स्टोरी 1: महाराष्ट्र में अालंदी से पंढरपुर पदयात्रा कर विठोबा के दर्शन करने की 800 साल पुरानी परम्परा है। साल-दर-साल दर्शन करने वालों की संख्या बढ़ती जाती है और पिछले साल यह आंकड़ा आठ लाख तक पहुंच
गया। आषाढ़ी एकादशी के दिन खत्म होने वाली 21 दिन की इस यात्रा में ज्ञानेश्वर और तुकाराम सहित कई संतों की पादुकाओं की पालकियां निकलती हैं। इस साल पवित्र तुलसी माला पहने पदयात्री यात्री विठोबा की महिमा का गान तो करेंगे ही, साथ ही 248 किलोमीटर के रास्ते में 'सीड बॉल्स' भी बिखराते चलेंगे। लोगों को पर्यावरण कार्यकर्ताओं के माध्यम से ये बीज मुफ्त मिलेंगे। सोसायटी ऑफ साइंस, एनवायरमेंट एंड पीपल ने पर्यावरण रक्षा का नया तरीका अपनाया है। उद्देश्य है हरियाली की चादर को बढ़ाना और पद यात्रा के दौरान पुणे से गुजरने वालों के माध्यम से देसी पेड़ों को फैलाना है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। ग्रुप ने लोगों से अपील की है कि वे देशी पेड़ों के बीज कार्यकर्ताओं तक पहुंचाए ताकि इनसे सीड बॉल तैयार की जा सके। बॉल बनाने में मिट्टी, गाय के गोबर और गोमूत्र का इस्तेमाल होगा। बॉल्स वारी यात्रा में इस साल शामिल होने वाले पदयात्रियों को दी जाएंगी, जिन्हें वारकरी कहा जाता है। उनसे कहा जाएगा कि इसे अालंदी से पंढरपुर तक यात्रा मार्ग पर फैलाते जाएं। यह क्षेत्र इन दिनों वन कटाई के दौर से गुजर रहा है। मानसून के दौरान जब सीड बॉल्स को पर्याप्त पानी मिल जाएगा तो इनके अंदर के बीज अंकुरित होने लगेंगे। मिट्टी और गाय के गोबर के अंदर दबे बीज पक्षी, कीड़ों और कीट-पतंगों का भोजन बनने से बचे रहेंगे। इस तरह इसका अधिकतम परिणाम मिल सकता है। ये बॉल्स ट्रेकिंग करने वालों और प्रकृति प्रेमियों को भी दिए जाएंगे, ताकि इन्हें हाईवे के किनारे, बंजर, बेकार पड़ी जमीन आदि तक भी पहुंचाया जा सकें। नीम,पीपल, गुलमोहर, बादाम, जामुन, बबूल आदि पेड़ वे प्रजातियां हैं, जो इस क्षेत्र में हाईवे के किनारे आसानी से पनप सकती हैं। पदयात्रियों को बीज देने का एक कारण यह भी है कि लोगों के ये समूह हर साल यात्रा पर जाते हैं और रास्ते में कम हो रही छांव की समस्या को समझते हैं। वे हरियाली की चादर को लेकर संवेदनशील हैं।
स्टोरी 2: आज सुबह इस अखबार के पाठक आनंद मोहन जिंदल ने हमें पत्र लिखा, जिसमें इस बात का उल्लेख है कि कैसे देशभर के कई मुख्य डाकघरों में डाक सेवक बनने के इच्छुक लोगों से 100 रुपए सिर्फ नकद के रूप में ही लिए जा रहे हैं और कैसे लोग मौसम की विषम परिस्थितियों में भी लंबी कतारों में लगे हैं। वे परोक्ष रूप से डिजिटल बनने में डाक घरों की असफलता की ओर इशारा कर रहे थे। इस शिकायत ने मेरा ध्यान चिन्मय कवि और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की मुलाकात की ओर दिलाया। 30 साल के चिन्मय पुणे में मिसल पाव ईटरी के मालिक हैं। मुलाकात में उन्होंने मंत्री को पुणे जैसे शहरों में ट्रैफिक क्राइम के संबंध में कुछ सुझाव दिए। चिन्मय ने जान-बूझकर ट्रैफिक सिग्नल तोड़ा यह देखने के लिए कि सीसीटीवी कैमरा काम कर भी रहा है या नहीं। आरटीओ से उन्हें जुर्माने का पत्र मिला, जिसमें ट्रैफिक नियम तोड़ने का चित्र भी था। लेकिन उन्होंने यह जुर्माना कई महीनों तक नहीं चुकाया और किसी ने उनसे संपर्क भी नहीं किया। उन्होंने एक कारगर योजना मंत्री को बताई कि लाइव फीड्स देखने का काम आउट सोर्स कर युवाओं को सौंपा जा सकता है। वे पिक्चर्स और जुर्माने का ब्योरा आरटीओ को भेजेंगे। बाद में इसका फॉलोअप और कलेक्शन आउट सोर्स कंपनी के साथ मिलकर साझेदारी में किया जाएगा। हाल ही में गडकरी के ऑफिस ने चिन्मय से संपर्क किया है और इस विचार को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में आजमाने का भी विचार है।
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE. Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.