Tuesday, February 10, 2015

बैंक नहीं, रिश्तेदारों से लीजिए होम लोन, मिलेगी आयकर में छूट

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क्‍या आप अपना घर खरीदने के लिए बैंक से होम लोन लेने की सोच रहे हैं, तो जरा ठहरिए। विकल्‍प के तौर पर आप अपने माता-पिता, दोस्‍त और रिश्‍तेदारों से लोन लेने की सोच सकते हैं। माता-पिता, दोस्‍त और रिश्‍तेदारों से लिए होम लोन के ब्‍याज के भुगतान पर आपको आयकर अधिनियम की धारा 24बी के तहत कटौती का लाभ मिलता है।
  • कब लें रिश्‍तेदारों, दोस्‍तों से होम लोन: पहले ये देखिए कि आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत बचत के जरिए आप 1.5 लाख रुपये में से कितने का निवेश कर चुके हैं। पीपीएफ, लाइफ इंश्‍योरेंस का प्रीमियम, एनएससी, टैक्‍स सेविंग एफडी आदि में किया गया इंवेस्‍टमेंट कुल मिला कर अगर 1.5 लाख रुपये तक पहुंचने वाला है तो बैंक के होम लोन को दूसरे विकल्‍प के तौर पर लेकर चलें। क्‍योंकि होम लोन के मूलधन के रीपेमेंट पर कटौती का लाभ धारा 80सी की 1.5 लाख रुपये की सीमा के भीतर ही आता है। 
  • नहीं मिलता धारा 80सी का लाभ: अगर कोई व्‍यक्ति घर की खरीदारी के लिए अपने माता-पिता, दोस्‍त या रिश्‍तेदारों से लोन लेता है तो उसे मूलधन के रीपेमेंट पर धारा 80सी का लाभ नहीं मिलता है। 
  • सिर्फ ब्‍याज के भुगतान पर टैक्‍स में डिडक्‍शन का लाभ: कोई भी व्‍यक्ति कॉमर्शियल या रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी के लिए अपने माता-पिता, दोस्‍त रिश्‍तेदारों से कर्ज लेकर उसके ब्‍याज के भुगतान पर दो लाख रुपये तक की सालाना कटौती तक का लाभ उठा सकते हैं। 
  • रेनोवेशन लोन पर भी मिलता है टैक्‍स बेनीफिट: इनकम टैक्‍स की धारा 24बी के तहत कटौता का लाभ न सिर्फ घर की खरीद और निर्माण हेतु लिए जाने वाले ऋण पर लागू होती है बल्कि घर की मरम्मत और रेनोवेशन हेतु लिए गए ऋण पर भी लागू होती है। 
  • कितनी प्रॉपर्टी के लिए कर सकते हैं टैक्‍स क्‍लेम: ब्याज में छूट का क्लेम करने के लिए प्रॉपर्टियों की संख्या की कोई सीमा निर्धारित नहीं की गई है। इसके लिए, संपत्तियों को दो श्रेणियों में बांटा गया है- स्व-अधिकृत (सेल्‍फ-ऑक्‍यूपायड) यानि जिस मकान में आप खुद रहते हों और दूसरी श्रेणी है कि आपने अपना मकान किराए पर लगा रखा हो। अगर आप एक से ज्यादा मकानों के मालिक हैं और इन मकानों का इस्तेमाल आप खुद करते हैं या फिर इनका प्रयोग आपके अभिभावकों या ऐसे किसी नजदीकी रिश्तेदार द्वारा किया जाता है, जिससे आपको किसी प्रकार का किराया प्राप्त नहीं होता तो ऐसी स्थिति में आपको इनमें से किसी एक घर को सेल्‍फ ऑक्‍यूपायड चुनना होगा वहीं अन्य लोगों के लिए आपकी अन्य प्रॉपर्टी सेल्‍फ ऑक्‍यूपायड मानी जाएंगी। चूंकि आप अपने रहने के लिए एक ही प्रॉपर्टी का इस्तेमाल कर सकते हैं। वहीं दूसरी प्रॉपर्टी से आने वाले किराए पर आपको कर चुकाना होता है। सेल्‍फ ऑक्‍यूपायड प्रॉपर्टी के मामले में टैक्‍सेबल वैल्यू, सालाना वैल्यू के नाम से जानी जाती है, जो कि शून्य होती है। वहीं अन्य संपत्तियों के मामले में, प्राप्त किया गया असल किराया या अनुमानित किराया संपत्ति की सालाना वैल्यू कहलाती है। 
  • क्लेम लायक ब्याज की सीमा और शर्तें: आप रिश्‍तेदारों या दोस्‍तों से लिए कर्ज पर सालाना 2 लाख रुपये तक की कटौती का क्‍लेम कर सकते हैं। लेकिन इसकी कुछ शर्ते हैं। सबसे पहली शर्त तो यह है कि ऋण लिए जाने के तीन वर्षों के भीतर प्रॉपर्टी का निर्माण पूरा हो जाना चाहिए या ऋण लिए जाने के तीन साल के अंदर प्रॉपर्टी आपके अधिकार में आ जानी चाहिए। दूसरी शर्त है कि आपने अपने ऋण पर जितना भी ब्याज दिया है उसके लिए अपने ऋणदाता से आपको सर्टिफिकेट लेना होगा। इसे एसेसिंग ऑफिस में जमा कराना होगा। 
  • रेंट पर दी गई प्रॉपर्टी के मामले में कैसे करें क्‍लेम: किराए पर दी गई या लेट-आउट प्रॉपर्टी के तौर पर मानी गई दूसरी प्रॉपर्टी के बारे में ब्याज की राशि की कोई अधिकतम सीमा नहीं तय की गई है। ऐसी प्रॉपर्टी के मामले में, आपको कर्जदाता से कोई सर्टिफिकेट जारी कराने की आवश्यकता भी नहीं होती। हालांकि आपको घर खरीदने, संपत्ति के निर्माण या रिपेयर आदि के लिए लिए जाने वाले ऋण पर चुकाए गए ब्याज का प्रमाण देना होता है। 
  • कब करें छूट का दावा: अगर आप अपने घर के निर्माण के लिए या बन रहे मकान की खरीदारी के लिए लोन ले रहे हैं तो कर छूट के लिए क्लेम कर सकते हैं। लेकिन अगर आप किसी अंडर कंस्‍ट्रक्‍शन मकान की खरीद के लिए ऋण लेते हैं तो आप तब तक वास्तविक छूट के लिए क्लेम नहीं कर सकते हैं, जब तक कि प्रॉपर्टी आपके अधिकार में न आ जाए। आयकर छूट उसी वित्त वर्ष से शुरू हो सकती है, जिसमें प्रॉपर्टी का कंस्ट्रक्‍शन पूरा कर लिया जाए या उस पर आपका अधिकार हो जाए। हालांकि, उधार ली गई राशि पर दिए जाने वाले कुल ब्याज को घर की निर्माण अवधि में पांच समान किस्तों में चुकाने की अनुमति होगी। ऐसी पहली किस्त के लिए उस वर्ष से क्लेम किया जा सकता है, जिसमें प्रॉपर्टी का निर्माण पूरा कर लिया गया हो या प्रॉपर्टी आपके अधिकार में आ गई हो। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार
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