साभार: जागरण समाचार
प्रमुख विपक्षी दल इनेलो (इंडियन नेशनल लोकदल में हुए बिखराव पर तमाम राजनीतिक दलों की निगाह टिक गई है। अभी तक विपक्ष के नेता अभय चौटाला के साथ चल रहे विधायक भी हवा का रुख भांप रहे हैं। शुक्रवार
को जहां दुष्यंत चौटाला के समर्थन में इनेलो के दर्जनों नेताओं ने इस्तीफे दे दिए थे, वहीं शनिवार को जवाबी कार्रवाई करते हुए अभय गुट ने हिसार के जस्सी पेटवाड़ को इनेलो की युवा इकाई का प्रदेश अध्यक्ष घोषित कर दिया। जाहिर है कि यह जंग अब और तेज होगी। अजय चौटाला 5 नवंबर को जेल से बाहर आ रहे हैं। दुष्यंत समर्थकों ने इसके लिए विशेष प्रबंध किए हैं। अभय गुट की निगाह भी इस दिन अजय चौटाला के दिल्ली निवास पर जमा होने वाले लोगों पर टिकी है, जबकि अजय समर्थकों की निगाह अभय की नई रणनीति पर है। उधर, कांग्रेस विधायक करण सिंह दलाल नेता प्रतिपक्ष के पद से अभय को हटाने के लिए सदन में आवाज बुलंद कर सकते हैं। क्योंकि जो परिस्थितियां बन रही हैं, उसके मुताबिक कांग्रेस विधायकों की संख्या इनेलो विधायकों से अधिक हो सकती है। मुद्दे को उठा सकते हैं।
बता दें कि दलाल और अभय चौटाला के बीच विधानसभा में जूते निकल चुके हैं। रही, इनेलो विधायकों व पार्टी नेताओं के रुख की बात तो वह 5 नवंबर का इंतजार कर रहे हैं। दूसरी तरफ अभय चौटाला गुट का मानना है कि पार्टी में हुए बिखराव से कोई बड़ा राजनीतिक नुकसान नहीं होने वाला है। इसके लिए उनकी दलील है कि कुछ मुट्ठी भर लोग दुष्यंत के समर्थन में मुहिम को हवा दे रहे हैं। अभय गुट ने इन लोगों की पहचान करण सिंह दलाल और सांसद धर्मबीर के समर्थकों के रूप में की है। हालांकि जब अभय और करण दलाल के बीच विधानसभा में जूता प्रकरण हुआ था सांसद दुष्यंत चौटाला ने अपने चाचा के पक्ष में करण के खिलाफ बयान दिया था। उधर, करण भी अभय और दुष्यंत के बीच चल रहे संग्राम को चौटाला परिवार द्वारा प्रदेश की लूटने की साजिश बता चुके हैं। दुष्यंत समर्थक इन तर्को सें अभय गुट का आरोप खारिज कर देते हैं।