Saturday, August 12, 2017

निर्वस्त्र फोटो वायरल होने के बाद पीड़िता से पुलिस ने कहा, 2-3 महीने घर में रहाे, बवाल थमने दो, फिर कॉलेज आना

मोबाइल चोरी के आरोप में निर्वस्त्र कर फोटो वायरल होने के बाद पीड़िता ने हिम्मत जुटाई। पढ़ाई करने की ठानी। लेकिन सिस्टम ने एक बार फिर उसे तोड़ डाला। पुलिस ने कहा-अभी पढ़ाई-लिखाई बंद रखो। बवाल
थमने दो। माहौल शांत होने दो। दो-तीन महीने इन सबसे दूर घर में ही रहाे। अभी दुमका आना भी मत। दुमका जिला मुख्यालय से 42 किमी दूर मसलिया के पहाड़पुर गांव में भास्कर संवाददाता ने गुरुवार को पीड़िता से मुलाकात की। जाना कि उसकी आगे की योजना क्या है? यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। पीड़िता ने कहा- इस घटना के बावजूद पढ़-लिखकर सरकारी नौकरी करना चाहती थी। पांच भाई-बहनों को आर्थिक सुरक्षा देना चाहती थी। लेकिन पुलिस ने मेरी हिम्मत तोड़ दी। मैं तो इन सबसे दूर थी। साजिश के तहत फंसाया गया। मैं तो पीड़ित हूं और लोग मुझे ही दोषी मान रहे हैं। मैंने क्या अपराध किया। क्या गरीब होना गुनाह है। जिस सिस्टम से इंसाफ मांगने गई, वही खामोश रहने की सलाह दे रहा है। एक अगस्त को क्या हुआ था? यह सवाल पूछते ही आंखें डबडबा गईं। कहा-दोपहर के तीन बजे थे। मैं बक्सी बांध लाॅज से अपने घर मसलिया जाने के लिए बस स्टैंड जा रही थी। तभी एक सहेली का फोन आया। मैं बात करने लगी। बस स्टैंड के समीप प्रीफेक्ट ललिता मुर्मू और उसकी एक सहेली ने मुझे देख लिया। मोबाइल की ओर इशारा करते हुए कहा-यह हॉस्टल की लड़की का चोरी का मोबाइल है। मैं कहती रही कि इसे खरीदा है, लेकिन लतिका जबरन मुझे हॉस्टल ले गई। वहां पहुंचते ही मारपीट शुरू कर दी। बीए पार्ट थ्री की चार छात्राओं ने मेरे कपड़े उतार दिए। कुछ छात्राओं ने मेरी न्यूड फोटो खींच ली। उस समय करीब 300 छात्राएं थीं। रात भर निर्वस्त्र रहने को मजबूर किया। सोने नहीं दिया। शर्त रखी कि पहले दो चम्मच नमक और पांच मिर्ची खाओ, तभी खाना मिलेगा। दो अगस्त को मेरे माता-पिता को बुलाया गया। एसपी कॉलेज के दर्जनभर छात्र भी आए। महापंचायत हुई। फैसला हुआ कि 18,600 रुपए देने होंगे वरना न्यूड फोटो और वीडियो वायरल कर दिया जाएगा। पिता ने 25 अगस्त तक का समय मांगा। इसके बाद हमें जाने दिया। चार अगस्त को पता चला कि फोटो वायरल हो गया है। पांच अगस्त को महिला थाना पहुंची तो थानेदार ने सबूत के तौर पर वायरल फोटो मांगी। अब तो मेरी जिंदगी ही बदल गई है। रोज जांच टीम और मीडिया के लोग आते हैं। पता नहीं, इंसाफ कब मिलेगा। 
महिलाओं की संस्था 'वी वुमन इम्पावरमेंट' के सदस्यों ने फिर पीड़िता की पहचान उजागर कर दी। अध्यक्ष अमिता रक्षित, झारखंड विधानसभा में मुख्य सचेतक नलिन सोरेन की पत्नी सह जिला परिषद अध्यक्ष जायस बेसरा बुधवार को दर्जनभर महिलाओं के साथ पीड़िता के घर पहुंची। फोटो खिंचाई और सोशल मीडिया पर डाल दिया। फोटो में महिलाएं कुर्सी पर बैठी हैं और पीड़िता जमीन पर। अमिता रक्षित ने कहा-हमलोग पीड़िता का आत्मविश्वास बढ़ाने गए थे। वह काफी डरी-सहमी थी। वह पीड़िता है, अपराधी नहीं। तो फिर मुंह छिपाकर क्यों रहे। उसमें जज्बा पैदा करने के लिए हमने फोटो खिंचाई। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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