदायक अवधि तक रुक कर वापस पूर्व स्थिति में आएं। यही क्रिया दूसरे पैर से भी करें। इसके बाद इस क्रिया को दोनों पैरों से एक साथ करें। यह पवनमुक्तासन की एक आवृत्ति है। 
वज्रासन: वज्रासन अकेला ऐसा आसन है, जिसे भोजन करने के बाद किया जा सकता हैवज्रासन से पाचन तंत्र मज़बूत होता है और उससे संबंधित रोग भी धीरे-धीरे ठीक हो जाते हैं। इस आसन को करने के लिए घुटनों को मोड़कर इस तरह से बैठते हैं कि नितंब दोनों एड़ियों के बीच में आ जाएं, दोनों पैरों के अंगूठे आपस में मिले रहें और एड़ियों में अंतर भी बना रहे। दोनों हाथों को घुटनों पर रखें। पीछे की ओर ज़्यादा न झुकें। शरीर को सीधा रखें ताकि संतुलन बना रहे। हाथों और शरीर को पूरी तरह ढीला छोड़ दें व कुछ देर के लिए अपनी आंखें बंद कर लें। अपना ध्यान सांस की तरफ़ बनाए रखें। धीरे-धीरे आपका मन भी शांत हो जाएगा। इस आसन में पांच मिनट तक बैठना चाहिए, ख़ासकर भोजन के बाद। 
साभार: भास्कर समाचार 
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