Sunday, November 13, 2016

एसवाईएल पर पंजाब और हरियाणा में तल्खी बरकरार

एसवाईएल नहर पर फैसला आने के बाद हरियाणा और पंजाब में सियासत और तेज हो गई है। शनिवार को हरियाणा ने कहा है कि पानी के लिए वह केंद्र और पंजाब सरकार से गुहार नहीं लगाई जाएगी, सर्वोच्च
न्यायालय जाएंगे। हरियाणा रोडवेज की पंजाब को जाने वाली बसें दूसरे दिन बहुत कम चली। कुछ बसों को पुलिस की सुरक्षा में भेजा गया। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। उधर, पंजाब में राजनीतिक दलों में बयानबाजी का दौर जारी रहा। पुतले भी जलाए गए और धरना-प्रदर्शन भी किए गए। एसजीपीसी की एग्जीक्यूटिव कमेटी ने प्रस्ताव पारित कर राष्ट्रपति से सर्वोच्च अदालत के फैसले पर पुनर्विचार की मांग की है।
हरियाणा के सियासी दल भी इस मुद्दे पर रणनीति तैयार करने में जुट गए हैं। इनेलो ने 14 नवंबर को पार्टी के नेताओं, विधायकों व कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाई है। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आंदोलन का एलान कर दिया है। वह पानी के मुद्दे पर ‘अधिकार का संघर्ष’ के नाम से आंदोलन शुरू करेंगे। हरियाणा सरकार ने 15 नवंबर को मंत्रिमंडल की बैठक बुलाई है। हरियाणा के महाधिवक्ता बलदेव राज महाजन ने कहा है कि हमने अपने हिस्से की नहर का निर्माण करा दिया है। अब पंजाब को निर्माण कराना है। वह मना नहीं कर सकता। 2002 के डिक्री (जल बंटवारे समझौते) में यह लिखा है। इस डिक्री को एग्जीक्यूट कराने के लिए हम सुप्रीम कोर्ट की शरण लेंगे। हमें इसके लिए केंद्र या पंजाब से गुहार लगाने की जरूरत नहीं है।
उधर, पंजाब सरकार ने 16 नवंबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है। मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का कहना है कि उन्होंने राष्ट्रपति से भी मिलने के लिए समय मांगा है। कैबिनेट राष्ट्रपति से मिलकर उन्हें सुप्रीम कोर्ट के फैसले को न मानने की अपील करेगी। कपूरी गांव में आम आदमी पार्टी का धरना दूसरे दिन भी जारी रहा। आप नेताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री को राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखने के बजाय पीएम मोदी से बात करनी चाहिए।
पंजाब नहीं गई हरियाणा की बसें: लगातार दूसरे दिन हरियाणा रोडवेज की सिर्फ एक चौथाई बसें पुलिस सुरक्षा में पंजाब के लिए रवाना हुईं। राज्य से करीब 250 बसें पंजाब जाती थीं, लेकिन शनिवार को सिर्फ 60-65 बसें ही पंजाब के लिए रवाना हुईं।
सर्वोच्च न्यायालय ने पंजाब समझौते निरस्तीकरण अधिनियम 2004 को असंवैधानिक करार दिया है। अब हरियाणा को उसके हिस्से का 3.5 मिलियन एकड़ फीट पानी हरियाणा को मिलना चाहिए। हम हर हाल में पंजाब से अपने हिस्से का पानी लेकर रहेंगे। - मनोहर लाल, मुख्यमंत्री, हरियाणा
हरियाणा, राजस्थान भाई के समान हैं, लेकिन किसी भी कीमत पर नहर नहीं खोदने देंगे। उनकी किसी के साथ कोई लड़ाई नहीं है। इसके लिए चाहे उन्हें कितनी भी बड़ी कुर्बानी क्यों न देनी पड़े। - प्रकाश सिंह बादल, मुख्यमंत्री, पंजाब।
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साभारजागरण समाचार 
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