अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कुछ ही दिन पहले फेडरल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी (एफबीआई) के डाइरेक्टर जेम्स कोमी को बर्खास्त कर दिया। केवल इसलिए कि उन्होंने ट्रम्प और रूस के बीच संबंधों की जांच के आदेश दिए थे और वे उस पर सक्रियता से काम कर रहे थे। यह खबर दुनिया के लिए चौंकाने वाली थी कि कैसे ट्रम्प ने बिना देरी किए इतने बड़े अफसर को हटा दिया। दुनिया के कई अख़बारों ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया, इसी से पता चलता है कि एफबीआई डाइरेक्टर के पद का व्यक्ति और अमेरिकी कूटनीति के क्या मायने हैं। कोमी की जगह एंड्रयू मॅक्केबे को एजेंसी का कार्यवाहक डाइरेक्टर बनाया गया है। उन्होंने हाल ही में कांग्रेस (संसद के निचले सदन) में बताया है कि कोमी ने ट्रम्प और रूस के बीच जिस तरह की जांच के आदेश जारी किए थे, उन्हें हटाए जाने से उस आदेश पर कोई असर नहीं पड़ेगा। एजेंसी कानून के अनुसार अपना कार्य करेगी। देखना अब यह है कि कोमी के आदेश का क्या होता है। हालांकि, ट्रम्प कई कह चुके हैं कि उनके परिवार और रूस के राजनीतिक तंत्र में मिलीभगत की बातें पूरी तरह झूठ हैं। जबकि, इसमें ऐसी कई बातें छिपी हुई हैं, जो कोई नहीं जानता है। इसलिए यहां बताना जरूरी है कि ट्रम्प परिवार और रूस के बीच कितने घनिष्ठ संबंध हैं।
ट्रम्प का पारिवारिक बिज़नेस: रूस की राजधानी मॉस्को और वहां के बड़े शहर सेंट पीटर्सबर्ग में कोई ट्रम्प टावर नहीं है, लेकिन ऐसा नहीं है कि उसके प्रयास नहीं किए गए। डोनाल्ड ट्रम्प और उनका परिवार काफी समय पहले से रूस के साथ कारोबारी रिश्ते जोड़ने में लगा रह है। शायद 1980 के दशक से। ट्रम्प परिवार के और रूस के वे बिजनेसमैन, जो वहां की राजनीति से जुड़े हुए हैं, उनके साथ बहुत अच्छे संबंध हैं। ट्रैवल इंडस्ट्री की न्यूज़ साइट 'ईटर्बो न्यूज़' के अनुसार जूनियर ट्रम्प ने वर्ष 2008 में दुबई में एक रियल एस्टेट कॉन्फ्रेंस संबोधित की थी। वहां उन्होंने कहा था कि रशियन हमारी संपत्तियों से कहीं कहीं जुड़े हैं- न्यूयॉर्क में भी। ट्रम्प के एक और बेटे एरिक ने वर्ष 2013 में लेखक जेम्स डॉडसन से कहा था कि ट्रम्प परिवार के गोल्फ कोर्स में रशियन बिजनेसमैन प्रायोजक हैं, इसलिए हमें अमेरिकी बैंकों पर भरोसा करने की जरूरत नहीं है। हमें जितनी भी वित्तीय सहायता की जरूरत होगी, वह हम बाहर से हासिल कर लेंगे। यह अलग बात है कि एरिक ट्रम्प ने इस बात से पल्ला झाड़ लिया है।
अगर डोनाल्ड ट्रम्प अपने आयकर खाते की जानकारी सार्वजनिक करते हैं, तो दुनिया उनके विदेशी संबंधों के बारे में और अधिक जान पाएगी। जबकि, पिछले 40 वर्षों में सभी राष्ट्रपतियों ने ऐसा किया है। इसके अतिरिक्त डोनाल्ड ट्रम्प और रूस के प्रमुख बिज़नेस समूह अगालारोव परिवार के भी अच्छे संबंध रहे हैं। उसी समूह ने वर्ष 2013 में मॉस्को में मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता होस्ट की थी, जो ट्रम्प के मुख्य बिज़नेस में शामिल है। ब्लूमबर्ग न्यूज़ ने बताया है कि तब ट्रम्प रूस के दर्जनों प्रमुख उद्योगपतियों से मुलाकात कर चुके हैं। डोनाल्ड ट्रम्प के दामाद जेम्स कुशनर जो उनके वरिष्ठ सलाहकार भी हैं, उनका नाम भी 'रूस से मिलीभगत' में शामिल रहा है। कुशनर ने रूसी राजदूत सर्गी किसयक से मुलाकात के दौरान रूसी बैंक के शीर्ष एग्जीक्यूटिव से मुलाकात की थी। वे पुतिन के करीबी थी। - फ्लेन, पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार
अमेरिकाने रूस पर जब प्रतिबंध लगाए थे, उस दौरान माइकल फ्लेन ने कई मौकों पर किसयक से बातचीत की थी। वही फ्लेन अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनाए गए, बाद में उन्हें हटाया गया। उन्हें पद से हटाने का एकमात्र कारण यह था कि उन्होंने उपराष्ट्रपति माइक पेन्स के समक्ष किसयक के साथ अपनी मुलाकात पर झूठ बोला था और उनके झूठ की यह बात सार्वजनिक हो गई थी। दिसंबर 2015 में मॉस्को में एक स्पीच देने के लिए रूस सरकार समर्थक न्यूज़ साइट आरटी ने फ्लेन को 30.6 लाख रुपए दिए थे। उसके बाद आरटी न्यूज़ के ही एक कार्यक्रम में फ्लेन ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की थी। अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन इस बात की पड़ताल कर रहा है कि रिटायर्ड मिलिट्री इंटेलीजेंस अधिकारी अपनी बात छिपाने में नाकाम कैसे रहे, क्यों उन्होंने विदेशी सराकर से पैसे लेने के पहले विदेश एवं रक्षा विभाग की मंजूरी लेना उचित नहीं समझा। - जेफसेशन, अटॉर्नी जनरल
अटॉर्नीजनरल सेशन ने सीनेट (संसद के उच्च सदन) में इस बात की पुष्टि की है कि जब वे ट्रम्प के प्रचार अभियान से जुड़े थे, तब उनके और रूसी अधिकारियों के बीच किसी तरह का संपर्क नहीं था। जबकि, सच यह है कि वे रूसी उद्योगपति किसयक से दो बार मिले थे- एक बार खुद के सीनेट ऑफिस में, दूसरी बार रिपब्लिकन के राष्ट्रीय सम्मेलन में। आश्चर्य की बात यह है कि इतना सब होने के बावजूद वे संसद के उच्च सदन में झूठ बोल गए। कार्रवाई तो उनके इस झूठ पर भी होनी चाहिए, उन्होंने संसद की मर्यादा का भी ख्याल नहीं रखा।
प्रमुख अफसरों ने केवल रूस से पैसे लिए, बल्कि वहां काम भी किया
- पॉल मेनाफोर्ट - ट्रम्प के प्रचार अभियान के पूर्व प्रभारी: मेनाफोर्ट के बारे में पता चला है कि वे पूर्व में यूक्रेन की रूस समर्थक राजनीतिक पार्टी और यूक्रेन के पूर्व राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच के लिए सलाहकार के तौर पर काम कर चुके हैं। यहां विक्टर को रूस समर्थक कहना उचित होगा। मेनाफोर्ट पर आरोप हैं कि उन्होंने रूस समर्थक राजनीतिक पार्टी से गोपनीय रूप से बड़ी राशि हासिल की थी। एक दशक पहले मेनाफोर्ट रूसी रईस ओलेग देरिपास्का के साथ काम कर चुके हैं, जबकि देरिपास्का और पुतिन के बीच घनिष्ठता है। न्यूज एजेंसी एपी के पास वह मेमो है, जिसमें देरिपास्का ने एक प्लान तैयार किया था, जिसे उन्होंने 'पुतिन सरकार के लिए फायदे वाला' बताया था।
- कार्टर पेज - रूस में स्पीच दी, अब हैं विदेश नीति सलाहकार: अमेरिकी अधिकारियों को विश्वास है कि विदेश नीति सलाहकार कार्टर पेज ट्रम्प के प्रचार अभियान के दौरान रूसी खुफिया अफसरों के साथ संपर्क में थे। जुलाई 2016 में उन्होंने रूस सरकार के समर्थन में वहां स्पीच भी दी थी। उसमें उन्होंने कई बार राष्ट्रपति पुतिन का उल्लेख किया। इसके अतिरिक्त कार्टर पेज मेरिल लिन्च के मॉस्को ऑफिस में काम कर चुके हैं, वहां उनका संपर्क सरकार की एनर्जी फर्म गेजप्रॉम के साथ था। उस एनर्जी फर्म का रूस में बड़े पैमाने पर कामकाज फैला है और उसके वरिष्ठ अधिकारियों के रूसी राष्ट्रपति पुतिन और उनके मंत्रियों के साथ घनिष्ठ संबंध रहे हैं।
- रोजरस्टोन - हिलेरी के ई-मेल हैकरों को मैसेज किए, अब हैं मुख्य सहयोगी: रोजरस्टोन को औपचारिक बताया जाता है, लेकिन वे ट्रम्प के मुख्य सहयोगियों में से एक हैं। पिछली गर्मियों में उन्होंने 'गुचीफर 2.0' यूज़र नेम वाले ट्विटर अकाउंट के साथ संदेशों का आदान-प्रदान किया था। वह अकाउंट रूस के खुफिया तंत्र से जुड़े लोग चलाते हैं। वही लोग, जिन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी की नेशनल कमेटी और हिलेरी क्लिंटन के प्रचार से जुड़े ई-मेल की हैकिंग की थी। ऐसा लगता है कि प्रचार के दौरान रोजर स्टोन को बहुत पहले ही इस बात का पता चल गया था कि विकिलीक्स की ओर से जॉन पोडेस्टा (हिलेरी क्लिंटन के प्रचार प्रमुख) के ई-मेल की जानकारी लीक की जाएगी।
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साभार: भास्कर समाचार
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