Saturday, February 7, 2015

इन भारतीय कंपनियों ने निकाली विदेशी ब्रांड्स की हवा

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भारतीय कंपनियां इन दिनों सभी बाजारों में छाई हुई हैं। कंपनी की ग्रोथ इसका बड़ा कारण है। ग्लोबल ब्रांड्स को पीछे करके इंडियन कंपनीज ने अपनी नई पहचान स्थापित की है। हाल ही में भारतीय कंपनी माइक्रोमैक्स ने स्मार्टफोन बाजार में प्रतिद्वंदी कंपनी सैमसंग को पीछे छोड़ दिया। पिछले दो साल में कई ऐसे भारतीय ब्रान्ड्स हैं जिन्होंने विदेशी ब्रान्ड्स को पीछे छोड़कर लोगों के दिलों पर राज किया। जबकि, विदेशी कंपनियां
लगातार इस प्रयास में लगी हैं कि भारतीय मार्केट में किस तरह से लोगों को आकर्षित किया जाए। आइये जानते हैं विदेशी कंपनियों यानी ग्लोबल ब्रांड्स को पीछे छोड़कर दौड़ में आगे निकली इंडियन कंपनीज के बारे में: 
  1. माइक्रोमैक्स: मोबाइल फोन बनाने वाली भारतीय कंपनी माइक्रोमैक्स ने भारत में पहला स्थान हासिल किया है। दक्षिण कोरिया की सैमसंग को पीछे छोड़कर फीचर और स्मार्टफोन दोनों ही सेगमेंट में माइक्रोमैक्स आगे निकल गई है। गुड़गांव स्थित इस भारतीय कंपनी ने सही रणनीति के साथ ये मुकाम हासिल किया। रिसर्च फर्म कैनेलिस की रिपोर्ट के मुताबिक, चौथी तिमाही में कंपनी की स्मार्टफोन की बिक्री में 22 फीसदी हिस्सेदारी रही। वहीं, सैमसंग 20 फीसदी की हिस्सेदारी के साथ दूसरे नंबर पर है। पूरे भारत में 21.9 मिलियन स्मार्टफोन की बिक्री हुई है। मोबाइल फोन के इस्तेमाल के मामले में चीन के बाद भारत विश्व में दूसरे नंबर पर है। जबकि स्मार्टफोन की बिक्री को देखें तो भारत तीसरा सबसे बड़ा मार्केट है। 
  2. हल्दीराम: हाल ही में हल्दीराम ने भी अपने रेवेन्यू का आंकड़ा जारी किया है। आंकड़ों के मुताबिक, हल्दीराम ने ग्लोबल ब्रांड डोमिनोज और मैकडोनल्ड्स के बर्गर और पिज्जा को पीछे छोड़ दिया है। हल्दीराम ने 3500 करोड़ रुपए का रेवेन्यू हासिल किया है। डोमिनोज(1733 करोड़ रुपए) और मैकडोनल्ड्स(1390 करोड़ रुपए) दोनों के आंकड़ें को मिलाए जाए तो भी हल्दीराम का रेवेन्यू इनसे ज्यादा है। वहीं, दो मिनट में बनने वाली मैगी भी इस दौड़ में शामिल थी, लेकिन 1200 करोड़ रुपए के रेवेन्यू के साथ वो चौथे पायदान पर है। मैगी के मुकाबले हल्दीराम का रेवेन्यू लगभग तीन गुणा ज्यादा है। 
  3. रॉयल इन्फील्ड: चेन्नई बेस्ड रॉयल इन्फील्ड ने भी ग्लोबल ब्रांड हार्ले डेविडसन को पीछे छोड़ दिया है। 2014 में रॉयल इन्फील्ड ने 3 लाख बाइक्स की बिक्री की, जबकि ग्लोबल ब्रांड हार्ले डेविडसन 2.67 लाख बाइक्स की ही बिक्री कर सकी। अब रॉयल इन्फील्ड की नजर विदेशी बाजारों पर भी है। रॉयल इन्फील्ड भारत की बड़ी तीसरी कंपनी है जिसने ग्लोबल ब्रांड को पीछे छोड़ा है। 
  4. फ्लिपकार्ट: भारतीय ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट ने पिछले साल 3 बिलियन डॉलर की सेल्स की थी। फ्लिपकार्ट ने अकेले बिग बिलियन डे से 100 मिलियन डॉलर की रिकॉर्ड सेल्स की थी। जिसमें ग्राहकों ने साइट से एक दिन में 20 लाख प्रोडक्ट्स की खरीददारी की थी। हाल ही में फ्लिपकार्ट ने बिग बिलियन डे से भी बड़ी सेल का एलान किया है। इस मामले में फ्लिपकार्ट ने अमेरिकन कंपनी अमेजन को पीछे छोड़ दिया। भारत में यदि तुलना की जाए फ्लिपकार्ट और मिंत्रा के सामने अमेजन को अभी तक एक नई कंपनी के तौर देखा जा रहा है। 
  5. टाइटन वॉच: भारत की घड़ी कंपनी टाइटन ने अकेले ही भारतीय मार्केट में कब्जा जमाया है। टाइटन अकेले ही भारतीय मार्केट लीडर के तौर पर मौजूद है। इसमें उसकी सेल्स की हिस्सेदारी 60 फीसदी तक है। यही नहीं इस भारतीय कंपनी ने अपनी पहचान विश्व के 32 देशों में बनाई हुई है। 
  6. पार्ले-जी: ग्लूकोज बिस्कट ब्रांड में पार्ले-जी अकेला ऐसा भारतीय एफएमसीजी ब्रांड है जिसने एक साल के भीतर 5 हजार करोड़ रुपए की रिटेल सेल की है। इस बिक्री के साथ पार्ले दुनिया में सबसे बड़ी बिस्कट बेचने वाली कंपनी है। निल्सन होल्डिंग के मुताबिक, पार्ले दुनिया भर में बिकने वाला पहला ऐसा ब्रांड है जो सालाना 140 बिलियन बिस्कट बेचती है। इस मामले में तमाम अमेरिकन और चीनी बिस्कट कंपनियों का शेयर बहुत कम है।
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साभार: भास्कर समाचार
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