कुणाल मदान (सॉलिसिटर,दिल्ली हाईकोर्ट, केएमए लॉ फर्म)
सुप्रीम कोर्ट ने सहारा की एम्बी वैली को नीलाम करने की बात कही है। कुछ समय पहले अरबों रुपए का बैंक कर्ज लेने वाले विजय माल्या का बंगला नीलाम हुआ। यह संभव हुआ है, दिवालिया कानून 2016 से। इसमें 180
दिन में मामले को प्रक्रिया में लाना होता है, जो पूर्व में 4 साल तक खिंच जाता था। हाल हीमें विजय माल्या का बंगला नीलाम हुआ और बैंकों ने उससे पैसा जुटाया। दिवालिया हो चुकी कंपनियों के लिए कुछ समय पहले दिवालिया कानून बना है, जिसमें केवल बैंकों का वरन जो छोटे निवेशक हैं, उनका भी पैसा दिलाने का प्रावधान हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। यदि मामला सही है तो इसका सही मायने में उपचार दिवालिया संहिता 2016 में ही है। इसमें कई तरह के प्रावधान हैं जो कर्ज देने वाले विभिन्न श्रेणी के लोगों को पैसा वापस दिलाने में मदद करेंगे। इस कानून में प्राथमिकता देनदार को भुगतान करने पर दी गई है। जब अंतिम रूप से सरकार और अन्य संस्थानों को भुगतान करना होगा, तब शेयरहोल्डर, हिस्सेदार और अन्य जमाकर्ता के हितों को भी प्राथमिकता से ध्यान में रखा जाएगा। लेनदारों के हक में यह एक अच्छा कानून कहा जा सकता है।- फाइनेंशियल क्रेडिटर्स: येवह श्रेणी है, जिन्होंने किसी कंपनी को कर्ज दिया है, या वित्तीय मदद की है। इसमें जमाएं स्वीकारना, फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स वाली असेट्स की सुरक्षा, किसी व्यक्ति के वित्तीय प्रोडक्ट्स का प्रबंधन आदि आता है। इस तरह के कर्ज देने वाले दो या दो से अधिक लोग चूककर्ता होने के सबूत के साथ एक याचिका लगा सकते हैं।
- ऑपरेशन क्रेडिटर्स: ये वह श्रेणी है, जिसने कंपनी को गुड्स और सेवा प्रदान की है, लेकिन उसका भुगतान नहीं किया गया है।
यदि कर्जदार कॉर्पोरेट है, तो उनके लिए इस संहिता में अयोग्य ठहराने का नियम है। इसमें से पहला, जो कंपनियां खुद ही दिवालिया होने का प्रस्ताव रख चुकी हैं, उनके लिए है। दूसरा, ऐसे कॉर्पोरेट कर्जदार या फाइनेंशियल क्रेडिटर, जिन्होंने स्वयं ही किसी नियम का उल्लंघन किया हो और जिन्हें दिवालिया संहिता के तहत स्वीकृति दी गई हो।
अब इस तरह का प्रावधान इस संहिता से कर दिया गया है कि किसी भी मामले को 180 दिन में पूरा किया जाना है। यह 180 दिन या तीन माह दिवालिया प्रक्रिया शुरू किए जाने के आवेदन की स्वीकृति से माने जाएंगे।
इस कानून के अनुसार किसी भी कंपनी के दिवालिया होने पर यदि 75 फीसदी कर्जदार एकमत होते हैं तो 180 दिन के भीतर कार्रवाई पैसा दे पाने वाली कंपनी के खिलाफ की जा सकती है। इसके अनुसार इस कानून से कर्ज का पैसा वापस लेने में होने वाले बेजा विलंब और उससे होने वाले नुकसान से बचा जा सकेगा।
कर्ज चुकाने पर कंपनी को एक तयशुदा अवधि में कर्ज चुकाने की मोहलत मिलेगी, अन्यथा वह स्वयं को दिवालिया घोषित करे। यदि कोई दोषी पाया जाता है तो इसमें पांच वर्ष की सजा का भी प्रावधान है। इससे पहले इस तरह की प्रक्रिया में तीन से चार वर्ष लगते थे। इस कानून में मजदूरों की आर्थिक सुर्षा का भी ध्यान रखा गया है। दिवालिया होने की स्थिति में कर्मचारियों को 2 वर्ष के वेतन का प्रावधान रखा गया है।
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साभार: भास्कर समाचार
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