राजस्थान की डीम्ड यूनिवर्सिटी से डिस्टेंस एजुकेशन के माध्यम से एमए पास कर हरियाणा में पोस्ट ग्रेजुएट टीचर्स (पीजीटी) का आवेदन करने वालों को नियुक्ति देने पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस हेमंत गुप्ता व जस्टिस राज राहुल गर्ग की डिवीजन बेंच ने रोक लगा दी है। डिस्टेंस एजुकेशन से डिग्री हासिल करने वाले पीजीटी के कई आवेदकों ने उन्हें नियुक्ति देने की मांग की थी। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। हाईकोर्ट के जस्टिस अमित रावल की एकल बेंच ने उनकी याचिका मंजूर करते हुए हरियाणा सरकार को आदेश दिया था कि डीम्ड यूनिवर्सिटी के आवेदकों को नियुक्ति पत्र दे दिए जाएं। इसी फैसले को हरियाणा सरकार ने डिवीजन बेंच में अपील के माध्यम से चुनौती दी थी। डिवीजन बेंच ने अपील सुनवाई के लिए रख ली है और एकल बेंच के फैसले के क्रियावन्यन पर रोक लगा दी है। यानी अगले आदेश तक पीजीटी के आवेदकों को नियुक्ति पत्र नहीं दिए जाएंगे।
यह है मामला: हरियाणा सरकार ने सात जून 2012 को विभिन्न विषयों के पीजीटी के लिए आवेदन मांगे थे। शिक्षा विभाग के लिए पीजीटी की भर्ती हरियाणा स्कूल शिक्षक चयन बोर्ड ने की थी। बोर्ड की सिफारिश पर सफल आवेदकों को जनवरी 2014 में नियुक्ति पत्र जारी कर दिए गए थे। लेकिन, 18 जनवरी 2014 को प्रमुख शिक्षा सचिव ने एक आदेश जारी किया कि डीम्ड यूनिवर्सिटी से एमए पास आवेदकों को उनक ी स्थिति के बारे में बाद में सूचित किया जाएगा। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। कहा था कि डिस्टेंस एजुकेशन सेंटरों के जरिए डीम्ड यूनिवर्सिटी से डिग्री की मान्यता का एक मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, लिहाजा सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही डीम्ड यूनिवर्सिटी से एमए पास आवेदकों के बारे उचित फैसला लिया जा सकेगा। सरकार ने उन आवेदकों के नियुक्ति पत्र रोके थे, जिन्होंने राजस्थान की राजस्थान विद्यापीठ, आईएएसई सरदार सहर राजस्थान, बैंगलोर यूनिवर्सिटी बैंगलोर और विनायक मिशन यूनिवर्सिटी तामिलनाडू के डिस्टेंस एजुकेशन सेंटरों के जरिए एमए पास की थी।
हाईकोर्ट में यह थी मांग: डीम्ड यूनिवर्सिटी से एमए पास आवेदकों ने प्रमुख शिक्षा सचिव की ओर से उनके नियुक्ति पत्र रोकने के आदेश को चुनौती देते हुए याचिका में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट में जो मामला विचाराधीन है, वह डिस्टेंस एजुकेशन केजरिए तकनीकी और प्रोफेशनल कोर्सेज़ से संबंधित है। लिहाजा, उनके मामलों में सुप्रीम कोर्ट के हवाले का अड़ंगा अनुचित है, क्योंकि उन्होंने सामान्य विषयों में एमए की है। दलील यह भी थी कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में कहा था कि डीम्ड यूनिवर्सिटी के डिग्रीधारक उन दाखिलों या नौकरियों में आवेदन कर सकेंगे, जिनमें अंतिम तिथि 21 फरवरी 2013 है। कहा था कि उन्होंने पीजीटी के लिए आवेदन अंतिम तिथि 15 जुलाई 2012 तक कर दिया था। दूसरा हवाला दिया था कि चार वर्ष का शिक्षण अनुभव वाले शिक्षकों को पीजीटी नियुक्ति में एएचटेट और टीईटी से छूट दी गई थी। इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी, लेकिन याचिका खारिज हो गई थी और सुप्रीम कोर्ट ने इसी मामले में नोटिस भी जारी कर रखा है और कोई स्टे भी नहीं दिया। ऐसी स्थिति में चार वर्ष के अनुभव वालों को पीजीटी के नियुक्ति पत्र दे दिए गए। इसके लिए शर्त रखी थी कि नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आधारित रहेगी। यानी यदि फैसला विपरीत आता है तो नौकरी नहीं रहेगी। इन दलीलों के आधार पर एकल बेंच ने डीम्ड यूनिवर्सिटी से एमए पास आवेदकों की याचिकाएं मंजूर की थीं और सरकार को निर्देश दिया था कि इनकी नियुक्ति भी डीम्ड यूनिवर्सिटी की डिग्री की मान्यता पर सुप्रीम कोर्ट से होने वाले फैसले पर आधारित कर दी जाए। एकल बेंच ने 27 मई को अपने फैसले में इस शर्त पर नियुक्ति देने का निर्देश दे दिया था।
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साभार: अमर उजाला समाचार
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