Friday, November 16, 2018

जानिए इस बार कैसी रहेगी ठण्ड, समय पर शुरू हुआ है सर्दी का मौसम

साभार: जागरण समाचार 
इस बार पहाड़ों पर बर्फबारी जल्दी शुरू हो गई है। हिमाचल व कश्मीर समेत कई पहाड़ी इलाकों में इस बार सितंबर महीने से ही बर्फबारी शुरू हो चुकी है। अगले दो महीने पहाड़ों पर ये बर्फबारी रुक-रुक कर जारी रहेगी।
पहाड़ों पर होने वाली ये बर्फबारी मौसम पर कैसा असर डालेगी, इसे लेकर आम लोगों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
किसी का अनुमान है कि इस बार सर्दी बहुत ज्यादा पड़ेगी। तो कोई कह रहा है कि इस बार ठंड जल्दी शुरू हो गई। मौसम वैज्ञानिक भी मानते हैं कि इस बार कुछ जगह पहाड़ों पर बर्फबारी जल्दी शुरू हो गई है। हालांकि इसका ठंड पर कोई खास असर फिलहाल नहीं दिख रहा है। ठंड अपने समय पर आई है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार अगर कोई बड़ा परिवर्तन नहीं हुआ तो अनुमान है कि इस बार ठंड कम पड़ेगी। पूरे सीजन में औसतन तापमान थोड़ा ज्यादा रह सकता है।
अल नीनो का है ये असर: मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार ज्यादा बर्फबारी के बावजूद ज्यादातर भारत में तापमान सामान्य से थोड़ा ज्यादा रहने की वजह अल नीनो है। मौसम विभाग के अनुसार प्रशांत महासागर में अल नीनो की मौजूदगी की वजह से तापमान बढ़ेगा। प्रशांत महासागर में अलनीनो का प्रभाव दक्षिण में भूमध्य तटीय क्षेत्रों की ओर बढ़ने की आशंका है। भारत में पूरे सर्दी के सीजन में इसका असर दिख सकता है।
कैसे असर करता है अल नीनो: अल नीनो की वजह से समुद्री सतह का तापमान बढ़ने लगता है। इससे तटीय इलाकों में गर्मी बढ़ती है। भारत के उत्तरी राज्यों में सर्दी के दौरान दिसंबर-जनवरी माह में पश्चिमी विक्षोभ के कारण बारिश का संक्षिप्त दौर दिखता है। यही बारिश तापमान में गिरावट की मूल वजह बनती है। इस साल अल नीनो के संभावित प्रभाव को देखते हुए पश्चिमी विक्षोभ पर भी असर पड़ सकता है।
बर्फबारी से पर्यटकों और व्यापारियों के चेहरे खिले: पर्यटन के लिए मशहूर, हिमाचल प्रदेश के कई हिस्सों में सितंबर माह से ही बर्फबारी हो रही है। बृहस्पतिवार (15 नवंबर 2018) को भी हिमाचल के मनाली और नारकंडा समेत कुछ हिस्सों मे बर्फबारी हुई। इससे हिमाचल के ऊपरी एरिया में चारों तरफ बर्फ की सफेद चादर बिछ गी है। उधर हिमाचल में बर्फबारी शुरू होने की सूचना पाकर पर्यटक मनाली और आसपास के पहाड़ी इलाकों में पहुंचने शुरू हो गए हैं। धर्मशाला और पालमपुर में भी बर्फबारी ही है। इसके अलावा शिमला, कुफरी, धर्मशाला, नाहन, चंबा व मंडी में बारिश भी हुई है। लाहौल स्पीति के ऊंचाई वाले इलाकों, चंबा, कुल्लू व किन्नौर जिलों में गुरुवार सुबह से बर्फबारी हो रही है। गुरुवार को लाहौल व स्पीति जिले का केलोंग एरिया सबसे ठंडा रहा। यहां तापमान -3.3 डिग्री सेल्सियस रहा। किन्नौर जिले की सांगला वैली, काल्पा और कुल्लू जिले की सोलांग वैली में भी गुरुवार को बर्फबारी हुई है। कुल्लू के मलाना गांव तथा बिजली महादेव मंदिर आसपास भी बर्फ गिरी है।
कश्मीर में बर्फबारी के बाद हिमस्खलन का खतरा: हिमाचल की तरह ही कश्मीर के भी कुछ हिस्सों में सितंबर माह से बर्फबारी शुरू हो चुकी है। यहां भी रुक-रुक कर निरंतर बर्फबारी हो रही है। कश्मीर घाटी में ऊंचे इलाकों में बर्फबारी के बाद सात जिलों में कम खतरे वाले हिमस्खलन की चेतावनी जारी की गई है। ताजा बर्फबारी के मद्देनजर बांदीपुरा, बारामूला, अनंतनाग, कुलगाम, बडगाम, कुपवाड़ा और गंदेरबल जिलों में हिमस्खलन की आशंका व्यक्त की गई है। यहां कई इलाके हिमस्खलन के लिए संवेदनशील माने जाते हैं। लोगों को हिमस्खलन के लिहाज से संवदेनशील इलाकों में न जाने की सलाह दी गई थी। 
केदारधाम भी बर्फ से पटा: धार्मिक स्थल केदारधाम पर भी सितंबर माह से ही बर्फबारी शुरू हो चुकी है। यहां भी मंदिर के आसपास बर्फ की मोटी चादर देखी जा सकती है। श्रद्धालु आस्था के साथ इस बर्फबारी का पूरा लुत्फ उठा रहे हैं। पहाड़ों पर जल्द शुरू हुई बर्फबारी से वहां के होटल कारोबारी, ऑटो व टैक्सी चालक, गाइड आदि काफी खुश हैं। उन्हें उम्मीद है कि बर्फबारी इस बार थोड़ी लंबी चलेगी। ऐसे में इस बार काफी संख्या में पर्यटक बर्फबारी का मजा लेने पहाड़ों पर पहुंचेंगे।