Saturday, March 5, 2016

जेएनयू मामला: अफजल नहीं रोहित वेमुला हैं मेरे आदर्श - कन्हैया

अफजल गुुरू नहीं, बल्कि रोहित वेमुला मेरे लिए आदर्श हैं। मैं व्यक्ति के तौर पर एक जगह हूं, जेएनयू स्टूडेंट यूनियन प्रेसीडेंट के तौर पर अलग और गरीब मां मीना देवी के बेटे के तौर पर अलग हूं। मैं जेएनयू छात्रसंघ के आधार पर अपनी बात रख रहा हूं। अफजल गुुरू भारत के संविधान के तहत अखंड भारत के नागरिक थे। भारतीय संविधान के तहत कानून ने उसे सजा दी लेकिन यही कानून हमें बोलने की भी आजादी देता है। 
यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। यह कहना है जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार का। जेएनयू कैंपस में छात्रसंघ अध्यक्ष ने जेल से छूटने के बाद पहली बार शुक्रवार को मीडिया से बात की। हालांकि अफजल गुुरू पर एक बार और स्थिति स्पष्ट करने के सवाल को वह टाल गए, जबकि इस प्रश्न पर वहां मौजूदा छात्र शोरशराबा व रोकटोक करने लगे। कन्हैया ने कहा कि मैं आपके माध्यम से अपनी आवाज देश की जनता तक पहुंचाना चाहता हूं। हम जेएनयू के छात्र देश के लोगों को आश्वस्त करना चाहते हैं कि उनके टैक्स से मिलने वाली सब्सिडी से जेएनयू में छात्र पढ़ते हैं और उनका पैसा बिल्कुल गलत खर्च नहीं हो रहा। हम भी देश का हिस्सा हैं और देशभक्ति का जज्बा रखते हैं। आपके टैक्स की बदौलत मैं तीन हजार रुपये महीने कमाने वाले परिवार का गरीब छात्र आज पीएचडी कर पा रहा हूं। मेरी तरह उमर, अनिर्बान भी पीएचडी कर सकें, इसके लिए आपका साथ जरूरी है ताकि और जेएनयू खुल सकें। हालांकि जनता को उन नेताओं से सवाल जरूर करना चाहिए, जो उनके पैसे से हवाई यात्रा करते हैं, गाड़ियों में घूमते हैं। 
साथ ही देश की जनता को यह भी विश्वास दिलाता हूं कि हम भी कश्मीर को भारत का ही अंग समझते हैं। मैं नेता नहीं विद्यार्थी हूं और आगे शिक्षक बनना चाहता हूं। दिल्ली सरकार की रिपोर्ट नहीं पढ़ी, बिना पढ़े नहीं बोलूंगा। हम जीत नहीं बल्कि एकता का मार्च निकालते हैं।
संविधान कोई वीडियो नहीं: कन्हैया ने कहा कि संविधान कोई वीडियो नहीं, जिससे छेड़छाड़ कर देंगे। संविधान एक दस्तावेज है, जिसे देश की महिलाओं, किसानों, दलित, मजदूरों ने आजादी के आंदोलन में बनाया। जेएनयू को देश की न्याय प्रक्रिया पर भरोसा है। नौ फरवरी को जो हुआ, वह निंदनीय है, देशद्रोह है या नहीं, यह अदालत को तय करने दें। हमें समानता, भाईचारा, लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, समाजवाद, इन आदर्शों के लिए लड़ना है। जेएनयू को जिस तरह से साजिश के तहत बदनाम किया गया, वह दुखद है। कुछ लोगों ने तो कंडोम गणना अधिकारी नियुक्त किया। इन बयानों के चलते जेएनयू की छात्राओं को गंदी नजरों से देखा जा रहा है। ऑटो, बस व ट्रेन में कोई जेएनयू छात्र की मदद करना नहीं चाहता। आज जब जेएनयू के छात्र कैंपस से बाहर जाते हैं तो न जाने कितने सवाल उनसे होते हैं। मुझे इनके भविष्य की चिंता हैं। एक सवाल के जवाब में कन्हैया ने कहा कि देशभक्ति किसी की पेटेंट नहीं है। हम आतंकी नहीं, आपके बच्चे हैं। इतना भी फर्क नहीं समझे कि आरोपी और आरोप सिद्ध में क्या फर्क है। सीधे आतंकवादी बना दिया। हक की लड़ाई लड़ते हैं, यही अपराध है। अगर आप गलत मानेंगे तो लड़ाई बंद कर देंगे। सरकार गलत कहेगी तो और लडे़ेंगे। जेएनयू देश का वास्तविक चेहरा है। देश ही नहीं, दुनिया के 145 देशों के छात्र यहां पढ़ते हैं। आजादी का मतलब जानते हैं। अभिव्यक्ति की आजादी की सीमा चाहते हैं। हम देश से नहीं देश में आजादी चाहते हैं। देशभक्ति के पक्ष में खड़े हैं।
पीएम पर साधा निशाना: कन्हैया ने कहा, देशद्रोह और राजद्रोह में फर्क होता है। देश की सरकार एक पार्टी की सरकार, एक दफ्तर की सरकार बनकर रह गई है। उनको यह याद दिलाना है कि आप देश के पीएम हैं, शिक्षा मंत्री हैं। मैं साफ कर दूं कि हमारे आपसे मतभेद हैं, मनभेद नहीं। अंग्रेजों ने देशद्रोह का कानून बनाया था। इस देश के अंदर न्याय के पक्ष में खड़े होने वालों के खिलाफ इसका इस्तेमाल किया गया। इसे खत्म करना चाहिए।
देश की जनता को विश्वास दिलाता हूं कि हम भी कश्मीर को भारत का ही अंग समझते हैं। मैं नेता नहीं विद्यार्थी हूं और आगे शिक्षक बनना चाहता हूं। - कन्हैया कुमार 
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साभार: अमर उजाला समाचार 
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