Wednesday, June 1, 2016

सरकार की भूमिका पर भी सवाल: जब बाबूशाही बस की नहीं थी तो क्यों बुलाई सेना

प्रकाश कमेटी की रिपोर्ट में जहां प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों से लेकर पुलिस के निचले स्तर के कर्मचारियों की कार्य प्रणाली पर सवाल उठाए गए हैं, वहीं रिपोर्ट में कहा कि जब इतनी भारी संख्या में आर्मी को नियुक्त किया गया तो फिर सरकार की क्या भूमिका रह गई थी। कमेटी ने कहा कि बाबूशाही का यह आलम था कि सेना के
कार्य में भी अवरोध पैदा किया गया। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस ने आर्मी को भी गुमराह करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इतनी संख्या में हरियाणा में आर्मी बुलाई गई, जितनी किसी दुश्मन देश के हमले के दौरान होती है। फोर्स के 74 कालम नियुक्त थे जो कि 12 बटालियन के बराबर है। किसी भी प्रदेश के अंदरूनी हालात से निपटने के लिए इतनी भारी संख्या में आर्मी का आना दुर्भाग्यपूर्ण है। रिपोर्ट में बताया गया है कि आर्मी को दंगा स्थलों पर पहुंचने के दौरान भी अवरोध पैदा किए गए। रेवाड़ी से झज्जर आर्मी को पहुंचने में इसलिए देरी हुई क्योंकि मजिस्ट्रेट ही उपलब्ध नहीं था। रोहतक के सुनारिया में आर्मी रास्ते में इसलिए रुकी रही क्योंकि स्थानीय पुलिस ने अवरोधों को हटाया नहीं था।
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभारजागरण समाचार 
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE. Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.