Monday, April 13, 2015

जासूसी प्रकरण: क्या वास्तव में नेहरू नेताजी के साथ बुरा करना चाहते थे?

देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की सरकार ने न सिर्फ सुभाष चंद्र बोस के परिवार की जासूसी कराई थी, बल्कि इससे मिली जानकारी को ब्रिटिश इंटरनल सीक्रेट सर्विस एमआई 5 के साथ साझा भी किया था। हाल ही में गुप्त सूची से हटाए गए नेशनल आर्काइव के दस्तावेजों से यह खुलासा हुआ है। खुलासे के मुताबिक छह अक्टूबर 1947 को आईबी के सीनियर अधिकारी ने दिल्ली में तैनात एमआई5 के अपने समकक्ष को इस बारे में लिखा था। इंडियन इंटेलिजेंस ब्यूरो ने नेताजी के करीबी एसीएन नांबियार और भतीजे अमिय नाथ बोस के बीच बातचीत के एक खत को एमआई5 के साथ साझा किया था। नांबियार उस समय स्विट्जरलैंड में थे और अमिया बोस कोलकाता में थे। एक निजी चैनल के मुताबिक, नेताजी की मिस्ट्री पर ‘इंडियाज बिगेस्ट कवर-अप’ नाम से किताब लिखने वाले अनुज धर ने इस पर सवाल उठाते कहा, ‘उस समय आईबी का प्रमुख कौन था, जब एजेंसी स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में विदेशी खुफिया एजेंसी को सूचित कर रही थी।’ आईबी ने हाल ही में यह दस्तावेज सार्वजनिक किए हैं, जिसे नेशनल आर्काइव में रखा गया है। नेहरू सरकार ने बोस परिवार पर 1948 से 1968 तक नजर रखी। आईबी के तत्कालीन डिप्टी डायरेक्टर बालकृष्ण ने सिक्योरिटी लायसन ऑफिसर केएम बोर्न को लिखा था। बोर्न उस समय दिल्ली में तैनात थे। शेट्टी सीधे तौर पर पहले आईबी चीफ संजीवी पिल्लई और उनके उत्तराधिकार बीएन मलिक के अधीन काम कर चुके थे। उन्होंने लिखा, ‘सीक्रेट सेंसरशिप के दौरान नांबियार का पत्र देखा गया।’1924 में बतौर पत्रकार ब्रिटेन जाने वाले नांबियार ने नेताजी के साथ किया और बाद में नेहरू के साथ भी, बोस परिवार को भेजे जाने वाले पत्र इंटरसेप्ट किए जाते रहे, स्विट्जरलैंड में भारतीय उच्चायुक्त के तौर पर पोस्टेड थे। 2014 में नेशनल आर्काइव की ओर से सार्वजनिक किए गए दस्तावेजों के मुताबिक एमआई5 नांबियार को सोवियत जासूस मानती थी। नेताजी के भतीजे को भेजे गए नांबियार के पत्र पर शेट्टी ने बोर्न को लिखा, ‘इस पत्र पर आपकी राय के लिए हम आभारी रहेंगे।’ रॉ के पूर्व विशेष सचिव, वी. बालचंद्रन ने बोर्न के दस्तावेजों को बेहद महत्वपूर्ण बताया है। 
साभार: हरिभूमि समाचार
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