25-40 उम्र तक की महिलाएं संबंधों को बनाने में किसी प्रकार की कोई
सावधानी इसलिए नहीं बरततीं, क्योंकि उन्हें लगता है कि उनके पास बर्थ
कंट्रोल पिल्स के रूप में इसका समाधान है। इसमें कोई शक नहीं कि ये पिल्स
उन्हें तत्काल होने वाली बहुत बड़ी समस्या से बचा लेती हैं, लेकिन इसके साथ
ही धीरे-धीरे उम्र और समय के साथ ऐसी कई बीमारियां दे देती हैं, जिनका
सालों तक इलाज चलता रहता है और कुछ तो उनमें से लाइलाज भी होती हैं। इन
दवाओं के सेवन से खासतौर पर महिलाओं की फर्टिलिटी की क्षमता खत्म होने लगती
है। इसके साथ ही और क्या प्रॉब्लम्स हो सकती है, इनके बारे में जानना
जरूरी है। - हार्ट अटैक: बर्थ कंट्रोल पिल्स लेने से दिल की बीमारियों के खतरे की संभावना बनी रहती है। खासतौर से सिगरेट का सेवन करने वाली महिलाओं को। 35 की उम्र या इससे कुछ अधिक उम्र की महिलाएं इस बात से बेफ्रिक होकर इन दवाओं का सेवन करती हैं। लेकिन डॉक्टर ऐसी महिलाओं को इन दवाइयों का सेवन नहीं करने की सलाह देते हैं।
- ब्लड प्रेशर: बर्थ कंट्रोल पिल्स का इस्तेमाल करने वाली महिलाओ के ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव होता रहता है। इसका असर तत्काल तो नहीं, लेकिन कुछ महीने बाद दिखाई पड़ता हॉ और सालों तक रहता है।
- माइग्रेन: जो महिलाएं बर्थ कंट्रोल पिल्स का लगातार इस्तेमाल करती हैं, वो जल्द ही माइग्रेन का शिकार होने लगती हैं। इन दवाओं का असर तुरंत दिमाग की नसों पर पड़ता है। लंबे समय तक लगातार दवा लेने से दिमाग की नसें पहले की तरह काम नहीं कर पातीं। उनमें खून का प्रवाह धीमा है जाता है। सिरदर्द, उल्टी, थकान, कमजोरी आदि समस्या पैदा होने पर इन्हें कई बार दवाइयों का साइड इफेक्ट कहकर इग्नोर कर देते हैं, जो दरअसल माइग्रेन के लक्षण होते हैं।
- खून के थक्के: सिर्फ पीरियड्स के दौरान ही नहीं, इन दवाइयों के सेवन से पैरों और फेफड़ों में ब्लड क्लोटिंग की समस्या शुरू हो जाती है। इन दवाइयों का सेवन न करने वालों की अपेक्षा जो ज्यादातर इनका सेवन करते हैं, उनमें वेनस थ्रॉमबोएम्बॉलिज्म की प्रॉब्लम सामान्य तौर पर देखी गई है। इसके साथ ही मोटापा, असमय बुढ़ापा आदि समस्याएं भी शुरू होने लगती हैं। समस्या ज्यादा बढ़ जाने पर सर्जरी तक कराने की नौबत आ जाती है।
- डिप्रेशन: इन दवाओं के इस्तेमाल से धीरे-धीरे डिप्रेशन की समस्या भी पैदा होने लगती है। इनका कारण इनमें मौजूद तमाम तरह के केमिकल्स होते हैं, जो हार्मोन्स को असंतुलित कर देते हैं।
- सिरदर्द: दवाइयों के साइड इफेक्ट्स के रूप में सबसे पहले सिरदर्द की समस्या सामने आती है। दवाइयों के इस्तेमाल से बॉडी में अनेक प्रकार के बदलाव होते हैं, जिससे कमजोरी, थकान और सिरदर्द बना रहता है।
- उल्टी और जी मिचलाना: खाली पेट दवाइयों का असर बहुत ही खतरनाक होता है। उल्टी होना दवा का सबसे बड़ा और जल्दी होने वाला साइड इफेक्ट है।
- ज्यादा ब्लीडिंग होना: दवाइयों के ज्यादा सेवन से ब्लीडिंग की समस्या शुरू हो जाती है। चोट लगने के दौरान या पीरियड्स के वक्त बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होने लगती है जो एनीमिया का कारण बन जाती है।
- मोटापा: इन दवाओं के सेवन से फायदे कम नुकसान ज्यादा हैं। दवा के असर से धीरे-धीरे महिलाएं मोटापे का शिकार होती जाती हैं। बॉडी से एक ऐसा फ्लूड निकलता है जो पेट, कमर, जांघों में इकट्ठा होता जाता है। फिजिकल एक्टिवटी इससे कम होती जाती है और थकान महसूस होने लगती है।
- कालापन: इन दवाओं के ज्यादा इस्तेमाल से शरीर के अंदर ही नहीं, बाहर भी प्रभाव पड़ने लगता है। चेहरे काला नजर आने लगता है। साथ ही होंठ और आंखों के नीचे कालापन साफ तौर पर देखा जा सकता है। इसे दूर करना बहुत ही मुश्किल होता है।
- डायबिटीज: डायबिटीज से पीड़ित महिला के लिए बर्थ कंट्रोल पिल्स का सेवन खतरनाक साबित हो सकता है। डायबिटीज की दवा और इन दवाओं के केमिकल्स आपस में मिलने पर कुछ अलग ही फ्लूड का रिसाव करते हैं, जो सेहत के लिए बहुत ही नुकसानदायक होता है।
- डायरिया: बर्थ कंट्रोल पिल्स का कुछ असर तो बाद में पता चलता है, लेकिन काफी सारे असर तत्काल ही नजर आने लगते हैं। उनमें से एक डायरिया भी है। पाचन क्रिया को भी ये दवा प्रभावित करती है।
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साभार: भास्कर समाचार
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