मैगी में सीसा और मोनोसोडियम ग्लूटामेट (एमएसजी) जैसे खतरनाक तत्वों
के पाए जाने के बाद इसे कई जगह बैन कर दिया गया है। मैगी ही क्यों, इसी
कैटेगरी में शामिल पास्ता, मैकरॉनी के अलावा अन्य भी कई ऐसे पैकेज्ड या
रेडी टू ईट फूड आइटम्स हैं, जिनका अधिक इस्तेमाल खतरनाक हो सकता है। आइए जानें किन चीजों से हो सकता है डेली लाइफ में खतरा:
- आप लैपटॉप रोज इस्तेमाल करते हैं, लेकिन यह जानकर आपको हैरानी होगी कि इसमें भी सीसा होता है, जो हमारे नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है। इससे ब्लड पर बुरा असर होता है और दिमागी परेशानी भी होती है। डिस्पोजल के दौरान लैपटॉप से ब्रोमाइन का उत्सर्जन होता है। यह सेहत के लिहाज से बहुत ही नुकसानदेह है।
- एयर फ्रेशनर और डिओडरेंट्स में फॉर्मलडिहाइड होता है, जो जहरीला है। इसी तरह ब्लीच में सोडियम हाइपोक्लोराइड होता है। इससे स्किन, सांस और आंखों से संबंधित बीमारियां होती हैं। हेयर डाई में भी कोलतार कलर्स और सीसा होता है।
- थर्मामीटर और फ्लोरोसेंट बल्ब में मर्करी होता है। यह देखने, सुनने और बोलने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है। इससे स्किन के रंग पर भी असर पड़ता है। चेहरा और नाखून आदि गुलाबी हो जाते हैं।
- शैंपू में डाईथानोलामाइन केमिकल होता है, जिससे स्किन कैंसर होने की आशंका रहती है। इसी तरह मस्कारा, नेलपॉलिश और आईशेडो में फॉर्मलडिहाइड होता है, जो सांस की बीमारियों के खतरे को बढ़ा सकता है।
सोडियम नाइट्रेट: सोडियम नाइट्रेट का इस्तेमाल प्रोसेस्ड मीट में किया जाता है। आमतौर
पर हैम, हॉट डॉग्स, सॉसेज आदि की शेल्फ लाइफ बढ़ाने और कलर को मेंटेन करने
के लिए इसका उपयोग होता है। सोडियम नाइट्रेट का अधिक सेवन अस्थमा की
परेशानी को बढ़ाता है और फेफड़ों के काम करने की क्षमता को कम करता है। इसलिए
बेहतर है कि पैकेज्ड फूड का इस्तेमाल कम से कम किया जाए। इस तरह के फूड
का इस्तेमाल करने से पहले प्रिजर्वेटिव्स का लेबल और उसकी मात्रा जरूर चेक
करना चाहिए।
पोटैशियम ब्रोमेट: पोटैशियम ब्रोमेट का इस्तेमाल ब्रेड और अन्य बेकरी प्रोड्क्ट्स को बनाने में किया जाता है। इसका इस्तेमाल वॉल्यूम और आटे का लचीलापन बढ़ाने के लिए होता है। इसलिए यदि ब्रेड को उच्च तापमान पर नहीं पकाया या सेंका गया तो पोटैशियम ब्रोमेट ब्रेड में ही रह जाता है। ऐसे में, बिना पकी या सिकी ब्रेड को खाना खतरनाक हो सकता है। पोटेशियम ब्रोमेट एक ऐसा ऑक्सीडाइजिंग एजेंट है, जिसके इस्तेमाल से कैंसर का खतरा भी हो सकता है।
सोडियम बेंजोएट: सोडियम बेंजोएट और बेनजॉइक एसिड ऐसे फूड प्रिजर्वेटिव्स हैं, जो सॉस, फ्रूट जूस, जैम, अचार आदि में पाए जाते हैं। इनके इस्तेमाल की एक सीमा तय है, लेकिन यदि पैकेज्ड फूड्स में इनका इस्तेमाल तय मात्रा से ज्यादा किया जाता है, तो ये खतरनाक हो सकते हैं। सोडियम बेंजोएट ऐसा प्रिजर्वेटिव्स है, जिसके इस्तेमाल से कैंसर का खतरा बढ़ता है और हेल्दी सेल्स (कोशिकाएं) डैमेज होती हैं। बेनजॉइक एसिड से नर्वस सिस्टम पर भी बुरा असर पड़ता है। इससे अस्थमा भी हो सकता है।
इन्हें भी जानिए: प्रोपाइल गैलेट का इस्तेमाल मीट प्रोडक्ट्स, वेजिटेबल ऑयल, पोटैटो स्टिक्स, च्युइंगगम, रेडी टू ईट सूप आदि में किया जाता है। इससे ये प्रोडक्ट्स खराब नहीं होते हैं, लेकिन इसका अधिक इस्तेमाल कोलोन और पेट के कैंसर के खतरे को बढ़ाता है। लो कैलोरी डाइट फूड और शुगर के अल्टरनेटिव के तौर पर एस्परटेम का इस्तेमाल किया जाता है। यह एक तरह का आर्टिफिशियल स्वीटनर है। इसके ज्यादा यूज से पहले सिरदर्द की समस्या हो सकती है और फिर माइग्रेन, विजन लॉस आदि भी होने लगता है।
ये चार भी खराब करते हैं आपकी सेहत: पैकेज्ड फूड का चलन तेजी से बढ़ रहा है। इसलिए इसे जब भी खरीदने जाएं, इसका लेबल और इसमें शामिल इंग्रीडिएंट्स को जरूर चेक करें। इनमें कुछ ऐसे तत्व होते हैं, जो सेहत के लिए बहुत ही खतरनाक हैं।
पोटैशियम ब्रोमेट: पोटैशियम ब्रोमेट का इस्तेमाल ब्रेड और अन्य बेकरी प्रोड्क्ट्स को बनाने में किया जाता है। इसका इस्तेमाल वॉल्यूम और आटे का लचीलापन बढ़ाने के लिए होता है। इसलिए यदि ब्रेड को उच्च तापमान पर नहीं पकाया या सेंका गया तो पोटैशियम ब्रोमेट ब्रेड में ही रह जाता है। ऐसे में, बिना पकी या सिकी ब्रेड को खाना खतरनाक हो सकता है। पोटेशियम ब्रोमेट एक ऐसा ऑक्सीडाइजिंग एजेंट है, जिसके इस्तेमाल से कैंसर का खतरा भी हो सकता है।
सोडियम बेंजोएट: सोडियम बेंजोएट और बेनजॉइक एसिड ऐसे फूड प्रिजर्वेटिव्स हैं, जो सॉस, फ्रूट जूस, जैम, अचार आदि में पाए जाते हैं। इनके इस्तेमाल की एक सीमा तय है, लेकिन यदि पैकेज्ड फूड्स में इनका इस्तेमाल तय मात्रा से ज्यादा किया जाता है, तो ये खतरनाक हो सकते हैं। सोडियम बेंजोएट ऐसा प्रिजर्वेटिव्स है, जिसके इस्तेमाल से कैंसर का खतरा बढ़ता है और हेल्दी सेल्स (कोशिकाएं) डैमेज होती हैं। बेनजॉइक एसिड से नर्वस सिस्टम पर भी बुरा असर पड़ता है। इससे अस्थमा भी हो सकता है।
इन्हें भी जानिए: प्रोपाइल गैलेट का इस्तेमाल मीट प्रोडक्ट्स, वेजिटेबल ऑयल, पोटैटो स्टिक्स, च्युइंगगम, रेडी टू ईट सूप आदि में किया जाता है। इससे ये प्रोडक्ट्स खराब नहीं होते हैं, लेकिन इसका अधिक इस्तेमाल कोलोन और पेट के कैंसर के खतरे को बढ़ाता है। लो कैलोरी डाइट फूड और शुगर के अल्टरनेटिव के तौर पर एस्परटेम का इस्तेमाल किया जाता है। यह एक तरह का आर्टिफिशियल स्वीटनर है। इसके ज्यादा यूज से पहले सिरदर्द की समस्या हो सकती है और फिर माइग्रेन, विजन लॉस आदि भी होने लगता है।
ये चार भी खराब करते हैं आपकी सेहत: पैकेज्ड फूड का चलन तेजी से बढ़ रहा है। इसलिए इसे जब भी खरीदने जाएं, इसका लेबल और इसमें शामिल इंग्रीडिएंट्स को जरूर चेक करें। इनमें कुछ ऐसे तत्व होते हैं, जो सेहत के लिए बहुत ही खतरनाक हैं।
- ट्रांस फैट: कुछ डेयरी प्रोडक्ट्स और मीट में प्राकृतिक तौर पर थोड़ा-बहुत ट्रांस फैट होता है, लेकिन अब पैकेज्ड फूड इंडस्ट्री आदि में वेजिटेबल ऑयल में हाइड्रोजन मिलाकर इसका इस्तेमाल किया जाने लगा है। केक, कुकीज, पोटैटो चिप्स, फ्रेंच फ्राइज आदि में इसका इस्तेमाल किया जाता है। ट्रांस फैट से फूड्स की शेल्फ लाइफ बढ़ती है। लेकिन इसके अधिक इस्तेमाल से बैड कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ता है और गुड कोलेस्ट्रॉल का लेवल घटता है। इसके अधिक सेवन से लिपोप्रोटीन और ट्राइग्लाइसेराइड्स का लेवल भी बढ़ता है। इस वजह से आर्टरीज ब्लॉक हो जाती हैं।
- रिफाइंड ग्रेन्स: व्हाइट ब्रेड, लो फाइबर सिरेयल्स, वहाइट राइस, व्हाइट पास्ता जैसे रिफाइंड ग्रेन्स हेल्थ के लिए अच्छे नहीं होते हैं। इनकी जगह साबुत अनाज से बना भोजन लेना सही रहता है। इसलिए जब भी पैकेज्ड ग्रेन प्रोडक्ट्स खरीदें तो ये जरूर देखें कि उसमें ओट्स जैसे होल ग्रेन या दूसरे होल व्हीट जैसे लेबल लगे हों। होल ग्रेन (डार्क ब्रेड, पॉपकॉर्न, ब्राउन राइस आदि) खाने वाले व्यक्तियों को रिफाइंड ग्रेन्स खाने वाले लोगों की तुलना में 20 से 30 फीसदी हार्ट डिज़ीज होने का खतरा कम होता है। रिफाइंड ग्रेन्स स्टार्ची होते हैं और इनमें ग्लूटेन अधिक होता है। इनमें कलरिंग और ब्लीचिंग भी की जाती है।
- साल्ट: पैक्ड वेजिटेबल और सूप, सॉस, फास्ट फूड, चिप्स, नमकीन आदि में साल्ट की मात्रा अधिक होती है, जो सेहत के लिए ठीक नहीं है। इसलिए पैकेज्ड फूड खरीदते समय सोडियम फ्री, रिड्यूस्ड सोडियम जैसे लेबल पर न जाएं, बल्कि उसके न्यूट्रिशन फैक्ट्स को भी चेक करें। साल्ट यानी नमक का अधिक सेवन सेहत के लिए बेहद खराब है। इसका अधिक सेवन हाई ब्लड प्रेशर की समस्या को बढ़ाता है। इससे हार्ट फेल होने, हार्ट अटैक होने और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। घर के बने खाने में भी नमक कम खाएं।
- हाई फ्रुकटोज कॉर्न सिरप: ट्रेडिशनल स्वीटनर्स की तुलना में हाई फ्रुकटोज कॉर्न सिरप काफी सस्ता
पड़ता है। यह आर्टिफिशियल स्वीटनर होता है। इसका इस्तेमाल आमतौर पर
होल-व्हीट ब्रेड, हैमबर्गर बन, मफिन्स, बियर, स्पेगटी सॉस, सॉफ्ट ड्रिंक्स,
केचप आदि में होता है। रिसर्च से पता चला है कि इस सिरप के अधिक सेवन से शरीर का मेटाबॉलिज्म
बिगड़ता है और हार्ट डिज़ीज और डायबिटीज जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता
है। रिसर्च से यह भी पता चला है कि इसके सेवन से ज्यादा भोजन करने का मन
करता है।
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साभार: भास्कर समाचार
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