Thursday, May 11, 2017

हरियाणा के 11 वैज्ञानिकों को सम्मान, 9 को मिले युवा विज्ञान रत्न अवॉर्ड

हरियाणा ने अपनी धरती पर जन्मे 11 ऐसे वैज्ञानिकों की प्रतिभा का सम्मान किया, जिन्होंने केवल प्रदेश बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपना योगदान दिया है। करीब 5 साल बाद हुए समारोह में
राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी ने शील्ड, अवाॅर्ड राशि और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। इनमें 9 वैज्ञानिकों को 'हरियाणा युवा विज्ञान रत्न' अवाॅर्ड से सम्मानित किया गया। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भरोसा दिलाया कि विज्ञान के प्रति युवाओं और छात्रों की रुचि बढ़ाने के लिए सरकार सोनीपत के मुरथल में 250 करोड़ रुपए की लागत से साइंस सिटी बनाएगी, वहीं अम्बाला में 5 एकड़ जमीन में 20 लाख रुपए की लागत से साइंस सेंटर बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आगे से अवाॅर्ड वितरण में देरी हो, इसलिए हर साल नेशनल साइंस डे यानी 28 फरवरी को यह समारोह आयोजित किया जाएगा। 
  1. प्रो. केसी बंसल, भूतपूर्व निदेशक राष्ट्रीय पादप आनुवांशिक संसाधान ब्यूरो नई दिल्ली। हिसारके निवासी हैं। पौध जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उनका राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योगदान रहा है। राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं में सूखा, तनाव सहिष्णु ट्रांसजेनिक चावल, गेहूं, काबुली चना, सरसों, मूंगफली, टमाटर और चाय को विकसित करने के लिए बंसल द्वारा खोजे जीन का उपयोग किया गया। 
  2. डॉ. सतीशकुमार गुप्ता, एमेरिटस वैज्ञानिक जेसी बोस फैलो, पूर्व उप निदेशक जैव कोशिका प्रजनन प्रयोगशाला राष्ट्रीय प्रतिरक्षा संस्थान नई दिल्ली। यमुनानगरके छछरौली में जन्मे हैं। गुप्ता ने देश में पहली बार मोनोक्लोनल प्रतिरक्षी उत्पादन तकनीक विकसित की। इस तकनीक का उपयोग पहली स्वदेशी प्रेगनेंसी डिटेक्शन किट बनाने में प्रयोग किया गया। 
  3. अभिनीत कौशिक,उप महाप्रबंधक ब्रह्मोस एयरोस्पेस, भारत-रूस संयुक्त उद्यम रक्षा मंत्रालय नई दिल्ली। झज्जरके गांव भापड़ोदा निवासी हैं। समुद्री जहाज आधारित नेवल प्लेटफॉर्म के लिए ब्रह्मोस मिसाइल लांचर संरक्षण के लिए कार्यप्रणाली विकसित करने में योगदान दिया। 
  4. प्रदीप कुमार,वैज्ञानिक-ई, अनुसंधान केंद्र इमरात रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन हैदराबाद। महेंद्रगढ़के गांव गुजरवास के निवासी हैं। फाइबर ऑपटिक्स सेंसर और कंपोनेंट्स में विशेषज्ञ हैं। उन्होंने नियंत्रण, सामरिक और मिसाइल्स, एयरक्राफ्ट, टैंक आदि के नेवीगेशन प्रयोगों में काम आने वाली स्वदेशी सेंसर ऑपटिक्स विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 
  5. डॉ. दीपकशर्मा, सहायक प्रोफेसर जैव प्रौद्योगिकी विभाग आईआईटी रुड़की उत्तराखंड। गुड़गांवनिवासी हैं। जैविक रूप से प्रासंगिक मुद्दों के समाधान के लिए कई कम्प्यूटेशनल एल्गोरिदम विकसित किए हैं। 
  6. प्रवीण कुमार,वैज्ञानिक-ई रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन नई दिल्ली। पानीपतके नन्हेड़ा गांव के निवासी हैं। टेलीमेट्री स्टेशन को डिजाइन, स्थापित और विनियमित किया है। मानवीय ट्रैकर को स्वचालित मिसाइल ट्रैकिंग प्रणाली से बदला है। 
  7. डॉ. सविताचौधरी, सहायक प्रोफेसर, रसायन विज्ञान विभाग पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़। सोनीपतके गांव फरमाना निवासी हैं। इन्होंने नैनो कैमिस्ट्री के क्षेत्र में काम किया है। कार्यात्मक नैनो सामग्री के उपयोग से प्रदूषित जल को उपचारित करने के साधन विकसित किए हैं। 
  8. डॉ. अभिनव ग्रोवर, सहायक प्रोफेसर स्कूल ऑफ बायो टेक्नोलॉजी जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी नई दिल्ली। कुरुक्षेत्र निवासी ग्रोवर ने पारंपरिक चिकित्सा आधारित जैव पूर्वेक्षण पर शोध किया है। अश्वगंधा पर किए गए काम को वैज्ञानिकों से काफी प्रशंसा मिली है। 
  9. डॉ. संदीपकुमार, सहायक प्रोफेसर जैव एवं नैनो प्रौद्योगिकी विभाग, जीजेयू हिसार। चंडीगढ़में जन्मे डॉ. कुमार को हैल्थकेयर एप्लीकेशन के लिए नैनो टेक्नोलॉजी में विशेषज्ञता हासिल है। वे जल शुद्धिकरण, पर्यावरण और स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। 
  10. डॉ. विनोदकुमार, सहायक प्रोफेसर, रसायन विज्ञान विभाग, महर्षि मारकंडेश्वर विवि, मुलाना अम्बाला। करनालजिले में इंद्री के बुटानखेड़ी गाव में जन्मे डॉ. कुमार ने जैविक संश्लेषण खासकर आजोल्स रसायन शास्त्र के क्षेत्र में काम किया है। 
  11. डॉ. अनुराग कुहाड़, सहायक प्रोफेसर फार्माकोलॉजी, औषध विज्ञान संस्थान पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़। हिसार के गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय से स्वर्ण पदक के साथ फार्मेसी में डिग्री ली है।

Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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