Thursday, May 11, 2017

जेईई मेन्स: साढ़े 11 लाख विद्यार्थियों का डाटा सीबीएसई से लीक हुआ, प्रति राज्य 57 हजार के रेट से बिक रही डिटेल

इस साल जेईई मेन्स में बैठे देश के साढ़े 11 लाख से ज्यादा बच्चों का पूरा डाटा सीबीएसई से लीक हो गया है। यह डाटा बाकायदा बाजार में बिक रहा है। इसमें एक-एक स्टूडेंट का नाम, पिता का नाम, एड्रेस, मोबाइल नंबर,
ई-मेल एड्रेस, पिन कोड सहित वह सारी डिटेल मार्केट में बिक्री के लिए उपलब्ध है, जो स्टूडेंट ने आवेदन में भरा है। किसी एक स्टेट के स्टूडेंट्स के डाटा के लिए 57 हजार और देशभर के साढ़े 11 लाख बच्चों का डाटा लेने के लिए 2.30 लाख रुपए कीमत तय की गई है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। एजुकेशन सेक्टर से जुड़े कुछ लोगों ने यह सनसनीखेज जानकारी दी तो भास्कर ने इसकी पूरी पड़ताल शुरू की। इसी बीच पता चला कि वेबसाइट plus2jee.datadesk.in के मार्फत यह डाटा बिक्री के लिए उपलब्ध है। साइट पर सामान्य सूचना के साथ दो नंबर दिए गए हैं। हमने इन नंबरों पर बात की तो प्रवीण चौधरी नाम के एक शख्स से हमारी बात हुई। चौधरी ने खुद बताया कि 57 हजार रुपए प्रति स्टेट और 2.30 लाख रुपए ऑल इंडिया से जेईई में एपियर हुए स्टूडेंट्स के डाटा की रेट फिक्स है, इसमें एक रुपया भी कम नहीं होगा। उसने यह भी कहा कि आप इंट्रेस्टेड हों तो मैं आईसीआईसीआई बैंक का एकाउंट नंबर भेज दूंगा। उसमें पैसा डलवाना होगा। भास्कर ने इस मामले में सीबीएसई के जिम्मेदार अधिकारियों से बात की तो वे खुद हैरान थे। अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए इस मामले की पूरी डिटेल सीबीएसई को भेज दी है। 
वेबसाइट पर बिक्री के लिए उपलब्ध है पूरा डाटा: सबसे बड़ा और अहम सवाल यह कि यह डाटा सिवाय सीबीएसई के किसी के पास नहीं हो सकता और सीबीएसई किसी भी बच्चे की डिटेल इस तरह सार्वजनिक नहीं करती। तो आखिर इस वेबसाइट वाले लोगों के पास यह डाटा आया कहां से? जाहिर है, लीकेज सीबीएसई से ही हुआ है? कैसे? इसका जवाब समझ से परे है। इसके लिए हैकिंग जैसे तरीके भी एक हथकंडा हो सकते हैं और दूसरा सीबीएसई के स्तर पर किसी की मिलीभगत को भी नकारा नहीं जा सकता। यह डाटा इसलिए भी संवेदनशील है, क्योंकि इसमें करीब 3.29 लाख बेटियों के भी मोबाइल नंबर हैं, जिनका दुरुपयोग किया जा सकता है। वेबसाइट के कर्ताधर्ता कुछ प्राइवेट कॉलेज वालों को मैसेज भी भेज रहे हैं। 
सबसे बड़ा और अहम सवाल यह कि यह डाटा सिवाय सीबीएसई के किसी के पास नहीं हो सकता और सीबीएसई किसी भी बच्चे की डिटेल इस तरह सार्वजनिक नहीं करती। तो आखिर इस वेबसाइट वाले लोगों के पास यह डाटा आया कहां से? जाहिर है, लीकेज सीबीएसई से ही हुआ है? कैसे? इसका जवाब समझ से परे है। इसके लिए हैकिंग जैसे तरीके भी एक हथकंडा हो सकते हैं और दूसरा सीबीएसई के स्तर पर किसी की मिलीभगत को भी नकारा नहीं जा सकता। यह डाटा इसलिए भी संवेदनशील है, क्योंकि इसमें करीब 3.29 लाख बेटियों के भी मोबाइल नंबर हैं, जिनका दुरुपयोग किया जा सकता है। वेबसाइट के कर्ताधर्ता कुछ प्राइवेट कॉलेज वालों को मैसेज भी भेज रहे हैं। 

पहले पुष्टि करो, फिर सौदा: भास्कर रिपोर्टर ने प्रवीण चौधरी से पूछा कि डाटा सही है इसकी क्या गारंटी है? इसके बाद उसने जो बताया वो और भी ज्यादा हैरान करने वाला था। उसने वेबसाइट का लिंक दिया कि पहले आप चेक कर लो, भरोसा हो जाए फिर आगे बात होगी। साइट पर जाते ही पूरे राज्यों की सूची खुलेगी। किसी भी स्टेट पर क्लिक करने के बाद आपको बच्चे का नाम अन्य डिटेल नजर जाएगी, लेकिन उसके मोबाइल नंबर मेल आईडी नहीं दिखेगी। स्टूडेंट का मोबाइल नंबर या ईमेल आईडी चाहिए तो अपना मोबाइल नंबर मांगा जाएगा और मोबाइल पर एक ओटीपी दिया जाएगा। इस ओटीपी को सबमिट करने के बाद आपको यह विकल्प मिलेगा कि सूची में से रैंडमली किन्हीं तीनस्टूडेंट्स के नंबर पर क्लिक कर लें, उनके मोबाइल नंबर ओपन हो जाएंगे। 
भास्कर ने ली मेन्स में बैठने वाले 6 स्टूडेंट्स की डिटेल: भास्कर रिपोर्टर ने ट्रायल के तौर पर रैंडमली राजस्थान और उत्तर प्रदेश की सूची में से 6 स्टूडेंट्स की डिटेल ली ताकि ये पुष्ट हो सके कि डाटा सही है या नहीं। बूंदी की लक्ष्मी, बारां के निखिल और हनुमानगढ़ के घनश्याम के नंबर लिए। तीनों के मोबाइल पर फोन किया तो इनके पिता ने उठाया। इन्होंने पुष्ट किया कि उनके बच्चों ने जेईई मेन्स का एग्जाम दिया है। इसके अलावा इलाहाबाद के हिफजान हसीब अंसारी के नंबर पर फोन किया तो उसने खुद उठाया। उसने बताया कि उसने मेन्स का एग्जाम दिया है। भास्कर ने और ज्यादा पुष्टि करने के लिए पूछताछ की तो उसने अपनी रैंक भी बताई। इसके अलावा बरेली की ऊर्जा कटियार और आगरा की काजल खान के नंबर पर बात हुई।
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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