Friday, February 6, 2015

आप भी बचा सकते हैं इनकम टैक्स, सेक्शन 10 देता है आपको कई अधिकार

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जब भी बात टैक्स जमा करने की होती है, तो सभी इससे बचने के तरीके ढूंढ़ने लगते हैं। लोग चाहते हैं कि कम से कम पैसा टैक्स में देना पड़े, लेकिन क्या इससे बचा जा सकता है? क्या कोई रास्ता है, जिससे अपनी मेहनत की कमाई को टैक्स दिए बगैर कानूनी तरीके से बचाया जा सकता है? आज हम आपको बताएंगे सेक्शन 10 के बारे में, जिसके तहत आप
बहुत सारी इनकम को टैक्स से बचा सकते हैं। कई बार लोगों को इसके बारे में पूरी जानकारी न होने के कारण अपनी मेहनत की कमाई का एक बड़ा हिस्सा इनकम टैक्स देने में गंवाना पड़ता है। इनकम टैक्स एक्ट की तरफ से सभी को टैक्स बचाने के कई टूल्स दिए जाते हैं, जिनमें से कुछ टूल्स सेक्शन 10 के अंतर्गत भी आते हैं। आइए जानते हैं कौन-कौन सी इनकम पर इस सेक्शन के तहत छूट पाई जा सकती है:  
  • एग्रीकल्चरल इनकम: अगर खेती से किसी भी प्रकार की इनकम प्राप्त होती है तो उस पर कोई टैक्स नही लगता है। यदि व्यक्ति की इनकम खेती के अलावा किसी अन्य तरीके से होती है, तो उसे नॉन एग्रीकल्चरल इनकम माना जाता है, जो टैक्सेबल होती है। हालांकि, नॉन एग्रीकल्चरल इनकम की कैल्कुलेशन करते समय एग्रीकल्चरल इनकम को भी शामिल किया जाता है।
  • लीव ट्रेवल अलाउंस (LTA): लीव ट्रेवल अलाउंस के तहत एक लिमिट तक घरेलू यात्राओं में सेक्शन 10(5) के अंतर्गत छूट मिलती है। एक व्यक्ति की सैलरी में लीव ट्रेवल अलाउंस की लिमिट के हिसाब से ही यह छूट मिलती है। 
  • लाइफ इंश्योरेंस: लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी में लगाई राशि पर सेक्शन 10(10D) के तहत टैक्स में पूरी छूट मिलती है। इसमें मैच्योरिटी अमाउंट और डेथ क्लेम भी शामिल होते हैं। 
  • ग्रेच्युटी: किसी भी सरकारी कर्मचारी द्वारा प्राप्त किए गए ग्रेच्युटी अमाउंट पर टैक्स में पूरी छूट मिलती है। इनके अलावा, जो भी ग्रेच्युटी एक्ट के अंतर्गत आते हैं, उन्हें इनमें से जो सबसे कम हो उसकी छूट मिलती है-आखिरी बार ली गई सैलरी के आधार पर हर साल 15 दिन की सैलरी पर टैक्स में छूट, 10 लाख रुपए, प्राप्त की गई ग्रेच्युटी
जो लोग ग्रेच्युटी एक्ट के अंतर्गत नहीं आते हैं उन्हें इनमें से जो भी सबसे कम हो उस टैक्स में छूट मिलती है:
  1. हर साल की 15 दिन की एवरेज इनकम
  2. 10 लाख रुपए
  3. प्राप्त ग्रेच्युटी
  • बकाया छुट्टियों के लिए दी जाने वाली राशि: सेक्शन 10 के तहत एक सरकारी कर्मचारी को रिटायमेंट के समय उसकी बकाया छुट्टियों के लिए दी जाने वाली राशि पूरी तरह से टैक्स फ्री होती है, लेकिन अगर व्यक्ति सरकारी कर्मचारी नहीं है तो फिर इनमें से जो कम हो उस पर टैक्स में छूट मिलती है:
  1. अर्न्ड लीव (महीनों की संख्या) को औसत मंथली सैलरी से गुणा करने पर जो राशि आए।
  2. औसत मंथली सैलरी को 10 से गुणा करने पर जो राशि आए।
  3. 3 लाख रुपए
  4. बकाया छुट्टियों के लिए प्राप्त की गई राशि।
  • कम्युटेड पेंशन: सरकारी कर्मचारियों के लिए कम्युटेड पेंशन पर टैक्स में पूरी छूट मिलती है, लेकिन अगर व्यक्ति सरकारी कर्मचारी न हो तो निम्न में जो सबसे कम हो उस पर छूट मिलती है:
  1. अगर प्राप्त की गई ग्रेच्युटी की रकम पेंशन की रकम की एक तिहाई तक है।
  2. अगर ग्रेच्युटी नहीं मिली है तो पेंशन की आधी राशि।
  • VRS के तहत कंपनसेशन: इच्छा से लिए गए रिटायरमेंट (VRS) के तहत प्राप्त राशि पर 5 लाख रुपए तक इनकम टैक्स में छूट मिलती है।  
  • प्रोविडेंट फंड: प्रोविडेंट फंड से प्राप्त हुई राशि पर सेक्शन 10 के तहत इनकम टैक्स में छूट मिलती है। हालांकि, यदि आपने 5 साल से कम की नौकरी से यह राशि प्राप्त की है तो इस राशि पर भी टैक्स लगेगा। साथ ही कर्मचारी प्रोविडेंट फंड (EPF) भी आप कुछ शर्तों को पूरा करने के बाद ही निकाल सकते हैं।  
  • हाउस रेंट अलाउंस (HRA): इनमें से जो भी कम हो उस पर टैक्स से छूट मिलती है:
  1. प्राप्त किया गया HRA
  2. भुगतान किया गया रेंट- सैलरी का 10%
  3. दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई के लिए सैलरी का 50 प्रतिशत तथा अन्य जगहों के लिए सैलरी का 40 प्रतिशत।
  • प्राप्त डिविडेंड: किसी कंपनी द्वारा म्यूचुअल फंड या या स्टॉक्स से प्राप्त डिविडेंड पर टैक्स में पूरी छूट मिलती है क्योंकि यहां पर कंपनी टैक्स भरती है।  
  • एक साल से अधिक की इक्विटी पर: कोई भी इक्विटी, शेयर या म्यूचुअल फंड जो एक साल से अधिक तक आपके पास हो उसे बेचते समय टैक्स से छूट मिलती है। इसे लॉंग टर्म कैपिटल गेन भी कहा जाता है।  
  • सुपरएन्नुएशन फंड (पेंशन): किसी भी व्यक्ति द्वारा प्राप्त की गई अप्रूव्ड पेंशन पर टैक्स में पूरी छूट मिलती है।  
  • ट्रांसपोर्ट अलाउंस: ट्रांसपोर्ट अलाउंस के तौर पर हर महीने 800 रुपए की छूट मिलती है जो सालाना 9,600 रुपए बनती है। यहां पर ट्रांसपोर्ट अलाउंस से मतलब उस राशि से है जो घर से लेकर ऑफिस तक जाने में और फिर वापस आने में खर्च होती है।  
  • बच्चों की एजुकेशन और होस्टल अलाउंस: 2 बच्चों तक पर बच्चे के हिसाब से प्रतिमाह 100 रुपए पर टैक्स से पूरी छूट मिलती है। इसी तरह दो बच्चों के लिए ही प्रतिमाह 300 रुपए हॉस्टल की फीस में छूट मिलती है।  
  • सिक्योरिटीज पर ब्याज: सर्टिफिकेट, बॉन्ड और डिपोजिट जैसी सिक्यरिटीज से मिलने वाले ब्याज, प्रीमियम आदि पर टैक्स से छूट मिलती है।
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साभार: भास्कर समाचार
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