Tuesday, April 7, 2015

ये छह आसान योगासन करें, नहीं होगा जोड़ों में दर्द

अपने दैनिक जीवन के सामान्य कामकाज को निपटाते वक्त क्या आपके घुटनों, कंधों या कलाई में दर्द होता है? क्या आप इन जोड़ों के दर्द के कारण अपनी इच्छानुसार जीवन जीने के आनंद से वंचित हैं? क्या आप दिन में कई कई बार दर्द निवारक दवाओं के सेवन से परेशान हैं? अगर इन प्रश्नों का उत्तर 'हां' है, तो निश्चित रूप से आप इस दर्द से अत्यंत दुखी हैं और इससे मुक्त होना चाहते हैं। बढ़ती उम्र के साथ जोड़ों का दर्द होने की संभवाएं बढ़ने लगती हैं। शरीर में हड्डियों का कमजोर होना, उचित व्यायाम और भोजन में
आवश्यक पोषक तत्वों के अभाव से जोड़ों के रोग प्रकट होने लगते हैं और बढ़ने लगते है। हालांकि, दवाओं के उपयोग से इस दर्द से सामयिक लाभ मिलता है, लेकिन इसका प्रामाणिक वैकल्पिक उपचार योग में उपलब्ध है। इसके अभ्यास से दर्द जल्दी मिटता है। योग एक प्राचीन भारतीय तकनीक है जो दर्द को जड़ से उखाड़कर शरीर को रोगमुक्त करती है। योग शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार कर मन को शांति प्रदान करता है। जोड़ों के उपचार व उन्हें शक्तिशाली बनाने के लिए निम्न योगासन उपयोगी हैं: 
वीर-भद्रासन: यह आसन घुटनों को मजबूत बनाता है और जकड़े हुए कंधों को सक्रिय करने में सहायक है। यह कंधों से तनाव मिटाकर शरीर को संतुलन प्रदान करता है। 
धनुरासन: धनुरासन बंध कंधो को खोलता है। यह पीठ को लचीला बनाता है और शरीर से तनाव दूर करता है।






सेतु-बंध आसन
यह आसन घुटनों की मांसपेशियों को मजबूत करता है, साथ ही ऑस्टियोपोरोसिस (अस्थि सुषिरता) रोग में भी लाभकारी है। यह मस्तिष्क को शांत करता है। रोगी को चिंता से मुक्त कर शरीर के तनाव को कम करता है। 


त्रिकोणासन: त्रिकोणासन हमारी टांगों , घुटनों और एड़ियों को मजबूत करने में लाभकारी है। यह सायटिका व कमर-दर्द में भी राहत प्रदान करता है। यह घुटनों की नस, कमर, जांघों के जोड़ों और कमर के नीचे खिंचाव पैदा कर उनमें लचीलापन बनाए रखता है, जो बॉडी के मूवमेंट के लिए सही रहता है।


उस्ट्रासन: यह कंधों व पीठ को मजबूती प्रदान करने वाला एक प्रभावशाली आसन है। इससे रीढ़ की हड्डी के लोच में वृद्धि होती है। शारीरिक मुद्रा में सुधार होता है तथा कमर के अधोभाग का दर्द को घटता है।





मकर अधोमुख श्वानासन: यह आसन कंधों व घुटने की नसों में खिंचाव पैदा करता है। यह कलाई , भुजाओं व टांगों को मजबूत करता है, कमर दर्द में लाभकारी है तथा शारीरिक जड़ता को समाप्त करता है। यह आसन ऑस्टियोपोरोसिस रोग से बचाव में भी सहायक है।
  



आवश्यक सावधानियां: योगासन से जोड़ों का दर्द बढ़े नहीं, इसके लिए अभ्यास के दौरान शरीर को सहारा देने वाली वस्तुओं, तकियों व अन्य उपकरणों की सहायता लें। अपनी शारीरिक क्षमता से अधिक जोर न दें। अगर दर्द बढ़ जाता है तो तुरंत योगाभ्यास बंद कर दें व चिकित्सक से परामर्श करें। 
स्वास्थ्य प्रद आहार: जोड़ तकनीक रूप से शरीर में उपस्थित हड्डियों का संधि स्थल है जिनकी सहायता से शरीर के विभिन्न अंगो का मुड़ना, घूमना, झुकना, विसर्पण करना आदि क्रियाएं संपन्न होती हैं। इन संधियों को स्वस्थ व मजबूत बनाए रखना इतना कठिन नहीं है, जैसा हम समझते हैं। इसके लिए हमें सबसे पहले अपने आहार में सुधार करना होगा। विशेषज्ञों के अनुसार जलन व उतेजना पैदा करने वाले भोजन जैसे चीनी व ग्लूटेन प्रधान भोज्य पदार्थों का सेवन कम-से-कम करना चाहिए। हरी व पत्तेदार सब्जियां व फल लाभकारी होते हैं। अपने डेली रूटीन में आयुर्वेद को अपनाकर भी हम इसकी पीड़ा कम कर सकते हैं। योग, स्वस्थ जीवन के लिए एक प्राकृतिक व दोष रहित पद्धति है। इसके नियमित अभ्यास से व्यक्ति शारीरिक व मानसिक रूप से तंदरुस्त रहता है। यह शरीर को ओजवान बनाता है और जीवन में गुणात्मक सुधार लाता है। योग का प्रभाव धीरे-धीरे होता है अत: इसे हड़बड़ी में छोड़े नहीं। नियमपूर्वक अपने शरीर को योग का उपहार दीजिए और सभी प्रकार की पीड़ाओं से सदैव के लिए मुक्ति पाइए। 
पीड़ा मुक्त रहने के कुछ खास नुस्खे: 
  1. हर एक घंटे बाद अपनी टेबल से उठें व कुछ क्षण के लिए अपने शरीर का खिंचाव करें।
  2. बैठे हुए व खड़े रहते समय शरीर को सही मुद्रा में रखें। शरीर सीधा व संतुलित हो आगे या पीछे की ओर झुका हुआ न हो।
  3. अपने जोड़ों पर अधिक जोर न दें।
  4. हेल्दी आहार लें।
  5. व्यायाम द्वारा अपनी मांसपेशियों को मजबूत रखें।।


साभार: भास्कर समाचार
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