साभार: जागरण समाचार
किलोमीटर स्कीम के विरोध में लगातार 18 दिन की हड़ताल के बाद रोडवेज कर्मचारी शनिवार को काम पर लौट
आए। हाई कोर्ट के आदेश के बाद पक्के कर्मचारियों के साथ ही प्रोबेशन पर चल रहे उन चालक-परिचालकों ने भी ड्यूटी ज्वाइन कर ली जिन्हें निलंबित या बर्खास्त कर दिया गया था। ज्यादातर बसों के सड़कों पर उतरने से लंबे समय बाद परिवहन व्यवस्था पटरी पर लौट आई।
हड़ताल की अगुवाई कर रही रोडवेज कर्मचारी तालमेल कमेटी के आह्वान पर जहां सभी कर्मचारियों ने बसों का संचालन शुरू कर दिया, वहीं ठेके पर रखे चालक-परिचालकों ने अपनी सेवाएं समाप्त होने पर खूब बवाल काटा। परिवहन निदेशक ने हड़ताल के दौरान रखे गए कर्मचारियों को तुरंत प्रभाव से निकालने का आदेश दिया था। इसके चलते महाप्रबंधकों ने जरूरत से अधिक नए भर्ती कर्मचारियों को बसों में घुसने ही नहीं दिया। हरियाणा कर्मचारी तालमेल कमेटी ने भी रविवार को जींद में होने वाली ‘निजीकरण भगाओ, रोडवेज बचाओ’ रैली को स्थगित कर दिया है।
फरीदाबाद के महाप्रबंधक ने छह निलंबित कर्मचारी नेताओं को च्वाइन कराने से मना कर दिया जिससे तनाव की स्थिति बनी रही। फरीदाबाद में हड़ताल भी एक दिन पहले 15 अक्टूबर को शुरू हो गई थी क्योंकि जीएम ने दस कर्मचारी नेताओं को निलंबित कर सभी यूनियनों के कार्यालयों के दरवाजे बंद कर वेल्ड करा दिए थे।
वार्ता में शामिल होगी तालमेल कमेटी: रोडवेज कर्मचारी तालमेल कमेटी ने 12 नवंबर को वार्ता का सरकार का न्योता स्वीकार कर लिया है। कमेटी पदाधिकारियों हरिनारायण शर्मा, वीरेंद्र धनखड़, दलबीर किरमारा, बलवान सिंह दोदवा व पहल सिंह तंवर ने कहा कि अगर सरकार ने हठधर्मिता छोड़कर किलोमीटर स्कीम के तहत 720 बसें चलाने का फैसला नहीं बदला तो दोबारा से बड़े स्तर का आंदोलन शुरू होगा।
रोडवेज को 150 करोड़ का फटका: सालाना 600 करोड़ के घाटे से जूझ रहे परिवहन विभाग को 16 अक्टूबर को शुरू हुई हड़ताल से करीब 150 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। इसके अलावा रोडवेज कर्मचारियों के समर्थन में दूसरे विभागों में कर्मचारियों की दो दिन की हड़ताल और एक दिन के सामूहिक अवकाश से सरकारी खजाने को मोटी चपत लगी। मौजूदा हड़ताल से हुए नुकसान को मिलाकर परिवहन विभाग को अभी तक करीब 500 करोड़ से अधिक का घाटा हो चुका है। पिछले साल जहां परिवहन विभाग 676.36 करोड़ के घाटे में था, वहीं उससे पहले वर्ष 597.79 करोड़ रुपये का नुकसान रोडवेज को उठाना पड़ा। इसी तरह 2015-16 में 486.76 करोड़ और 2014-15 में विभाग का घाटा 482.48 करोड़ रुपये रहा।
छह कर्मचारी नेता जेल से छोड़े, 11 पदाधिकारियों को राहत नहीं: हरियाणा रोडवेज वर्कर यूनियन (एसकेएस) के राज्य प्रधान इंद्र सिंह बधाना व एक अन्य कर्मचारी को अंबाला जेल, यूनियन के उप महासचिव राम आसरे यादव, डिपो प्रधान रविंद्र नागर, राज सिंह को फरीदाबाद की नीमका जेल से दूसरे कर्मचारियों के साथ जमानत पर रिहा कर दिया गया। हालांकि भिवानी में सर्व कर्मचारी संघ के वजीर सिंह, हरियाणा संयुक्त कर्मचारी संघ के महासचिव शिव कुमार पाराशर, एसकेएस के जिला सचिव सुख दर्शन सरोसा, नगरपालिका कर्मचारी संघ के पुरुषोत्तम, जनवादी महिला समिति की बिमला धणधस सहित 11 नेताओं को अभी रिहा नहीं किया गया है। इन पर आइपीसी की धारा 307 व कई अन्य संगीन धाराओं में केस दर्ज किए गए हैं। सर्व कर्मचारी संघ के महासचिव सुभाष लांबा ने झूठे मुकदमे वापस लेकर इनकी रिहाई की मांग की।