Monday, April 10, 2017

बीएड कॉलेजों में इस बार ऑनलाइन भेजे जाएंगे प्रश्नपत्र, सीआरएसयू ने किया पोर्टल तैयार

सीआरएस यूनिवर्सिटी से जुड़े प्रदेश के सभी बीएड कॉलेजों में इस बार प्रश्नपत्र ऑनलाइन भेजे जाएंगे। इसके लिए जींद की यूनिवर्सिटी ने अलग से पोर्टल तैयार कर लिया है। नए पोर्टल सिक्योर रिमोट पेपर डिस्ट्रीब्यूशन
सिस्टम (एसआरपीडीएस) के जरिए कॉलेजों के प्रिंसिपलों सेंटर सुपरिंटेंडेंट की मेल आईडी पर सीधे प्रश्नपत्र भेजे जाएंगे। वहां से डाउनलोड करके वे प्रश्नपत्र हासिल कर सकेंगे। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। इससे वाहन में पेपर ले जाने वाले लीक होने की समस्या नहीं रहेगी। यूनिवर्सिटी प्रशासन का दावा है कि यह यूनिवर्सिटी प्रदेश की पहली पेपरलेस यूनिवर्सिटी बन जाएगी। 
आधा घंटा पहले ही एक्टिवेट होगा लिंक: पहले जो भी सेंटर बनाते हैं उसके प्रिंसिपल/सुपरिंटेंडेंट का फोन नंबर या अल्टरनेट का फोन नंबर, मेल आईडी लेते हैं। इसके बाद जो व्यक्ति स्वीकृत होगा, उसके पास प्रश्नपत्र भेजा जाएगा। पेपर को डाउनलोड करते समय पहले उसी व्यक्ति के मोबाइल पर कोड आएगा। जब वह डाउनलोड के बाद पेपर को खोलेगा तो उसे पासवर्ड भरना होगा। वह भी मोबाइल पर मिलेगा। सिस्टम में ऐसी टेक्नीक है कि वह लिंक पेपर के शुरू होने से आधा घंटा पहले ही एक्टिवेट होगा। इससे पहले लिंक ही नहीं खुलेगा। इतना ही नहीं पेपर कॉपी करते वक्त संबंधित कॉलेज का कोड प्रश्नपत्र पर अंकित होगा। 
बीएड विद्यार्थियों का आंकड़ा: 
1. बीएड कॉलेजों की संख्या 491 है। 
2. प्रथम वर्ष में 40 हजार विद्यार्थी। 
3. अंतिम वर्ष में 30 हजार विद्यार्थी। 
4. बाहर के छात्रों की संख्या 17,600 है। 
कॉलेज कोड से हाे जाएगा खुलासा: ऑनलाइन प्रश्नपत्र भेजने को सिक्योर रिमोट पेपर डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम का पोर्टल तैयार कराया है। इससे पेपर लीक होने की कोई गुंजाइश नहीं है। अगर कोई सुपरिंटेंडेंट प्रिंसिपल पेपर को लीक करेगा तो उसकी कॉपी के साथ संबंधित कॉलेज का कोड जाएगा, जिससे वह आसानी से पकड़ में जाएगा। - डाॅ.रणजीत सिंह, वीसी, सीआरएसयू। 
यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार डाॅ. राजबीर सिंह बताते हैं कि ऑनलाइन प्रश्नपत्र भेजने वाली जींद की यूनिवर्सिटी प्रदेश की पहली यूनिवर्सिटी बनने जा रही है। इससे एक तो यह पेपरलेस होने से कागजों की बर्बादी नहीं होगी। दूसरी सेंटर पर पेपर कम पहुंचने की शिकायतों से छुटकारा मिलेगा। प्रश्नपत्रों को ले जाने के लिए वाहन स्टाफ की जरूरत नहीं पड़ेगी। ही रास्ते में पेपर लीक होने की गुंजाइश रहेगी। ऐसे में मैनपावर के साथ आर्थिक समय की बचत होगी। इस प्रक्रिया से यह यूनिवर्सिटी डिजिटल बनने का सपना साकार करेगी। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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